हिन्दू धर्म और वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के आसपास लगे पौधे आपके जीवन पर असर डालते हैं अत: यह देखना जरूरी है कि कौनसे पेड़-पौधे लगे हैं या लगाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि घर में दूध, फल एवं कांटेदार वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। दूध वाले वृक्षों से धनहानि, फल वाले वृक्षों से संतति क्षय तथा कांटेदार वृक्षों से शत्रु भय होता है। इन वृक्षों की लकड़ी भी घर में शुभ नहीं होती।
अति शुभ पञ्चपल्लव : पीपल, आम, बड़, गूलर एवं पाकड़ के पत्तों को ही 'पञ्चपल्लव' के कहा जाता है। किसी भी शुभ कार्य में इन पत्तों को कलश में स्थापित किया जाता है या पूजा व अन्य मांगलित कार्यों में इनका अन्य तरीकों से उपयोग होता है।
चार खास पेड़ : पीपल, बड़, नीम और केले के वृक्ष को भगवान रूप माना जाता है। पीपल में जहां विष्णु, बड़ में शिव और नीम में ब्रह्मा का निवास है वहीं केले में श्रीगणेश का वास माना गया है। प्रत्येक धार्मिक कार्य में इन वृक्षों का प्रयोग किया जाता है। घर के आंगन में उक्त वृक्षों के अतिरिक्त तुलसी, अशोक, चम्पा, चमेली और गुलाब लगाना भी शुभ फलकारी कहा गया है।
केले के वृक्ष को सर्वाधिक शुभ कहा गया है। केले की पूजा करने से घर में शांति रहती है और लक्ष्मी का आगमन भी होता है। केले को साक्षात नारायण का रूप भी माना गया है इसलिए केला पूजा या विवाह मण्डपों में लगाया जाता है। केले की पूजा करने से गुरु दोष भी समाप्त होता है। कुछ जगह पर घर में अर्थात घर के अन्दर केले का पौधा नहीं रखना चाहिए, ऐसा वर्णन मिलता है कि यह गृह स्वामी के उत्थान में बाधक होता है। इसे आंगन में लगाने का विधान है।
किस दिशा में लगाएं : घर-आंगन में यदि पूर्व में पीपल, पश्चिम में बड़, उत्तर में गूलर तथा दक्षिण में पाकड़ लगाया जाए तो शुभ होता है। इन वृक्षों को घर से इतनी दूर-दूर लगाना चाहिए कि दिन के दूसरे प्रहर में इनकी छाया घर पर न पड़े।