घर, घर की संरचना यानी उसका वास्तु। वास्तु का उत्तम होना जरूरी है यही कारण है कि जीवन में सुख शांति और धन धान्य के आगमन केलिए हम घरों को सजाते हैं...उसी तरह त्योहारों से जुड़ी बहुत सारी तैयारियां, रीति-रिवाज वास्तव में वास्तु के सिद्धांत ही हैं जिनका हम अनजाने में पालन करते हैं इसलिए जब भी कोई छोटे या बड़े त्योहार आए... आप इन बातों का ध्यान अवश्य रखें-
* वास्तु में भवन का मुख्य द्वार बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे स्वागत द्वार भी कहा जाता है। इसीलिए किसी भी पर्व पर मुख्य द्वार पर तोरण, रंगोली, साज-सज्जा के साथ ही दीपक जलाना शुभ ऊर्जाओं को आमंत्रण और उनके स्वागत की तरह होता है। हां, यह ध्यान रखें कि मुख्य द्वार में कहीं छिद्र और दरार न हो तथा उसे खोलने और बंद करने में आवाज न आती हो। शुभ लक्षणों से युक्त द्वार लक्ष्मी और अन्य देवी देवताओं को आमंत्रित करने में सहायक होता है।
* त्योहारों पर भवन की साफ-सफाई और लिपाई-पुताई की परंपरा है, क्योंकि दरारें, टूट-फूट, सीलन के निशान और बदरंगी दीवारें शुभ ऊर्जा को ग्रहण करने में असमर्थ होती हैं।
* पर्व के दौरान घर का वातावरण धूप-अगरबत्ती से सुगंधित करना चाहिए। अन्य दिनों में भी घर में किसी प्रकार की दुर्गंध न रहे। शास्त्र कहते हैं- 'सुगंधिम् पुष्टिवर्द्धनम्।'
* लक्ष्मी को आमंत्रित करने से पहले पुराने और अनुपयोगी सामानों की विदाई आवश्यक है। कबाड़ से मुक्ति पाने का सीधा संबंध आर्थिक प्रगति से है।
* वास्तु के अनुसार ईशान यानी उत्तर-पूर्व दिशा का पूजन कक्ष सर्वोत्तम होता है। त्योहारों पर पूजा भी इसी पूजन कक्ष में या पूर्व-मध्य अथवा उत्तर-मध्य के किसी कक्ष में की जानी चाहिए। घर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान कहा जाता है। यहां भी पूजन कर सकते हैं। पूजा के समय पूर्व या पश्चिममुखी रहें। अन्य दिशाएं वर्जित हैं।