वास्तुशास्त्र के अनुसार धन के स्थिर रहने और बढ़ने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। अन्यथा बहुतों का धन जेलखाने, पागलखाने या दवाखाने में बर्बाद हो जाता है। यदि ऐसा नहीं होगा तो चोरी, घाटा या नुकसान की संभावना बढ़ जाएगी। तो आओ जानते हैं कि क्या है वास्तु के 15 नियम।
1. आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य मुखी मकान में ना रहें। हो सके तो उत्तर, ईशान, वायव्य या पश्चिम के मकान में ही रहें। पूर्व का मकान भी देखभालकर ही लें।
2. घर को गंदा न रखें। घर के चारों कोने साफ हों, खासकर ईशान, उत्तर और वायव्य कोण को हमेशा खाली और साफ रखें।
3. घर बिखरा हुआ न हो और उसका रंग-रोगन भी आंखों को चुभने वाला ना हो। घर में काले, कत्थई, मटमैले, जामुनी और बैंगनी रंग का इस्तेमाल न करें चाहे चादर, पर्दे या हो दीवारों का रंग।
5. घर में सीढ़ियों को पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की ओर ही बनवाएं। कभी भी उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां न बनवाएं।
6. वॉशरूम को गीला रखना आर्थिक स्थिति के लिए बेहतर नहीं होता है। प्रयोग करने के बाद उसे कपड़े से सुखाने का प्रयास करना चाहिए। घर में या वॉशरूम में कहीं भी मकड़ी का जाला न बनने दें।
7. घर के नल से पानी टपकता रहता है तो आर्थिक नुकसान भी होता रहेगा। दूसरा यह कि जिनके घर में जल की निकासी दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में होती है उन्हें आर्थिक समस्याओं से जुझना पड़ता है। उत्तर दिशा एवं पूर्व दिशा में जल की निकासी आर्थिक दृष्टि से शुभ मानी गई है।
8. कभी भी ब्रह्ममुहूर्त या संध्याकाल को झाड़ू नहीं लगाना चाहिए।
9. कहीं भी कचरा या अटाला जमा न होने दें। छप्पर पर बांस न रखें और किसी भी प्रकार की अनुपयोगी वस्तुएं भी न रखें। टूटे-फूटे बर्तन, पुराने, फटे कपड़ों की पोटली ना रखें।
10. घर में अगर पूजाघर नहीं हो तो किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही पूजाघर बनवाएं। यदि वह बनाने की छूट देता है तो किसी वास्तुशास्त्री से संपर्क करके ही पूजाघर बनवाएं।
11. घर की तिजोरी को द्वार उत्तर की ओर खुलाना चाहिए। तिजोरी टूटी फूटी, गंदी नहीं होना चाहिए।
13. घर का किचन आग्नेय कोण में होना चाहिए।
14. भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखें। भोजन करने के बाद थाली में हाथ न धोएं। रात्रि में भोजन के जूठे बर्तन घर में न रखें।
15. घर के अंदर, बाहर या आसपास नकारात्मक ऊर्जा फैलाने वाले पेड़, पौधे या वृक्ष नहीं होना चाहिए।