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वट सावित्री व्रत की 5 खास बातें, इस दिन करें 5 अचूक उपाय

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WD Feature Desk

, सोमवार, 9 जून 2025 (17:03 IST)
Purnima Vrat 2025: हिन्दू धर्म में वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तथा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है।ALSO READ: आप पहली बार कर रहीं हैं वट सावित्री व्रत? तो जानिए पूजा सामग्री और विधि
 
आइए यहां जानते हैं वट सावित्री व्रत की 5 प्रमुख बातें और यदि आप जीवन में किसी प्रकार की परेशानी से गुजर रहे हैं, तो वट सावित्री व्रत के दिन ये 5 अचूक उपाय आपको लाभ पहुंचा सकते हैं...
 
1. पति की लंबी आयु का प्रतीक: यह व्रत मुख्य रूप से सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा पर आधारित है, जहां सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। इसलिए, सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और आरोग्य के लिए यह व्रत रखती हैं।
 
2. वट वृक्ष का महत्व: इस व्रत में बरगद या वट के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है। इसके अलावा, वट वृक्ष की लंबी आयु और विशालता को पति की लंबी उम्र का प्रतीक माना जाता है।
 
3. श्रृंगार और सुहाग: इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और नए वस्त्र पहनती हैं। वे अपने सुहाग के प्रतीक चिन्हों जैसे सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी आदि का विशेष ध्यान रखती हैं। वट वृक्ष को भी सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है।
 
4. पारंपरिक पूजा और कथा: व्रत के दौरान महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत यानी धागा लपेटकर परिक्रमा करती हैं। वट सावित्री व्रत की कथा का पाठ करना इस पूजा का एक अभिन्न अंग है, जो सावित्री के समर्पण और निष्ठा को दर्शाता है।
 
5. ज्येष्ठ पूर्णिमा का संयोग: यह व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को पड़ता है, इस दिन वट वृक्ष की पूजा से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। साथ हर शनि दोष को शांत करने के लिए भी यद तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है।ALSO READ: वट सावित्री पूर्णिमा की व्रत कथा, इसे पढ़ने से मिलेगा अखंड सुहाग का वरदान
 
आइए अब जानते हैं समस्याओं से मुक्ति के लिए वट सावित्री व्रत पर किए जाने वाले 5 अचूक उपाय:
 
उपाय 1. वट वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं और दीपक जलाएं: वट वृक्ष की पूजा के समय, उसकी जड़ में शुद्ध जल और कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद, वट वृक्ष के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाएं। यदि शनि दोष हो तो सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
लाभ: यह उपाय त्रिदेवों को प्रसन्न करता है और शनि दोष तथा पितृ दोष को शांत करने में मदद करता है। इससे जीवन में स्थिरता, सुख और शांति आती है।
 
उपाय 2. कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा और मनोकामना: वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय कच्चे सूत को लपेटें (कम से कम 7 या 11 बार)। हर परिक्रमा पर अपनी मनोकामना मन ही मन दोहराएं।
- लाभ: यह पति की लंबी उम्र और आरोग्य के लिए सबसे प्रभावी उपाय है। साथ ही, यह आपकी अन्य व्यक्तिगत समस्याओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी अत्यधिक शुभ माना जाता है।
 
उपाय 3. सुहाग की सामग्री और फल का दान: पूजा के बाद, वट वृक्ष को अर्पित की गई सुहाग की सामग्री (जैसे सिंदूर, चूड़ियां) और फल (विशेषकर आम, तरबूज, खरबूजा) किसी ब्राह्मण महिला या जरूरतमंद सुहागिन महिला को दान करें।
- लाभ: दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और माता सावित्री तथा माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और आर्थिक समृद्धि बढ़ती है।
 
उपाय 4. वट सावित्री कथा का पाठ और भीगे चने का सेवन: व्रत के दौरान वट सावित्री व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। पूजा के बाद, भीगे हुए चने का सेवन करके व्रत का पारण करें।
- लाभ: कथा का पाठ करने से सावित्री के त्याग और निष्ठा का स्मरण होता है, जो पति के प्रति आपके प्रेम को और गहरा करता है। भीगे चने का प्रसाद वैवाहिक सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
 
उपाय 5. भगवान विष्णु और पीपल की पूजा: वट सावित्री अमावस्या तथा पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करें, क्योंकि यह तिथि पितरों और श्रीविष्णु से भी संबंधित होती है। पीपल के पेड़ को जल दें और दीपक जलाएं (यदि आसपास वट वृक्ष उपलब्ध न हो और आप दोनों की पूजा करना चाहते हैं तो पीपल का पूजन करना न भूलें।
- लाभ: यह उपाय पितृ दोषों और शनि के अशुभ प्रभावों को कम करता है, जो जीवन की कई परेशानियों का कारण बन सकते हैं। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
 
इन उपायों को सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से आप वट सावित्री व्रत का पूरा लाभ उठा सकती हैं और अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति पा सकती हैं।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: वट सावित्री व्रत दो बार क्यों मनाया जाता है?

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