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Fact Check: कोरोनावायरस की जांच का दावा करने वाले फेक Oximeter App से बचें

हमें फॉलो करें Fact Check: कोरोनावायरस की जांच का दावा करने वाले फेक Oximeter App से बचें
, शुक्रवार, 31 जुलाई 2020 (14:27 IST)
कोरोना महामारी के दौर में पल्स ऑक्सीमीटर की मांग बढ़ती जा रही है। दरअसल, कोरोनावायरस से संक्रमित मरीज के खून में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। ऐसे में लोग घर पर ही ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन की मात्रा नाप रहे हैं। ऑक्सीमीटर की बढ़ती मांग के बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है, जो दावा करती है कि ‘पेडोमीटर 2018’ नामक एक मोबाइल ऐप आपके ऑक्सीजन लेवल को नाप सकता है।

क्या है वायरल-

‘आपके फोन में ऑक्सीमीटर’ शीर्षक के साथ इस मैसेज में दावा किया जा रहा है कि ‘पेडोमीटर 2018’ मोबाइल ऐप के जरिये मोबाइल फोन के कैमरे पर उंगली रखकर आपके ऑक्सीजन लेवल और हार्ट रेट का पता लगाया जा सकता है।

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क्या है सच-

हमने इंटरनेट पर वायरल दावे की पड़ताल शुरू की, तो हमें कुछ रिपोर्ट्स मिलीं, जो साइबर ठगी से बचने के ‍लिए यूजर्स को उन ऐप्स से सचेत कर रही हैं, जो दावा करती हैं कि मोबाइल फोन के कैमरा, लाइट और फिंगर​प्रिंट सेंसर के जरिये ऑक्सीजन लेवल का पता लगा सकते हैं।

साइबर एक्सपर्ट्स इन ऐप्स के खतरों के बारे में चेतावनी देते हुए कहते हैं कि लोग ‍इन ऐप्स को ऑक्सीमीटर का एक सस्ता विकल्प मानने की भूल कर बैठते हैं। ये ऐप्स अपना काम करने के लिए आपके फोन के कैमरा, फोटो गैलरी, एसएमसएस इनबॉक्स का ऐक्सेस मांगते हैं। अगर आपने ऐसा किया, तो अनजाने में आप अपने फोन का सारा संवेदनशील डेटा उनके सामने रख देते हैं। और आपके फोन में घुसने के लिए तो आप अपना फिंगरप्रिंट डीटेल दे ही चुके हैं।

तेलंगाना पुलिस ने भी फेसबुक पोस्ट के जरिये ऐसे फर्जी ऐप के प्रति सचेत किया है।



इससे बचने का बस एक ही तरीका है कि कोई भी ऐप इंस्टॉल करने से पहले उसके डेवलपर, रेटिंग, रिव्यूज, बग्स और कुल डाउनलोड्स की संख्या का पता जरूर लगा लें। प्रमाणिक और विश्वसनीय ऐप की जानकारी इंटरनेट पर जरूर मिल जाएगी, और अगर न मिले तो समझ लीजिए कि वह सही नहीं है।

हमने पड़ताल जारी रखते हुए पता करने की कोशिश की कि क्या कोई मोबाइल ऐप शरीर के ऑक्सीजन लेवल और ब्लड प्रेशर जैसे डेटा को माप सकता है। हमें सेंटर ऑफ एविडेंस-बेस्ड मेडिसिन (सीईबीएम) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का 1 अप्रैल, 2020 का एक स्टडी मिला।

इस स्टडी के मुताबिक, ऐसा कोई सबूत नहीं है कि कोई स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी क्लिनिकल यूज के लिए ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन की सटीक जानकारी देता है। इसके अलावा, ऐसी टेक्नोलॉजी का वैज्ञानिक आधार संदिग्ध है। ऐसी टेक्नोलॉजी से प्राप्त किए गए ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल को मरीजों के क्लिनिकल एक्सेसमेंट में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

मेडिकल एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि चिकित्सकीय रूप से सिद्ध ऑक्समीटर से ही अपने ऑक्सीजन लेवल नापना जरूरी है।

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