राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का एक बयान इन दिनों चर्चा में हैं। हाल ही में अपने कानपुर दौरे से पहले राष्ट्रपति कोविंद ने एक सभा में कहा था कि उन्हें 5 लाख प्रति महीना सैलरी मिलती है जिसमें से पौने 3 लाख में टैक्स चला जाता है। अब, सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेताओं समेत कई लोग दावा कर रहे हैं कि राष्ट्रपति की सैलरी टैक्स फ्री होती है, तो पौने 3 लाख टैक्स कैसे दे सकते हैं। कई यूजर्स का कहना है कि प्रेसिडेंट्स इमोल्यूमेन्ट एंड पेंशन एक्ट 1951 के तहत राष्ट्रपति को टैक्स से छूट मिली हुई है।
देखें कुछ पोस्ट-
क्या है सच-हमने सबसे पहले प्रेसिडेंट्स इमोल्यूमेन्ट एंड पेंशन एक्ट 1951 को गूगल पर सर्च किया। सर्च रिजल्ट में हमें भारत सरकार की वेबसाइट
legislative.gov.in का एक पीडीएफ मिला। यह एक्ट राष्ट्रपति की सैलरी, इमोल्यूमेन्ट और रिटायरमेंट के बाद के फायदों के प्रावधान बताता है।
इस एक्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति की सैलरी 5 लाख प्रति महीना है, जिसे भारत के कंसोलिडेटेड फंड से दी जाती है। सैलरी के अलावा राष्ट्रपति को फ्री हाउसिंग और जिंदगीभर के लिए मुफ्त मेडिकल ट्रीटमेंट जैसे अलाउंस भी मिलते हैं। इस एक्ट में कहीं भी राष्ट्रपति की सैलरी को टैक्स फ्री करने का जिक्र नहीं है।
वहीं,
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 10 के मुताबिक, जिस इनकम को किसी कानून के तहत विशेष रूप से टैक्स से छूट नहीं मिली है, उस पर टैक्स देना होगा।
वेबदुनिया ने अपनी पड़ताल में पाया कि राष्ट्रपति की सैलरी को न तो इनकम टैक्स एक्ट 1961 और न ही प्रेसिडेंट्स इमोल्यूमेन्ट एंड पेंशन एक्ट 1951 टैक्स से छूट देता है।