प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लेह का दौरा किया था। इस दौरान वे गलवान की हिंसक झड़प में घायल हुए जवानों से मिलने आर्मी अस्पताल गए। हालांकि इस मुलाकात को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर मोदी की सैनिकों से अस्पताल में मुलाकात वाली तस्वीरें शेयर कर सवाल खड़े किए हैं कि ये अस्पताल जैसा लग नहीं रहा। लोगों ने यह भी कहा की यह मोदी द्वारा प्रायोजित फोटो-ऑप था। लोगों ने इस ओर सबका ध्यान आकर्षित करवाया कि उस अस्पताल में पोडियम, प्रोजेक्टर, स्क्रीन, फ्रेम्ड फोटोज हैं लेकिन मेडिकल साधनों की कमी है।
क्या है वायरल-
युथ कांग्रेस के राष्ट्रिय कैंपेन इन-चार्ज श्रीवत्स वाय.बी ने ट्वीट कर कहा कि पीएम मोदी ने कांफ्रेंस रूम को अस्पताल वार्ड कहा है।
वहीं, अभिषेक दत्त नामक यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘पर यह अस्पताल लग कहा से रहा है - ना कोई ड्रिप , डॉक्टर के जगह फोटोग्राफर, बेड के साथ कोई दवाई नहीं, पानी की बोतल नहीं? पर भगवान का शुक्रिया की हमारे सारे वीर सैनिक एक दम स्वस्थ हैं।’
क्या है सच-
हमने पड़ताल शुरू की तो हमें
भारतीय सेना की तरफ से इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण मिला। स्पष्टीकरण में लिखा है, ‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 03 जुलाई, 2020 को लेह के जिस जनरल अस्पताल में घायल सैनिकों को देखने गए थे, वहां उपलब्ध सुविधाओं की स्थिति के बारे में कुछ वर्गों द्वारा दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोप लगाए गए हैं। बहादुर सैनिकों के उपचार की व्यवस्था को लेकर आशंकाएं व्यक्त किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सशस्त्र बलों द्वारा अपने सैनिकों के उपचार के लिए हर संभव बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।’
स्पष्टीकरण में आगे लिखा गया है, ‘इस फैसिलिटी में 100 बेड हैं और ये जनरल अस्पताल कॉम्पलेक्स का हिस्सा है। इसी के साथ ये भी बताया गया कि जनरल अस्पताल के कुछ वार्ड्स को आइसोलेशन वार्ड्स में बदला गया है क्योंकि यहां कोरोना संक्रमित मरीजों का भी इलाज होता है। ये हॉल आमतौर पर ऑडियो-वीडियो ट्रेनिंग के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। घायल जवानों को गलवान से लाने के बाद से यहीं रखा गया है ताकी उनका संपर्क कोरोना मरीजों से न हो। आर्मी चीफ एमएम नरवणे और आर्मी कमांडर भी यहीं जवानों से मिलने आए थे।’
नीचे आधिकारिक ट्वीट में आर्मी प्रमुख एमएम नरवणे के लेह के आर्मी अस्पताल के दौरे की तस्वीरों को देखा जा सकता है। यह ट्वीट 23 जून का है।
भारतीय सेना की ओर से जारी स्पष्टीकरण के बाद ये साफ हो जाता है कि सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे सवाल गलत है।