नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव कार्यक्रम में किसी तरह के बदलाव से इंकार किया और तृणमूल कांग्रेस से कहा कि शेष तीन चरणों के चुनाव को एक साथ मिलाने का उसका सुझाव व्यावहारिक नहीं है।
आयोग ने पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रमुख अधीर रंजन चौधरी से कहा कि मुस्लिमों का रमजान का महीना समाप्त होने और महामारी कम होने के बाद राज्य में शेष चरणों के चुनाव कराने की उनकी मांग इसलिए स्वीकार्य नहीं है कि राज्य विधानसभा का कार्यकाल 30 मई को समाप्त हो रहा है और उससे पहले नई विधानसभा का गठन किया जाना है।
कांग्रेस नेता को बताया गया कि चुनाव के कार्यक्रम में किसी भी तरह का बदलाव चुनाव कराने के संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों पर असर डालेगा। चौधरी ने चुनाव आयोग को 19 अप्रैल को पत्र लिखकर चुनाव टालने का आग्रह किया था।
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ' ब्रायन द्वारा राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र के जवाब में आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून के विभिन्न प्रावधानों और कोरोनावायरस महामारी के परिप्रेक्ष्य में मतदाताओं की सुरक्षा के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का हवाला दिया और राज्य में चुनाव के कार्यक्रम में बदलाव से इंकार किया। पश्चिम बंगाल में छठे चरण का चुनाव जहां 22 अप्रैल को होना है वहीं सातवें चरण और आठवें चरण का चुनाव क्रमश: 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को होना है।
ब्रायन ने अपने पत्र में निर्वाचन आयोग से आग्रह किया था कि राज्य में छठे, सातवें और आठवें चरण के चुनाव को एक साथ कराया जाए और दावा किया कि राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों के पास 52 दिन चुनाव प्रचार करने के लिए थे।
निर्वाचन आयोग ने जवाब में कहा कि इस बार अतिरिक्त चरण के बावजूद चुनाव का कुल समय 2016 के चुनावों की तुलना में 11 दिन कम कर 66 दिन किया गया है।
कोरोनावायरस के मामलों पर टीएमसी की चिंताओं का जिक्र करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि उसने अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए चुनाव प्रचार का समय शाम सात बजे से सुबह दस बजे के बीच प्रतिबंधित किया है ताकि भीड़ को इकट्ठा नहीं होने दिया जाए। आयोग ने कहा कि उसने प्रत्येक चरण में चुनाव से पहले प्रचार समाप्त होने की अवधि को भी 48 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे कर दिया है। (भाषा)