संयुक्त किसान मोर्चा ने बंगाल समेत तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार को किसान आंदोलन की नैतिक जीत बताया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा है कि चुनाव परिणाम किसानों के आंदोलन की नैतिक जीत है और मतदाताओं ने एक सिरे से भाजपा की साम्प्रदायिकता और अनैतिक राजनीति व तीन खेती कानून को नकार दिया है। किसान संगठन ने एक बार फिर सरकार से तीनों कानून रद्द करने की मांग की है।
संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल नेताओं बलवीर सिंह राजेवाल,हनन मौला,जोगिंदर सिंह उग्राहां,जगजीत सिंह डल्लेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी,योगेंद्र यादव,युद्धवीर सिंह और डॉ दर्शन पाल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल के चुनाव परिणाम बताते है कि जनता ने भाजपा की विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति को खारिज कर दिया है। ऐसे गंभीर संकट के समय में जब देश अपने स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढाँचे के मामले में आपदा का सामना कर रहा है और ऐसे समय में जब लोगों को आजीविका के बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है,बीजेपी ने अपने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे को फैलाने की कोशिश की।
चुनाव आयोग पर संस्थागत हमले व मिलीभगत कर भाजपा ने चुनाव जीतना चाहा। चुनाव आयोग से अनैतिक व गैरकानूनी सहायता और चुनाव अभियानों में भारी संसाधनों को खर्च करने के बावजूद इन राज्यों में भाजपा की हार होना यह दर्शाता है कि नागरिकों ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों के इस एजेंडे को खारिज कर दिया है।
अब भाजपा की नैतिक जिम्मेदारी है कि आज के परिणामो को स्वीकार करें व किसानों से बातचीत कर तीन कृषि कानून रद्द करें व MSP की कानूनी गांरटी दे। हम एक बार पुनः स्पष्ट कर रहे है कि किसानों का यह आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक मांगे नहीं मानी जाती। साथ ही भाजपा व सहयोगी दलों का बॉयकॉट भी जारी रहेगा। सरकार किसानों मजदूरो को अपना दुश्मन बनाने की बजाय कोरोना महामारी व अन्य आर्थिक संकट से लड़े।
विभिन्न राज्यों के मतदाताओं ने भाजपा को दंडित करने के सयुंक्त किसान मोर्चा के अभियान को सफल बनाया है। भाजपा का यह एजेंडा बिल्कुल फेल रहा है जिसमें उन्होंने नागरिकों की आजीविका के मुद्दों -किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों और मज़दूर-विरोधी श्रम कोड को चुनावी मुद्दा ना बनाने में प्रयास किये।
मोर्चा ने पूरे देश के किसानों से अपील करते हैं कि वे अपने प्रतिरोध को मजबूत करें, और अधिक से अधिक संख्या में आंदोलन में शामिल हों। यह आंदोलन उन लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रसारित करना जारी रखेगा, जो हमारे संविधान की सुरक्षा करते है व उद्देश्यों को पूरा करते हैं। किसान अपनी मांगें पूरी होने तक खुद को और मजबूत करेंगे।.