महिलाओं के खिलाफ अपराध दिन ब दिन बढ़ते जा रहे हैं। महिलाओं को ज़रूरी काम से बाहर तो निकलना ही पड़ता है और कई बार टैक्सी में सफर करना पड़ता है। अगर देर शाम या रात के समय टैक्सी लेनी पड़े तो महिलाओं के मन में एक अनजाना डर रहता है। इस डर की वजह यह है कि टैक्सी में महिलाओं के साथ दुष्कर्म की या दुष्कर्म के प्रयास की कई घटनाएं हो रही हैं।
एक संस्था के सेक्सुअल हरासमेंट रोकने के लिए एक ट्रेनिंग कार्यक्रम में ट्रेनर ने महिलाओं को कैब में सफर करने के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बिंदु बताए, जो उनकी सुरक्षा से जुड़े थे।
ट्रेनर ने वहां मौजूद महिलाओं से पूछा, "एक किराए की कैब (टैक्सी) में बैठने के तुरंत बाद आपको क्या चैक करना चाहिए?" इसका जवाब था 'चाइल्ड लॉक़'।
पूरे कमरे में खामोशी छा गई और कोई कुछ नहीं बोला। ट्रेनर ने आगे कहा कि पिछले चार सालों में कैब में ड्राइवरों द्वार किए गए रेप और मोलेस्टेशन की घटनाओं में एक बात कॉमन थी। सारी पीड़ित महिलाएं ऐसी कार में थीं जिनमें चाइल्ड लॉक लगे हुए थे। ट्रेनर स्वयं वकील हैं और विशाखा गाइडलाइंस के ड्राफ्टिंग बोर्ड के सलाहकार भी हैं। इसके अलावा उन्होंने पीड़िताओं के केस भी लड़े हैं।
ट्रेनर ने सभी महिला साथियों को सलाह दी कि टैक्सी में बैठने दरवाजा बंद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें। इस बात को अपने साथियों तक भी पहुचाएं। सभी पुरूष अपनी दोस्तों, साथियों, बहनों, पुत्रियों, पत्नियों और अन्य महिलाओं को इस बात का ध्यान रखने की सलाह दें।
कारों के विषय में एक अन्य महत्वपूर्ण बात ऑटोमेटिक विंडों (अपने आप लगने वाले खिड़कियां) हैं। ड्राइवर अक्सर अपनी तरफ से इन्हें बंद रखते हैं क्योंकि अधिकतर कारों में टोटल लॉक बटन ड्राइवर वाले दरवाजे में होता है। इसको भी कार में बैठने पर चेक करें और उन्हें इसे खोलने को कहें। कार के हेडरेस्ट भी अलग हो जाकर ग्लास अंदर से तोड़ने के काम आ सकते हैं।
ट्रेनर ने कहा, ये सावधानियां रखकर महिलाएं कैब में संभावित खतरों से बच सकती हैं।