भोपाल महिला दिवस के मौके पर 'वेबदुनिया' आपको उन खास लोगों से रूबरू करवा रहा है जिन्होंने अपने काम और जुनून से अपनी एक अलग पहचान बनाने के साथ समाज को भी एक संदेश देने की कोशिश की है।
भोपाल में मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर की असिस्टेंट प्रोफेसर साक्षी भारद्वाज ने अपने पर्यावरण के प्रति प्रेम और जुनून के चलते अपने महज 800 स्क्वायर फीट की जगह में 450 किस्म के 4 हजार पौधों का एक सेल्फ सस्टेंड गार्डन बना डाला और जिसका नाम रखा 'जंगलवास'।
'वेबदुनिया' से बातचीत में साक्षी कहती हैं कि पौधों की हरियाली से मिलने वाले सुकून और थेरेपी के लिए शुरुआत में अपने घर में ऐसे पौधे लगाने शुरू किए जो शहर में नहीं मिलते थे। अपने खास प्रकार के 'जंगलवास' में साक्षी ने पश्चिम बंगाल, नागालैंड, थाईलैंड,इंडोनेशिया के पौधे भी वहां के जैसे वातावरण,सही टेंपरेचर और सोइल टेक्सचर की कंडीशन ग्रीन हाउस में बना कर उगाए हैं। साक्षी बताती हैं उन्होंने अपने कमरे में ह्यूमिडीफायर और ग्रो लाइट्स लगा कर पौधे लगाए हैं जिनको प्रोपोगेट करती है ।
'वेबदुनिया' के साथ बातचीत में साक्षी अपने सफर को बताते हुए कहती हैं कि "2020 के शुरुआत में सोशल मीडिया पर फिलोडेंड्रोंस फैमिली के पौधे देख कर एग्जॉटिक और रेेयर पौधे लगाने का शौक डेवलप हुआ। मैं पौधों के लिए सिट्रस फल या सब्जियों के छिलके से बायो - एंजाइम भी खुद ही बनाती हूं। और इसके अलावा वर्मीकंपोस्ट भी खुद ही बनाती हूं। जिसके लिए 3 पिट्स बनाई हैं। इससे न्यूट्रीशन मैं अपने पौधों को उनकी प्रजाति के अनुसार उसकी जरूरत के मुताबिक ही देती हूं। मैं मेडिसिनल पौधों अश्वगंधा, शतावरी की मदद से बायो रूटिंग हार्मोन बना रही हूं । इसे ही मैं अपने हाउस प्लांट्स की ग्रोथ के लिए इस्तेमाल करना चाहती हूं और कमर्शियली भी उपलब्ध करना चाहती हूं।"
अपने तरह के अलग और चैलेंज वाले काम के बारे में बताते हुए साक्षी कहती है कि शुरुआत में कोई भी काम आसान नहीं होता है मुझे भी बहुत सी समस्याएं आई। जैसे शुरुआत में बहुत रेयर पौधे खरीद लेती थी पर उनकी देखभाल करना नहीं आता था। ऐसे में बहुत सारे पौधे मर जाते थे। और मैं डांट से बचने के लिए उन्हें छुपा देती थी। रेयर पौधे काफी कॉस्टली आते हैं इसलिए मैंने रिसर्च करना शुरू किया और धीरे - धीरे करके इतने पौधे बना पाई। अब तो पापा के साथ मीटिंग करने के लिए आने वाले लोग भी यहीं बैठना पसंद करते हैं। यहां तक मेरे फ्रेंड्स भी रूम की जगह गार्डन में ही बैठते हैं। सिर्फ 800 स्क्वेयर फीट में 4000 पौधे लगाना आसान नहीं था। बहुत ज्यादा जगह नहीं होने के कारण मैंने वर्टिकल स्पेस बनाई है। वर्टिकल गार्डन में सिर्फ रेयर पौधे लगाए हैं, मेरे पूरे गार्डन में 4000 से ज्यादा पौधे हैं जो 450 अलग प्रजाति के हैं। इसके लिए मैंने एमपी में सबसे ज्यादा मिलने वाला बैंबू से वर्टिकल स्ट्रक्चर तैयार किए और उसमें पौधे लगाए।
साक्षी कहती है कि वह घर के कचरे और कबाड़ के उपयोग से पूरा गार्डन मेंटेन करते हैं। कचरे वाली गाड़ी में बहुत कम कचरा देते हैं। इसके अलावा नारियल के गोले में पौधे लगाती है जो एक मजबूत पॉट की तरह काम करने के साथ उसमें पानी भी ज्यादा समय तक ठहरने देता है। वह कहती है कि पहले मैं जमीन में सभी पौधे लगाती थी लेकिन अगल - बगल की मिट्टी में दीमक होने के कारण पौधे खराब हो जाते थे, इसलिए गमले में और नारियल के गोले में लगाना शुरू किया।
जॉब के साथ खूबसूरत गॉर्डन बनाने में समय कब मिल पाता है इस सवाल पर साक्षी कहती है कि यूनिवर्सिटी जाने से पहले 2 घंटे गार्डन में रहती हूं सुबह 6 से 8 बजे तक,इसके अलावा मम्मी बहुत हेल्प और केयर करती हैं सभी पौधों की। पौधों को प्लास्टिक कैन और बॉटल काट कर लगाने का आईडिया भी उन्हीं का था। फैमिली में सभी बहुत सपोर्टिव और हेल्पफुल हैं।
एग्जॉटिक व रेयर पौधों की एक खास वॉल- साक्षी के अपनी तरह के अनोखे सेल्फ सस्टेंड गार्डन 'जंगलवास' में एग्जॉटिक और रेयर पौंधों की एक खास वॉल भी है जिसमें 150 एग्जॉटिक पौधे हैं जो फिलोड़ेंड्रोन, मॉन्स्टेरा, बेगॉनिया, एपिप्रेमनम, क्लोरोफाईटम, अग्लोनेमा, परिवारों से हैं। अपने जंगल वाल की इस खास दीवार को साक्षी ने प्लास्टिक कैन और रिसाइकिल की हुए बॉटल और नारियल के गोले में रेयर पौधे लगाकर विशेष प्रकार से सजाया हैं।