दुनिया में ऐसा कोई विषय नहीं, जो महिलाओं की उपस्थिति से वंचित हो। घर से लेकर व्यवसाय और शिक्षा से लेकर राजनीति तक महिलाओं की दमदार उपस्थिति का इतिहास साक्षी रहा है। प्राचीन काल से लेकर अब तक राजनीति में भी महिलाओं ने यह साबित किया है कि वे गृहकार्य में जितनी निपुण हैं, राजनीति के क्षेत्र में भी उतनी ही कुशल भी।
महाभारत काल से लेकर वर्तमान में भी राजनीति में महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है। फिर चाहे बात भारतीय राजनीति की ऐतिहासिक महिलाओं में शुमार झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, गढ़मंडल की रानी अवंतीबाई, कित्तूर की रानी चेनम्मा, जीजाबाई, इंदौर की रानी देवी अहिल्या बाई, रजिया सुल्तान की हो या फिर विश्व राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली इजराइल की गोल्डा मायर, इंग्लैंड की मार्गरेट थेचर, श्रीलंका में श्रीमाओ भंडारनायके की।
भारतीय राजनीति में पुराने समय से ही महिलाओं का दखल रहा है। समय के साथ साथ हर राजनीतिक दल में महिलाओं की भूमिका विस्तृत हुई है। सरोजनी नायडु, इंदिरा गांधी जैसी महिलाएं राजनीति में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहीं। वर्तमान दौर में भी भारतीय राजनीति में महिलाएं अग्रणी हैं। महिला दिवस पर जानिए भारतीय राजनीति की ऐसी ही महिलाओं के बारे में....
1 सुषमा स्वराज - फिलहाल सुषमा स्वराज केंद्र सरकार में विदेश मंत्री हैं और हाल ही के सालों में उन्होंने विश्व के पटल पर भारत की आवाज उठाते हुए, देश की साख को और मजबूती दी है। सोशल मीडिया पर वे काफी सक्रिय हैं, जिसका फायदा उन्हें लोकप्रियता के मामले में भी मिला है और अब वे भारत ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय हैं। आपको बता दें कि सुषमा स्वराज पेशे से वकील हैं और एक बेहतरी वक्ता भी, जिनके देश ही नहीं विदेशों में भी लोग कायल हैं। उन्हें अच्छी वक्ता के रूप में जाना जाता है। हरियाणा में जन्मीं स्वराज का रुझान राजनीति की तरफ छात्र जीवन से ही था।
2 निर्मला सीतारमण - राजनीतिक जगत में एक और नाम निर्मला रमण का उभरा है, जो देश की पहली महिला रक्षामंत्री हैं और उन्हें पूर्णकालिक प्रभार दिया गया है। निर्मला सीतारमण भारतीय राजनीति में आने से पहले ब्रटेन में बतौर अर्थशास्त्री एवं कृषि इंजीनियरिंग फर्म में काम कर चुकी हैं। जवाहर लाल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए कर चुकी निर्मला सीतारमण ब्रिटेन से भारत लौटते ही भाजपा में शामिल हो गईं। डोकलाम विवाद के बाद जब रक्षामंत्री के तौर पर वे चीनी सैनिकों से मिली, तब भारत ही नहीं चीन में भी उनकी काफी तारीफ हुई।
3 स्मृति ईरानी - लोकप्रिय अभिनेत्री से राजनीति में आईं स्मृति ईरानी भाजपा की बड़े नेताओं के बीच अपनी अलग पहचान रखती हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुकी स्मृति ईरानी फिलहाल वे मोदी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ-साथ कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। कभी ज्योतिष को पत्रिका दिखाने के लिए तो कभी अन्य कारणों से वे विवाद में भी रहीं लेकिन जब टीवी पर बहस के दौरान विपक्षी द्वारा उन्हें नाचने गाने वाली कहा गया तो उन्होंने बेबाकी से इसका जवाब दिया, जो काफी चर्चा का विषय रहा। स्मृति एक बेहरीन वक्ता के रूप में भी जानी जाती हैं।
4 सोनिया गांधी - कांग्रेस पार्टी में एक सशक्त नेत्री के रूप में सोनिया गांधी का नाम अब कांग्रेस की पहचान है। गांधी परिवार की इस बहु ने जब 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभाली तब कांग्रेस बिखरी हुई थी। 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया ने कांग्रेस को एक करने का प्रयास किया। भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की ताकतवर महिलाओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को शुमार किया जाता है। कांग्रेस पार्टी के 125 सालों के इतिहास में पहला मौका है, जबकि कोई इतने लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर बना रहा।
5 मायावती - दलितों के मसीहा कहे जाने वाले कांशीराम ने उत्तरप्रदेश में 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की। उनकी राजनीतिक वारिस मायावती ने देश की पहली महिला दलित मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। मायावती पर भ्रष्टाचार के लगातार आरोप लगते रहे हैं। वे देश की सबसे अमीर मुख्यमंत्री होने के लिए भी जानी गईं। राजनीतिक पार्टी के नाम पर चंदा, भव्य तरीके से अपना जन्मदिन मनाने और राज्य में अपनी मूर्तियां बनवाने के लिए वे कड़ी आलोचना का शिकार भी हुई हैं। कई आरोपों और विवादों के बावजूद मायावती ने राज्य में अपना जनसमर्थन लगातार बढ़ाया है।
6 ममता बेनर्जी - इनका जीवन शोध का विषय माना जा सकता है। मामूली जीवन स्तर से शुरुआत करके उन्होंने बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री होने तक का सफर तय किया। ममता बेनर्जी ने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की और वे जल्द ही 70 के दशक में प्रदेश कांग्रेस की महिला इकाई में महासचिव बनीं। बाद में वे केंद्र सरकार में दो बार रेलमंत्री, कोयला मंत्री, मानव विकास संसाधन राज्य मंत्री रहीं। ममता ने साबित कर दिया कि अगर सच्ची लगन और समर्पण से काम किया जाए तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं।
7 शीला दीक्षित - उमाशंकर दीक्षित जैसे क्रांतिकारी के परिवार की बहु शीला दीक्षित का राजनीतिक जीवन बहुत लंबा है। उनके पति विनोद दक्षित आईएएस अधिकारी थे। शीला ने 1984 में उत्तरप्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। शीला लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं और केंद्रीय मंत्री के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाले के कारण शीला का नाम विवादों से भी जुड़ा, लेकिन राजनीतिक प्रतिष्ठा अब भी बरकरार है।
8 जयललिता - राजनीति में आने से पहले तमिल, तेलुगु, कन्नड और हिन्दी फिल्मों में काम कर चुकी जयललिता के लिए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनना किसी सपने की तरह रहा। कभी रुपहले पर्दे पर अपना जादू बिखेरने वाली जयललिता ने भारतीय राजनीति में कदम रखते ही इतनी तेजी दिखाई कि वे बहुत जल्द ही राज्य की मुख्यमंत्री बन गईं। पूर्व अभिनेता व राजनीतिज्ञ एमजी रामचंद्रन ने लगातार जयललिता को सहयोग किया। रामचंद्रन की मृत्यु के बाद जयललिता उनकी राजनीतिक वारिस के रूप में उभरीं और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के बाद गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुईं। आज भी उन्हें अम्मा के नाम ही जाना जाता है।