लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल के शुरू में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में 2017 के अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराने का प्रयास कर रही योगी आदित्यनाथ सरकार को, 2021 में गंगा में शव तैरने, लखीमपुर खीरी में गाड़ी से कुचल कर चार किसानों की मौत और सुर्खियों बटोरने वाली अपराध की घटनाओं ने लगातार विपक्ष के निशाने पर रखा।
राज्य सरकार महामारी की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन और बिस्तर की कमी जैसे मुद्दों से दो-चार हुई। इस दौरान गंगा में तैरते शव, लखनऊ में श्मशान घाट के दृश्य को अवरुद्ध करने के लिए टिन की चादरें लगाए जाने, श्मशान घाटों पर लंबी कतारें और अस्पतालों में कुप्रबंधन की तस्वीरें सरकार के लिए परेशानी का सबब तो बनीं, साथ ही देसी-विदेशी मीडिया की सुर्खियां भी बनीं।
बलिया और गाजीपुर जिलों में गंगा में शव तैरते देखे गए। स्थानीय निवासियों का मानना था कि शव कोविड-19 पीड़ितों के थे। हमीरपुर जिले के निवासियों ने यमुना नदी में भी कुछ शव तैरते देखे थे। मीडिया ने प्रयागराज में गंगा के तट पर रेत में दबे शवों के बारे में खबरें दीं और समाचार चैनलों ने इनकी तस्वीरें भी दिखाईं।
जब कोरोना वायरस की स्थिति में सुधार होता दिख रहा था, तब किसानों का तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन उत्तर प्रदेश में तेज हो गया। लखीमपुर खीरी जिले में तीन अक्टूबर को एक वाहन से कुचल कर चार किसानों की जान चली गई और इसके बाद हुई हिंसा में चार लोग और मारे गए। किसानों को कुचलने वाले वाहन के तार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष से कथित तौर पर जुड़े थे। आशीष मिश्रा को 12 अन्य लोगों के साथ इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले की गूंज संसद में भी हुई।
इस घटना के बाद शोक संतप्त किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए राजनीतिक नेताओं में होड़ लग गई। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी रात के अंधेरे में लखीमपुर के लिए निकलीं लेकिन उन्हें सीतापुर के पास रोक दिया गया। प्रियंका को पीएसी गेस्ट हाउस में 48 घंटे नजरबंद रखा गया और इससे पार्टी संगठन में जान आ गई। राहुल, प्रियंका, राकेश टिकैत समेत कई दिग्गजों ने घटना में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की। साल के आखिर में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पत्रकारों से भिड़ने की खबर भी सुर्खियों में रही।
लखीमपुर खीरी कांड से एक महीने पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पैतृक जिले गोरखपुर में कथित तौर पर पुलिस की पिटाई के कारण कानपुर के एक व्यापारी की मौत हो गई थी, लेकिन सरकार मृतक परिवार की मांगें मान कर स्थिति को संभालने में सफल रही।
अगले साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रदेश सरकार का विकास परियोजनाओं के उद्घाटन और नींव रखने का सिलसिला जारी है। पिछले दिनों वाराणसी में 700 करोड़ रुपये की लागत से बना काशी विश्वनाथ गलियारा, 341 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, कई मेडिकल कॉलेज, 594 किलोमीटर लंबे छह लेन के गंगा एक्सप्रेसवे का या तो उद्घाटन किया गया है या उनकी आधारशिला प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई है।
इन परियोजनाओं का श्रेय लेने के लिए मुख्य विपक्षी सपा और भाजपा में जमकर वाकयुद्ध भी हुआ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव दावा करते हैं कि अधिकतर योजनाओं की शुरुआत उनके शासनकाल में की गयी थी। भाजपा और सपा वोटों की लड़ाई के लिए अपने-अपने गठबंधन का विस्तार कर रहे हैं। सत्तारूढ़ भाजपा अपने पुराने सहयोगियों के साथ है, तो सपा छोटे दलों के साथ हाथ मिलाने की अपनी रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है।
अखिलेश यादव ने हाल ही में अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ भी संबंध सुधारे हैं, जिन्होंने पूर्ववर्ती सपा सरकार के आखिरी समय में अपना अलग राजनीतिक दल -प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना लिया था।
राज्य ने महामारी के बीच त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी देखा। अप्रैल-मई में चुनाव ड्यूटी के दौरान करीब 2,000 सरकारी कर्मचारियों की जान चली गई, जिनमें से कई तो स्कूल के शिक्षक थे। मई में अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई।
2021 के जाते जाते यूपी में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने दस्तक दे दी। राज्य की योगी सरकार ने सजगता दिखाते हुए नाइट कर्फ्यू लगाने का ऐलान कर दिया। बहरहाल चुनावी रैलियों में उमड़ी भीड़ ने सभी की चिंता बढ़ा दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तो चुनाव आयोग और सरकार से चुनाव रद्द करने की भी अपील कर दी।