कोलकाता: भारत के रिकर्व तीरंदाजों के लिये 2022 निराशाजनक रहा और एशियाई खेल स्थगित होने से उनकी वापसी की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया हालांकि कंपाउंड तीरंदाजों ने जरूर प्रतिष्ठा बचाने लायक प्रदर्शन किया।
ओलंपिक से एक बार फिर खाली हाथ लौटने के बाद राष्ट्रीय महासंघ ने बदलाव की शुरूआत करके एशियाई खेलों के लिये छह महीने पहले ही नयी टीम चुनी ताकि तैयारी बेहतर हो सके। कोरोना महामारी के कारण एशियाई खेल स्थगित होने से यह योजना भी धरी रह गई।
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों से निशानेबाजी को बाहर किये जाने के बाद एशियाई खेलों पर ही भारतीय तीरंदाजों की नजरें थी। इसके लिये तोक्यो से खाली हाथ लौटी दीपिका कुमारी और अतनु दास को टीम से बाहर किया गया था जबकि विश्व स्तर पर 25 पदक जीत चुके जयंत तालुकदार की पांच साल बाद वापसी हुई थी।
तालुकदार, सचिन गुप्ता और तरूणदीप राय को टीम में रखा गया था। वहीं महिला वर्ग में दीपिका की जगह 24 वर्ष की अंकिता भकत को मौका दिया गया था जिनके साथ पूर्व कैडेट और युवा चैम्पियन कोमलिका बारी और राष्ट्रीय चैम्पियन रिधि फोर टीम में थीं।
तीन विश्व कप में रिकर्व तीरंदाजों ने एक स्वर्ण, एक कांस्य और एक रजत पदक जीता। रजत पदक पेरिस में तीसरे विश्व कप में महिला टीम ने जीता। उसके बाद से दीपिका मातृत्व अवकाश पर थी। दीपिका की कमी टीम को बुरी तरह खली और महिला टीम अंताल्या में विश्व कप पहले चरण में कांस्य पदक ही जीत सकी।
पूर्व विश्व चैम्पियन और भारतीय ओलंपिक संघ की कार्यकारी समिति की नयी सदस्य डोला बनर्जी ने स्वीकार किया कि तीरंदाजों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।
उन्होंने कहा , सीनियर प्रभावित करने में नाकाम रहे और जूनियर तीरंदाजो से सीधे विश्व स्तर पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद करना बेमानी है।
कंपाउंड तीरंदाजों ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया। अभिषेक वर्मा ने विश्व कप के पहले तीन चरण में भारत को टीम वर्ग में मिले तीन स्वर्ण पदकों में सूत्रधार की भूमिका निभाई। मिश्रित टीम में उन्होंने ज्योति सुरेखा वेन्नम के साथ स्वर्ण पदक जीता।
मोहन भारद्वाज ने पेरिस में विश्व कप के तीसरे चरण में विश्व चैम्पियन निको वीनेर को हराकर रजत पदक हासिल किया। ऋषभ यादव किसी एलीट अंतरराष्ट्रीय इंडोर टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए जिन्होंने दुनिया के नंबर एक तीरंदाज माइक शोलेसेर को हराया।(भाषा)