Year Ender 2024 : दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 2021-22 की आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी और इससे जुड़े मामलों में सामने आए नाटकीय घटनाक्रम ने 2024 में राष्ट्रीय राजधानी की निचली अदालतों में सुर्खियां बटोरीं। देश में गिरफ्तार होने वाले पहले पदस्थ मुख्यमंत्री केजरीवाल को इस मामले में आरोपी बनाया गया है और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें 21 मार्च को हिरासत में लिया था तथा अगले दिन अदालत में पेश किया था। उन्हें पहले 28 मार्च तक तथा फिर एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
हालांकि विशेष न्यायाधीश न्याय बिंदू ने 20 जून को उन्हें जमानत दे दी थी और कहा था कि ईडी घोटाले में अपराध की आय के संबंध में उनके खिलाफ प्रत्यक्ष सबूत देने में विफल रही है। हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईडी के अनुरोध पर 21 जून को आदेश पर रोक लगा दी थी। इस घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में 26 जून को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने केजरीवाल को फिर से गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई द्वारा पूछताछ करने के बाद 29 जून को एक अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक को आखिरकार 12 जुलाई को ईडी मामले में और 13 सितंबर को सीबीआई मामले में उच्चतम न्यायालय से राहत मिली, जिसके बाद जेल से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया।
इसके अलावा, इसी शराब नीति मामले में इन एजेंसियों ने 15 मार्च और 11 अप्रैल को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता को गिरफ्तार किया था और इनसे जुड़ी अदालत की कार्यवाही भी सुर्खियों में रही। आखिरकार शीर्ष अदालत ने हस्तक्षेप किया और 27 अगस्त को दोनों मामलों में उन्हें जमानत दे दी।
एजेंसियों ने घोटाले में दक्षिण लॉबी की भूमिका की ओर इशारा किया। सीबीआई ने जुलाई में केजरीवाल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जबकि इससे पहले दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तेलंगाना की विधान परिषद की सदस्य कविता के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
इसी साल फोटोग्राफर अंकित सक्सेना का मामला तब समाप्त हो गया जब सात मार्च को दोषियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अंकित सक्सेना की 2018 में उनकी प्रेमिका के परिजनों ने दूसरे धर्म से संबंधित होने के कारण हत्या कर दी थी।
इन तीनों में उनकी प्रेमिका के माता-पिता अकबर अली और शहनाज़ बेगम तथा मामा मोहम्मद सलीम शामिल थे। एक मई को एक अदालत ने ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ मामलों में दायर आरोप पत्रों पर संज्ञान लिया।
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा नेता बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया और इस संबंध में शिकायत के बाद 21 मई को अदालत ने उनके खिलाफ संबंधित आरोप तय कर दिए। भूषण के अलावा डब्ल्यूएफआई के तत्कालीन सहायक सचिव एवं सह-आरोपी विनोद तोमर पर भी आरोप लगे थे। उन्होंने खुद को निर्दोष बताया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि के मामले में एक जुलाई को एक अदालत ने पांच महीने की साधारण कारावास की सजा सुनाई थी। यह मामला सक्सेना ने तब दायर किया था जब वह 23 साल पहले गुजरात में एक एनजीओ का नेतृत्व करते थे। हालांकि न्यायाधीश ने सजा को निलंबित कर दिया और उनकी अपील अदालत में लंबित है।
कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम को चीन वीजा घोटाला से जुड़े धन शोधन मामले में छह जून को जमानत दे दी गई। कांग्रेस के एक अन्य नेता जगदीश टाइटलर पर 1984 के सिख विरोधी दंगों में शामिल होने का आरोप है। 13 सितंबर को उनके खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय किए गए। उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है।
एक असामान्य स्थिति तब उत्पन्न हुई जब जेल में बंद एक राजनीतिक नेता ने 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग मामले में आरोपी इंजीनियर रशीद ने 2024 के आम चुनाव में जम्मू-कश्मीर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है। बाद में उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के वास्ते 11 सितंबर को अंतरिम जमानत दे दी गई। उन्हें दो अक्टूबर तक राहत दी गई थी, जिसे बाद में बढ़ा दिया गया और उन्होंने 28 अक्टूबर को आत्मसमर्पण कर दिया।
अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिका पर आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के अलग-अलग मामलों में आरोपी जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम और आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को अदालत से कोई राहत नहीं मिली।
हालांकि खालिद को दिसंबर में परिवार की शादी में शामिल होने के लिए सात दिन की जमानत दी गई। दंगों से जुड़े एक अन्य मामले में अदालत ने कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी और 11 अन्य के खिलाफ हत्या के प्रयास और गैरकानूनी ढंग से एकत्र होने के आरोप तय किए।
राजनीतिक नेताओं से जुड़े मामलों की सूची में “जमीन के बदले नौकरी” का मामला भी शामिल है, जिसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनके बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव और उनकी बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव शामिल हैं। इन सभी को विशेष अदालत से जमानत मिल गई है। लालू और उनके बेटों को सात अक्टूबर को जमानत मिली थी।
धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहे आप के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सत्एंद्र जैन को 18 महीने जेल में रहने के बाद 18 अक्टूबर को जमानत मिल गई। एक ऐसा फैसला जिसने काफी हलचल मचाई वह था आप विधायक अमानतुल्लाह खान की रिहाई। अदालत ने 14 नवंबर को उनकी रिहाई का निर्देश दिया, जबकि दिल्ली वक्फ मामले में अनियमितताओं के एक मामले में उनके खिलाफ दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour