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2024 में कमजोर हुआ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 'आभामंडल', 2025 में भी चुनौतियां कम नहीं

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वृजेन्द्रसिंह झाला

Challenges of Prime Minister Narendra Modi in 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए साल 2024 कुछ खास नहीं रहा। हालांकि साल के शुरुआत में उनका प्रभाव देश और दुनिया में नजर आया। लोकसभा चुनाव से पहले तो उनका 'आभामंडल' पार्टी से भी बड़ा दिखाई दे रहा था। जनवरी में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद न सिर्फ उनका बल्कि भाजपा का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था, यही कारण उन्होंने लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए 400 पार का नारा दे दिया। भाजपा ने अपने दम पर 370 सीटों लाने का दावा किया था। लेकिन, इन दावों की हवा निकल गई। काफी प्रयासों के बावजूद भाजपा 370 सीटें तो दूर की बात रही, बहुमत के आंकड़े से भी काफी पीछे रह गई।
 
लोकसभा चुनाव के बाद घटा लोकप्रियता का ग्राफ :  वर्ष 2014 में सत्ता संभालने के बाद मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर ही उठता गया। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तक यह ग्राफ ऊपर ही रहा। लेकिन, लोकसभा चुनाव के बाद के बाद ऐसा लगा कि कि उनकी लोकप्रियता में कमी आई। भाजपा बहुमत से दूर 240 सीटों पर ही सिमट गई, पीएम मोदी भी वाराणसी में अपनी बढ़त कायम नहीं रख पाए। 2019 की तुलना में उन्हें करीब 2 लाख वोट कम मिले। इतना ही नहीं उनके उठाए मुद्दों- मोदी है तो मुमकिन है, मोदी की गारंटी, कांग्रेस आई तो मंगलसूत्र छिन सकता है, जैसे जुमलों का मतदाताओं पर कोई असर नहीं हुआ। सरकार बनाने के लिए भाजपा को चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की मदद लेनी पड़ी। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भाजपा की सरकार होने के बाद पार्टी को लोकसभा चुनाव में कम सीटें मिलीं। ALSO READ: Year Ender 2024: आगाज अच्छा पर साल के आखिर में गच्चा खा गई कांग्रेस
 
हालांकि वर्ष के अंत में हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन के एक बार फिर भाजपा 'मोदीमय' हो गई है, लेकिन उनका 'आभामंडल' पहले जैसा नहीं रह पाया। हरियाणा में भाजपा ने पहली बार अपने बूते सरकार बनाई, वहीं महाराष्ट्र में पार्टी 132 सीटें जीतने में सफल रही। यह भाजपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा। 2014 में भाजपा ने 122 सीटें जीती थीं, जबकि 2019 में 105 सीटों पर विजय हासिल की थी। इन चुनावों के बाद मोदी की 'ताकत' में इजाफा जरूर नजर आया।
 
राजनीतिक चुनौतियां : नए साल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने राजनीतिक चुनौतियां भी कम नहीं होंगी। सबसे पहले जनवरी में भाजपा का अध्यक्ष का चुनाव है। यदि जेपी नड्‍डा की तरह ही कोई 'यसमैन' पार्टी अध्यक्ष बनता है, तो उनकी राह आसान होगी। यदि कोई 'ताकतवर' व्यक्ति भाजपा अध्यक्ष बन गया तो उनकी मुश्किलें बढ़ना निश्चित ही तय है। फरवरी 2025 में एक बार फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव की चुनौती रहेगी। यहां भी मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी। साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव का सामना करना होगा। इस चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर नीतीश से मतभेद होने की पूरी संभावना है। यदि भाजपा दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में सफलता हासिल करती है, तो निश्चित ही मोदी का कद बढ़ेगा। ALSO READ: Year Ender 2024: कनाडा, नेपाल और मालदीव से लेकर बांग्लादेश तक भारत के बिगड़े रिश्ते
 
'एक देश, एक चुनाव' का मामला संयुक्त संसदीय समिति को सौंप दिया गया है, लेकिन उसे संसद में पास कराना मोदी सरकार के लिए टेढ़ी खीर होगा। लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए सरकार को कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा। वर्तमान में राज्यसभा में 237 सदस्य हैं, इसलिए दो तिहाई सदस्य 158 का समर्थन जरूरी होगा। यह बिल यदि संसद से पास भी हो जाता है तो कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास करवाना जरूरी होगा। ऐसे में 2025 में तो इस बिल का पास होना मुश्किल ही लग रहा है। 
 
आर्थिक चुनौतियां : ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2024 की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी मजबूत स्थिति में थे, लेकिन साल के अंत तक उनके सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गईं। अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है, वैश्विक निवेशक पीछे हट रहे हैं और रुपए का मूल्य भी गिर रहा है। हालांकि इस सबके बावजूद भारत सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। पड़ोसी देशों में राजनीतिक घटनाक्रम भी भारत के विरोध में जा रहा है। उनकी छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचा है। ALSO READ: Year Ender 2024 : 2024 की Hottest Car जिन्होंने मचाई भारत में धूम, सस्ती के साथ फीचर्स भी दमदार

शेख हसीना के पतन के बाद बांग्लादेश भारत के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। वहां खुलकर भारत और हिन्दुओं का विरोध हो रहा है। बांग्लादेश और पाकिस्तान मिलकर भारत के खिलाफ नया 'गठजोड़' तैयार करने में जुटे हैं। चीन से संबंधों में सुधार तो हुआ है, लेकिन अभी और काम करना बाकी है। सीमा विवाद से जुड़े कई मुद्दों पर अभी दोनों देशों के बीच मतभेद हैं। मोदी के लिए 2025 का साल चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। 
 

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