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बस्ती और नौली क्रिया

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...शरीर को स्वस्थ्य और शुद्ध करने के लिए छ: क्रियाएँ विशेष रूप से की जाती हैं। जिन्हें षट्‍कर्म कहा जाता है। शरीरिक शुद्धि के बिना आसन-प्राणायाम का पूर्ण लाभ नहीं प्राप्त होता सकता है।

ये क्रियाएँ हैं:- 1. त्राटक 2. नेती. 3. कपाल भाती 4. धौती 5. बस्ती 6. नौली। इस बार जानें बस्ती और नौली क्रिया को।

बस्ती क्रिया : यह गुदा की सफाई के लिए प्रयु‍क्त किया जाता है। साधक तेल लगी हुई एक नलिका अपनी गुदा में डालकर घुटने तक भरे किसी साफ पानी के बड़े बर्तन में बैठकर उड्डीयानबंध लगाता है। जब वह उड्डीयानबंध खोलता है तो पानी उसकी गुदा की ओर बड़ी आँत में धीरे-धीरे भरने लगता है।

इसके बाद जब वह पुन: उड्डीयानबंध लगाता है तो उसके मल द्वार से पानी धीरे-धीरे बाहर निकलने लगता है। इससे बड़ी आँत और गुदा की सफाई हो जाती है तथा इनसे संबंधित रोग दूर होते हैं। एनिमा लेने से भी यह लाभ प्राप्त होता है।

एक दूसरे प्रकार की बस्ती भी है जिसे शुष्क बस्ती अथवा पवन बस्ती कहते हैं। बहनीसार धौती में जैसे बताया गया है उसी प्रकार लेट जाएँ। मल द्वार को अनेक बार संकुचित कर ढीला छोड़े। इससे शरीर की पाचन शक्ति बढ़ती है तथा शरीर मजबूत बनता है।

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नौली क्रिया : यह क्रियाओं में सर्वश्रेष्ठ है। यह पेट के लिए महत्वपूर्ण व्यायाम है। इससे भूख बढ़ती है। यकृत, तिल्ली और पेट से संबंधित अनेक बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इसके अभ्यास से प्रखर स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

1. उड्डियान बंध : मुँह से बल पूर्वक हवा निकालकर नाभी को अंदर खीचें यह उड्डीयानबंध है।
2. वामननौली : जब उड्डियानबंध पूरी तरह लग जाय तो माँसपेशियों को पेट के बीच में छोड़े। पेट की य माँसपेशियाँ एक लम्बी नली की तरह दिखाई पड़ेगी। इन्हें बाएँ ले जाएँ।
3. दक्षिण नौली : इसके पश्चात इसे दाहिनी ओर ले जाएँ।
4. मध्यमा नौली : इसे मध्य में रखें और तेजी से दाहिने से बाएँ और बाएँ से दाहिनी ओर ले जाकर माँसपेशियों का मंथन करें।

पुस्तक : आसन, प्राणायाम, मुद्रा और बंध (Yaga Exercises For Health and Happiness)
लेखक : स्वामी ज्योतिर्मयानंद
हिंदी अनुवाद : योगिरत्न डॉ. शशिभूषण मिश्र
प्रकाशक : इंटरनेशनल योग सोसायटी

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