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अब अंतरिक्ष में योग हो गया है जरूरी

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आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है। आधुनिक व्यथित चित्त या मन अपने केंद्र से भटक गया है। उसके अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होने में संतुलन नहीं रहा। अधिकतर अति-बहिर्मुख जीवन जीने में ही आनंद लेते हैं जिसका परिणाम संबंधों में तनाव और अव्यवस्थित जीवनचर्या के रूप में सामने आया है।
 
ऐसे समय जबकि जनसंख्या विस्फोट और भयानक युद्ध के बीच मान जब अंतरिक्ष में रहने लगा है और अब वह मंगल, चंद्र ग्रह या शनि के चंद्रमाओं पर बसने की सोचने लगा है तो इसके पीछे कई कारण है। लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि मनुष्य को अपना अस्तित्व बचाना है और नए ग्रह पर बसाहट करना है तो उस विज्ञान के साथ ही आध्यात्म का ऐसा रास्ता तलाशना होगा जो शरीर, मन और मस्तिष्क हो हर तरह के वातावरण में ढालने की तकनीक प्रदान करता हो। वर्तमान में योग ही ऐसा एकमात्र विकल्प है जो मनुष्य को अंतरिक्ष में भी लंबे समय तक जिंदा बनाए रखने में सक्षम है।
 
अंतरिक्ष में योग : योग का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि मनुष्य जाति को अब और आगे प्रगति करना है तो योग सीखना ही होगा। अंतरिक्ष में जाना है, नए ग्रहों की खोज करना है। शरीर और मन को स्वस्थ और संतुलित रखते हुए अंतरिक्ष में लम्बा समय बिताना है तो विज्ञान को योग की महत्ता और महत्व को समझना होगा।
 
भविष्य का धर्म : दरअसल योग भविष्य का धर्म और विज्ञान है। भविष्य में योग का महत्व बढ़ेगा। यौगिक क्रियाओं से वह सब कुछ बदला जा सकता है जो हमें प्रकृति ने दिया है और वह सब कुछ पाया जा सकता है जो हमें प्रकृति ने नहीं दिया है। अंतत: : मानव अपने जीवन की श्रेष्ठता के चरम पर अब योग के ही माध्यम से आगे बढ़ सकता है, इसलिए योग के महत्व को समझना होगा। योग व्यायाम नहीं, योग है विज्ञान का चौथा आयाम और उससे भी आगे। 

एक शोध : एक नए अध्ययन के अनुसार अंतरिक्ष मिशन के दौरान होने वाली शारीरिक समस्याओं से निपटने में योग मददगार साबित हो सकता है। नए अध्ययन के अनुसार योग से लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों के दौरान अंतरिक्षयात्रियों को रीढ़ की हड्डी में और कम चल फिर पाने से पैरों में समस्या होती है। लंबी अवधि तक अंतरिक्ष मिशनों पर रहने वाले अंतरिक्षयात्रियों के रीढ़ की हड्डी के पास की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
 
अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं के अध्ययन से अंतरिक्षयात्रा के दौरान अंतरिक्षयात्रियों के पीठ में दर्द के मामलों में वृद्धि को समझने का मौका मिला है। यूसी सैन डिएगो हेल्थ के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के पहले लेखक डगलस चांग के मुताबिक इस नयी खोज से डिस्क के सूजन पर माइक्रोगेविटी से जुड़े प्रभाव को लेकर वर्तमान सोच के बारे में फिर से सोचने का अवसर मिलता है।
 
उन्होंने कहा कि योग के जरिये इस तरह की समस्याओं से मुकाबला किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर चार से सात माह समय गुजारने वाले नासा के चालक दल के छह सदस्यों पर किए गए अध्ययन से यह बात निकलकर सामने आई है। इस अध्ययन का प्रकाशन स्पाइन जर्नल में हुआ है।

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