21 जून योग दिवस 2025: सूर्य नमस्कार करने की 12 स्टेप और 12 फायदे
, सोमवार, 16 जून 2025 (13:05 IST)
International Yoga Day 21 June : हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। इस योगासन को करने से करीब-करीब सही आसन पूर्ण हो जाते हैं, क्योंकि सूर्य नमस्कार में योग के लगभग सभी आसन समाए हुए हैं। सूर्य नमस्कार की 12 स्टेप को 12 बार करेंगे तो आपको 12 चमत्कारिक सेहत फायदे भी मिलेंगे। इसके नियमिकत अभ्यास से सदा निरोगी बने रह सकते हैं। आइए 21 जून, अंतरराष्ट्रीय योगा डे के इस खास अवसर पर आप भी यहां जान लीजिए सूर्य नमस्कार की 12 स्टेप को स्टेप बाइ स्टेप...
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सूर्य नमस्कार की सरल 12 विधियां:
1. सूर्य नमस्कार शुरू करने से पहले एक योगा मैट बिछा लें, यदि यह नहीं हो तो आप मोटी दरी या चादर बिछा लें। अब उस पर दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों। आखें बंद कर लें। ध्यान 'आज्ञा चक्र' पर केंद्रित करके 'सूर्य भगवान' का आह्वान 'ॐ मित्राय नमः' मंत्र के द्वारा करें।
2. श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं। ध्यान को गर्दन के पीछे 'विशुद्धि चक्र' पर केन्द्रित करें।
3. तीसरी स्थिति में श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुकाएं। हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें। घुटने सीधे रहें। माथा घुटनों का स्पर्श करता हुआ ध्यान नाभि के पीछे 'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें। कमर एवं रीढ़ के दोष वाले साधक न करें।
4. इसी स्थिति में श्वास को भरते हुए बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाएं। छाती को खींचकर आगे की ओर तानें। गर्दन को अधिक पीछे की ओर झुकाएं। टांग तनी हुई सीधी पीछे की ओर खिंचाव और पैर का पंजा खड़ा हुआ। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। ध्यान को 'स्वाधिष्ठान' अथवा 'विशुद्धि चक्र' पर ले जाएं। मुखाकृति सामान्य रखें।
5. अब श्वास को धीरे-धीरे बाहर निष्कासित करते हुए दाएं पैर को भी पीछे ले जाएं। दोनों पैरों की एड़ियां परस्पर मिली हुई हों। पीछे की ओर शरीर को खिंचाव दें और एड़ियों को पृथ्वी पर मिलाने का प्रयास करें। नितंबो को अधिक से अधिक ऊपर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाकर ठोड़ी को कण्ठकूप में लगाएं। ध्यान 'सहस्रार चक्र' पर केन्द्रित करने का अभ्यास करें।
6. श्वास भरते हुए शरीर को पृथ्वी के समानांतर, सीधा साष्टांग दंडवत करें और पहले घुटने, छाती और माथा पृथ्वी पर लगा दें। नितंबों को थोड़ा ऊपर उठा दें। श्वास छोड़ दें। ध्यान को 'अनाहत चक्र' पर टिका दें। श्वास की गति सामान्य करें।
7. इस स्थिति में धीरे-धीरे श्वास को भरते हुए छाती को आगे की ओर खींचते हुए हाथों को सीधे कर दें। गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। घुटने पृथ्वी का स्पर्श करते हुए तथा पैरों के पंजे खड़े रहें। मूलाधार को खींचकर वहीं ध्यान को टिका दें।
8. यह क्रिया पुन: पांचवीं स्थिति के समान ही करें।
9. तत्पश्चात यह क्रिया चौथी स्थिति के समान करें।
10. फिर यह क्रिया तीसरी स्थिति के समान अपनाएं।
11. यह क्रिया पुन: दूसरी स्थिति के समान करें।
12. सूर्य नमस्कार को पूर्ण चक्र में 12 स्थितियों को क्रम से दोहराया जाता है, यानी 12वीं क्रिया पहली स्थिति की भांति होगी तथा सूर्य नमस्कार की क्रिया पूर्ण हो जाएगी।
1. पूरे शरीर को स्वस्थ्य करता है: यह 12 आसनों का एक क्रम है जो लगभग हर प्रमुख मांसपेशी समूह को फैलाता है, मजबूत और टोन करता है।
2. रक्त परिसंचरण में सुधार: आसनों का प्रवाह और गहरी श्वास रक्त परिसंचरण को बढ़ाती है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व बेहतर तरीके से पहुंचते हैं।
3. पाचन में सुधार: आसनों के भीतर पेट के अंगों की मालिश होती है, जिससे पाचन तंत्र को उत्तेजना मिलती है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
4. वजन घटाने में सहायक: नियमित अभ्यास मेटाबॉलिज्म/ चयापचय को बढ़ाता है और कैलोरी बर्न करने में मदद करता है, जिससे वजन प्रबंधन में सहायता मिलती है।
5. लचीलेपन में वृद्धि: यह रीढ़, जोड़ों और मांसपेशियों के लचीलेपन को बढ़ाता है, जिससे शरीर अधिक सुदृढ़ और चोटों के प्रति कम संवेदनशील होता है।
6. तनाव और चिंता कम करता है: नियंत्रित श्वास और ध्यानपूर्ण गति मन को शांत करती है, जिससे तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
7. मानसिक एकाग्रता बढ़ाता है: श्वास और गति के समन्वय पर ध्यान केंद्रित करने से मन शांत होता है और एकाग्रता शक्ति बढ़ती है।
8. नींद की गुणवत्ता में सुधार: शारीरिक गतिविधि और मानसिक शांति का संयोजन बेहतर नींद को बढ़ावा देता है, जिससे अनिद्रा से पीड़ित लोगों को लाभ हो सकता है।
9. हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा: सूर्य नमस्कार का अभ्यास हृदय गति को बढ़ाता है और हृदय को मजबूत करता है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम कम होता है।
10. तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है: यह तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित और शांत करता है, जिससे शरीर के कार्यों को बेहतर ढंग से विनियमित करने में मदद मिलती है।
11. एंडोक्राइन ग्रंथियों को उत्तेजित करता है: सूर्य नमस्कार थायराइड, पिट्यूटरी और अधिवृक्क ग्रंथियों सहित विभिन्न एंडोक्राइन ग्रंथियों के कामकाज को उत्तेजित करता है, जिससे हार्मोनल संतुलन में मदद मिलती है।
12. आध्यात्मिक जागरूकता: यह शारीरिक अभ्यास से परे जाकर आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है, सूर्य (जो जीवन और ऊर्जा का स्रोत है) के प्रति कृतज्ञता और ब्रह्मांड के साथ जुड़ाव की भावना को बढ़ाता है।
इस तरह 21 जून, विश्व योग दिवस 2025 पर सूर्य नमस्कार का अभ्यास करके आप इन सभी लाभों को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भर सकते हैं।
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