विशेषता- निरंतर अभ्यास करते रहने से जिब जब लंबी हो जाती है, तब उसे नासिका रन्ध्रों में प्रवेश कराया जा सकता है। इस प्रकार ध्यान लगाने से कपाल मार्ग एवं बिंदु विसर्ग से संबंधित कुछ ग्रंथियों में उद्दीपन होता है। जिसके परिणामस्वरूप अमृत का स्राव आरंभ होता है। उसी अमृत का स्राव होते वक्त एक विशेष प्रकार का आध्यात्मिक अनुभव होता है। इस अनुभव से सिद्धि और समाधि में तेजी से प्रगति होती है।