चित्त के तीन अर्थ है उल्टा, मनस और निश्चय। इस मुद्रा को बनाने के बाद हथेलियों को उल्टा भूमि की ओर कर देते हैं। यह मन को काबू में करने वाली मुद्रा है इसीलिए इसे चित्त हस्त मुद्रा योग कहते हैं।
मुद्रा बनाने की विधि- दोनों हाथों की तर्जनी अंगुली को मोड़कर उसके प्रथम पोर को अंगूठे की जड़ से लगा दें। इससे इनके बीच में गोल सी आकृति बन जाएगी और फिर हथेलियों का रुख नीचे की ओर कर लें। इसी को चित्त मुद्रा कहते हैं।
इस मुद्रा का लाभ- वैसे ध्यान करने के दौरान इस मुद्रा का उपयोग किया जाता है। इसके अभ्यास से इससे नाड़ियों को लंबे समय तक मजबूत बने रहने की ताकत देता है। इससे मस्तिष्क को शांति मिलती है।