आपको लगता है कि आप बुरी आदतों के शिकार बन गए हो और आप उन्हें छोड़ना चाहते हो, लेकिन आप छोड़ नहीं पा रहे हो। जैसे तंबाखू, शराब, अति भोजन, क्रोध और नकारात्मक विचार। इन आदतों को छोड़ने के लिए जानिए 6 महत्वपूर्ण बातें।
तंबाखू और शराब के नशे के चलते व्यक्ति अति भोजन, तनाव, कुंठा, अवसाद, निराशा और नकारात्मक विचार से ग्रस्त हो जाता है। नकारात्मक विचार से जिंदगी में सबकुछ नकारात्मक ही होने लगता है। योग कहता है जैसी मति वैसी गति तो मति को बदलो। योग आपकी बुरी आदतों को छुड़ाने में आपकी मदद कर सकता है।
आपको करना क्या है?
1. अभ्यास से बनती हैं आदत : आदतें बनती है अभ्यास से। जैसे बार बार तंबाखू खाएंगे तो उसकी आदत लग जाएगी। जैसे मंत्र जपने का अभ्यास किया तो धीरे-धीरे मंत्र जपने की आदत पड़ जाएगी। फिर जब आप मंत्र नहीं भी जप रहे होंगे तब भी आपके मन में मंत्र चलता रहता है। तब सिद्ध हुआ की दोहराव से आदतों का जन्म होता है।
2. करें ये 3 कार्य : आपको बुरी आदतें छोड़ने के बजाया पहले अच्छी आदतों का अभ्यास करना होगा। जैसे आप संकल्प लें कि मैं रोज 2 मिनट का प्राणायाम करूंगा, 5 मिनट का ध्यान करूंगा और सूर्य नमस्कार की 2 स्टेप करूंगा। बस इसी की आदत डालना हैं। मन और भावनाओं पर विजय प्राप्त करने में योग के अतिरिक्त इस संसार में दूसरी किसी तकनीक से मदद नहीं मिल सकती। अपनी खोई हुई आत्मशक्ति को पुन: प्राप्त करने में योग एक रामबाण औषधि का कार्य करता है।
3. प्राणायाम का महत्व : जब भी आपकी तंबाखू खाने, शराब पीने या नकारात्मक विचार सोचने की इच्छा या क्रिया शुरू होती है तब आपके श्वासों की गति बदल जाती है। यदि आप इस पर ध्यान देगें तो जल्द ही समझ जाएंगे की प्रणायाम कितना जरूरी है। क्रोध आता है तब श्वासें तेज चलने लगती है और उसी वक्त आप जोर से सिर्फ एक बार भ्रस्त्रिका कर लेते हैं तो क्रोध तुरंत ही तिरोहित हो जाता है। इसी तरह जब आपका प्राणायाम का अभ्यास होगा तो फिर कुछ भी छोड़ने की जरूरत नहीं वह खुद ब खुद छूट जाएगा।
4. रिवर्स गियर्स : जिस तरह क्रमश: आदतों को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह क्रमश: उन्हें जीवन से अलग किया जा सकता है। मान लो कि आप पहले 1 दफे तंबाखू खाते थे और फिर अब 4 दफे तो 3, 2 और पुन: उसे 1 दफे पर लाकर छोड़ दें। यह बहुत आसान है। करने से ही होगा।
5. पवित्रता का सम्मान करें : आप पवित्रता के बारे में सोचे और सोचे कि क्यों आप अपने शरीर और मन को अपवित्र रखना चाहते हैं। पवित्रता सभी धर्मों का मूल है जिसे योग में शौच कहा जाता है। जब भी नकारात्मक विचार आएं आप तुरंत ही एक अच्छा विचार भी सोचे और इस तरह अच्छे विचार की आदत डालें। यदि आप निरंतर योग आसन और प्रणायाम, करते हैं तो यह बहुत आसान होगा।
6. ध्यान दें इन पर : अंतत: आदमी आदतों का पुतला है। चित्त पर किसी भी प्रकार की अच्छी और बुरी आदतों का जाल नहीं होगा तो चित्त निर्दोष और निर्मल रहेगा, जिससे शरीर और मन दोनों ही स्वस्थ्य अनुभव करेंगे। तो ध्यान दें अपने खान-पान, अपने व्यवहार और अपने विचार पर। तीनों को ही शुद्ध और बुद्ध बनाने का प्रयास करें। इनके शुद्ध होने से सेहत और खुशी दोनों ही आपको मिलेगी।