कोरोना वायरस (coronavirus) नामक महामारी से बचने के लिए इम्युनिटी बढ़ाने (Immunity power) के साथ ही फेफड़ों को मजबूत रखने और ऑक्सीजन लेवल ( Low Oxygen Level ) बढ़ाने की बात भी कही जाती है। कोरोना वायरस सचमुच घातक है, लेकिन इससे बचना भी बहुत आसान है। इससे संक्रमित लाखों लोग ठीक हो गए हैं। यदि आपने लोगों से मिलना-जुलना और भीड़ वाले क्षेत्र में जाना छोड़ दिया है तो सबसे बड़ा बचाव यही है। आओ जानते हैं ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के योगा टिप्स।
वायु भक्षण : वायु भक्षण का अर्थ होता है वायु को खाना। हवा को जानबूझकर कंठ से अन्न नली में निगलना। यह वायु तत्काल डकार के रूप में वापस आएगी। वायु निगलते वक्त कंठ पर जोर पड़ता है तथा अन्न नलिका से होकर वायु पेट तक जाकर पुन: लौट आती है।
लाभ : वायु भक्षण क्रिया अन्न नलिका को शुद्ध व मजबूत करती है। इससे फेफड़े भी शुद्ध और मजबूत बनते हैं।
सावधानी : यह क्रिया शुद्ध वायु में करें और यदि कंठ में किसी भी प्रकार की समस्या हो तो ना करें।
अन्य टिप्स : जिन लोगों को श्वांस लेने में दिक्कत हो रही है या फेफड़े पूरी तरह से काम नहीं कर रहे हैं तो वे डॉक्टर की सलाह से बेड या जमीन पर पेट के बल सोएं। ऐसा सोने से फेफड़े पूरी तरह काम करने लगते हैं और शरीर में ऑक्सीजन लेवल मेंटेन रहता है।
आप चाहें तो कर सकेत हैं भस्त्रिका प्राणायाम भी : भस्त्रिका का शब्दिक अर्थ है धौंकनी अर्थात एक ऐसा प्राणायाम जिसमें लोहार की धौंकनी की तरह आवाज करते हुए वेगपूर्वक शुद्ध प्राणवायु को अन्दर ले जाते हैं और अशुद्ध वायु को बाहर फेंकते हैं। सिद्धासन या सुखासन में बैठकर कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए शरीर और मन को स्थिर रखें। आंखें बंद कर दें। फिर तेज गति से श्वास लें और तेज गति से ही श्वास बाहर निकालें। श्वास लेते समय पेट फूलना चाहिए और श्वास छोड़ते समय पेट पिचकना चाहिए। इससे नाभि स्थल पर दबाव पड़ता है। इस प्राणायाम को अच्छे से सिखकर मात्र 30 सेकंड किया जा सकता है।
लाभ : भस्त्रिका प्राणायाम से शरीर को प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है जिसके कारण यह शरीर के सभी अंगों से दूषित पदार्थों को दूर कर फेफड़ों को मजबूत बनाता है। इसके कई लाभ हैं।
सावधानी : भस्त्रिका प्राणायाम करने से पहले नाक बिल्कुल साफ कर लें। भ्रस्त्रिका प्राणायाम प्रात: खुली और साफ हवा में करना चाहिए। क्षमता से ज्यादा इस प्राणायाम को नहीं करना चाहिए। दिन में सिर्फ एक बार ही यह प्राणायाम करें। किसी को कोई रोग हो तो यह प्राणायम योग शिक्षक से पूछकर ही करें।