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ये 10 असरकारक योगासन कर सकते हो वर्क डेस्क पर

हमें फॉलो करें ये 10 असरकारक योगासन कर सकते हो वर्क डेस्क पर

अनिरुद्ध जोशी

ऑफिस या घर की डेस्क पर कार्य करते हुए मन और शरीर दोनों पर प्रभाव पड़ता है। मन तनाव से ‍घिर जाता है तो शरीर में गर्दन, रीढ़, कंधे और आंखें अकड़न और दर्द का शिकार हो जाती हैं। तनाव जहां हमें कुंठा से ग्रस्त कर हमारे स्नायुतंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है वहीं सीट पर लगातार 8 से 9 घंटे बैठे रहने से गर्दन, कंधे और रीढ़ की हड्डी में अकड़न और दर्द पैदा हो जाता है। इसके अलावा व्यक्ति सिरदर्द, श्वास संबंधी रोग, कब्ज और अनावश्यक डर आदि का शिकार हो जाते हैं।
 
सर्वप्रथम आप चेयर्स पर सही मुद्रा में बैठना सीखें। आरामपूर्ण व सहज बैठने या खड़े रहने का सबसे अनिवार्य रूप से अभ्यास किया जाना चाहिए। अकसर हम सही मुद्रा में खड़े या बैठे नहीं रहने के कारण समस्याओं से घिर जाते हैं। इस कारण रीढ़ की हड्डी़, कंधे, गर्दन और आंखों में शिकायत का शिकार हो जाते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं योग के अंग सचालन और कुछ योगासन के बारे में।
 
1.अंग संचालन : इसे सूक्ष्म व्यायाम भी कहते हैं। अंग सचालन खड़े रहकर, बैठक और लेटक किए जाते हैं। इसके लिए आपके अपने हाथों की कलाइयों को, एड़ियों को, कमर को, आंखों की पुतलियों को, गर्दन को और कंधों को क्लाकवाइज एवं एंटी-क्लाकवाइज 4 से 5 बार घुमाते हैं।
 
आंखों को, जीभ को, हाथ-पैर की कलाइयों और पंजों को, कमर को, गर्दन को दाएं-बाएं और ऊपर-नीचे करते हुए गोल-गोल घुमाएं। हाथों की मुट्ठी को खोलें और बंद करें। इसी तरह पैरों की अंगुलियों की योगा एक्सरसाइज करें। दोनों कंधों को एक साथ कमर पर हाथेलियां रखते हुए क्लाकवाइज और एंटीक्लाकवाइज घुमाएं।
 
यह एक्सरसाइज पूरे हाथ-पैर, सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस, फ्रोजन सोल्डर, जोड़ों का दर्द, साइटिका, नेत्र रोग, तनाव, सिरदर्द, गर्दन का दर्द, कमर दर्द, पीठ दर्द, पेट के रोग, कमजोर बोन, कमजोरी, रक्त अशुद्धता, आलस्य, कब्ज आदि रोगों में लाभदायक है।
 
2. अंगड़ाई लेना : कानों को मरोड़ें, पूरा मुंह खोलकर बंद करें। अंगड़ाई आए तो उसको अच्छे से मजा लेते हुए करें।
बिल्ली या कुत्ते की तरह अंगड़ाई लेना भी एक प्रकार का योग है जिससे मांसपेशियों में खिंचाव होता है और वे फिर से तरोताजा हो जाती है।
 
3. हाथ पैरों की एक्सरसाइज : दाएं से बायां और बाएं हाथ से दायां कंधा पकड़कर उसे दबाएं। फिर दोनों हाथों से एक दूसरे हाथ की कलाई पकड़कर ऊपर उठाते हुए सिर के पीछे ले जाएं। श्वास अन्दर भरते हुए दाएं हाथ से बाएं हाथ को दाहिनी ओर सिर के पीछे से खीचें। गर्दन व सिर स्थिर रहे। फिर श्वास छोड़ते हुए हाथों को ऊपर ले जाएं। इसी प्रकार दूसरी ओर से इस क्रिया को करें।
 
4. पांच मिनट का ध्यान करें : समय हो तो मात्र 3 मिनट का ध्यान करें। इसे आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे। मानसिक द्वंद्व, चिंता, दुख: या दिमागी बहस शांत हो जाएगी और तनाव दूर होगा। तनावग्रस्त्र या ज्यादा सोचग्रस्त्र रहें तो ध्यान करते वक्त पेट और फेफड़ों की हवा पूरी तरह से बाहर निकाल दें और नए सिरे से ताजी हवा भरें। ऐसा पांच से छह बार करें।
 
5. झपकी ध्यान : जहां भी जैसी भी स्थिति में बैठे या खड़े हैं तो स्वयं को स्थिर करते हुए पूरी तरह से आंखें बंद करके सिर्फ एक मिनट का झपकी ध्यान करें। जब भी लगे की नींद सता रही है तो झपकी मार ही लें। इसमें सांसों के आवागमन को तल्लीनता से महसूस करें। गहरी-गहरी सांस लें। आठ घंटे की नींद से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है एक मिनट का यह झपकी ध्यान, जो मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ाता है और व्यक्ति को हमेशा तरोताजा रखता है। इससे मानसिक तनाव घटता है तथा आँखों को आराम मिलता है। इससे श्वास संतुलित बनती है और हृदय तथा फेंफड़ों में पुन: जाग्रति आती है।
 
6. तनाव : ऑफिस में तनाव होने के कई कारण हो सकते हैं। तनाव से निजात पाने के लिए मात्र 1 मिनट का अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें। नियमित अभ्यास करने से नकारात्मक विचारों और भावों को अपने पास फटकने न दें। अत्यधिक विचार, भीड़, शोर और प्रदूषण हमारे ‍मस्तिष्क की शांति को भंग करते हैं। अशांत और बेचैन रहने की भी आदत हो जाती है। उक्त आदतों से सिर्फ ध्यान और प्राणायाम ही छुटकारा दिला सकता है।
 
7. हस्त मुद्राएं : आप कम से कम 10 महत्वपूर्ण हस्त मुद्राएं सीख लें। यह बहुत ही काम की होती है। इससे शरीर में एक ओर जहां खून का संचरण सुचारू रूप से चलता है वहीं कई प्रकार के रोग दूर रोते हैं। यह करने में बहुत ही आसान होती हैं। घेरंड में 25 और हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन सभी योग के ग्रंथों की मुद्राओं को मिलाकर कुल 50 से 60 हस्त मुद्राएं हैं।
 
मुख्‍यत: दस हस्त मुद्राएं : उक्त के अलावा हस्त मुद्राओं में प्रमुख दस मुद्राओं का महत्व है जो निम्न है: -(1) ज्ञान मुद्रा, (2) पृथवि मुद्रा, (3) वरुण मुद्रा, (4) वायु मुद्रा, (5) शून्य मुद्रा, (6) सूर्य मुद्रा, (7) प्राण मुद्रा, (8) लिंग मुद्रा, (9) अपान मुद्रा, (10) अपान वायु मुद्रा।
 
8. कुर्सी पर आसन : आप घर या ऑफिस की कुर्सी (चेयर) पर मार्जरी-बितिलासन, ऊर्ध्व हस्तासन, उत्तानासन, उत्थित पार्श्वकोणासन, एकपद राजकपोतासन, गरुड़ासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, वीरभद्रासन, विपरीत वीरभद्रासन, पर्वतासन, ताड़ासान आदि आसन कर सकते हैं।
 
9. हास्य योग : हंसने का मौका कभी नहीं चूकना चाहिए। हास्य योग से आपका दिल, दिमाग और रक्त तो स्वस्थ और शुद्ध रहता ही है इससे पेट सहित संपूर्ण शरीर में खिंचाव होने से भीतर के अंग स्वस्थ होने लगते हैं। व्यक्ति बगैर किसी एक्सरसाइज़ के युवा बना रह सकता है। तो प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम और रात को सोने से पहले एक बार अकेले में और फिर सामूहिक रूप से खिलखिलाकर जोर से हँसे जरूर। यह मत सोचे की कोई क्या सोचेगा। सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग। हंसी तो संक्रामक रोग है इस रोग को जितना हो सके फैलाएं। ज्यादा से ज्यादा चुककुलों को अपने जीवन में सुने और सुनाए। बस।
 
10. नमस्कार मुद्रा और ताली : आप नमस्कार की मुद्रा में दोनों हाथों की हथेलियों को हल्का से प्रेशर दें अर्थात एक दूसरे को दबाएं। इससे आपके कंधे और गर्दन की नसें खुलेंगी और उनमें रक्त संचार अच्छे से होगा। दूसरा आप हथेलियों को बजाने के की बजाएं ठोंके इससे भी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
 
हमारे हाथ के तंतु मष्तिष्क के तंतुओं से जुड़े हैं। हथेलियों को दबाने से या जोड़े रखने से हृदयचक्र और आज्ञाचक्र में सक्रियता आती है जिससे जागरण बढ़ता है। उक्त जागरण से मन शांत एवं चित्त में प्रसन्नता उत्पन्न होती है। हृदय में पुष्टता आती है तथा निर्भिकता बढ़ती है। इस मुद्रा का प्रभाव हमारे समूचे भावनात्मक और वैचारिक मनोभावों पर पड़ता है, जिससे सकारात्मकता बढ़ती है। यह सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी लाभदायक है।

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