कुछ मीठा हो जाए...

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जिंदगी खूबसूरत है तो वह मीठी भी होना चाहिए। और मौका यदि फेस्टिवल का हो तो यह बात और भी जरूरी हो जाती है। मिठास हो तो जिंदगी के पल कुछ ज्यादा खूबसूरत, कुछ ज्यादा मधुर और कुछ ज्यादा यादगार बन जाते हैं। इसलिए अपने जीवन को मीठा बनाने के साथ ही यदि दूसरों का जीवन भी मीठा हो जाए तो क्या बात है। कैडबरी सेलिब्रेशन का एक टीवी एड शायद यही कहता है कि क्यों न कुछ मिठास हो जाए।

यह एक सुंदर एड है। मिठास के बहाने जीवन का उत्सव मनाता हुआ। यह कहता है- बताइए किसी अजनबी अनजान दोस्त को, कभी न हँसने वाली कविता मैडम को, यूँ यूँ करने वाले स्पाइडरमैन को, खुशखबरी लाने वाले को, दूल्हे के पापा को, दिवाली की रात ओवरटाइम करने वालों को- बताइए इस दिवाली आप किसे खुश करेंगे। कैडबरी सेलिब्रेशन एड का यही प्यारा-सा मधुरता भरा एड है- क्यों न कुछ मिठास हो जाए।

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वैसे एड की ये चंद पंक्तियाँ दिवाली के उपलक्ष्य में बच्चों के साथ बड़ों को चॉकलेट के रूप में कुछ गिफ्ट देने के बारे में बताती है, लेकिन इस विज्ञापन की हर पंक्ति में एक मार्मिक अर्थ भी छिपा है। इसे समझना होगा, क्योंकि दिवाली वह त्योहार है जिसमें अँधेरे से उजाले की ओर अग्रसर होने का संदेश मिलता है, वहीं इस विज्ञापन में हर लाइन हमें यह सिखाती है कि किसी भी तरह से दिवाली पर हम क्यों न दूसरों के जीवन में कुछ मिठास लाने की कोशिश करें।

कैडबरी चॉकलेट का यह विज्ञापन 50 सेकंड के छोटे-से लम्हों में भी हमें खुशि‍यों में कुछ मिठास भरने का नायाब तरीका बता रहा है। पुराने बिछड़े और रूठे हुए दोस्तों के साथ रिश्तों में मिठास भरने की कोशिश करना चाहिए। असली मिठास का जीवन में यही अर्थ है।
बस, जरूरत है तो हमें इस दिवाली पर इन लम्हों में से कुछ को चुनकर उन्हें हकीकत में आजमाने की।

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