भारतीय सर्वेक्षण विभाग

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास (भाग 5)

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विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्र संगठन -भारतीय सर्वेक्षण विभाग- सर्वे ऑफ इंडिया (एसओआई) की स्थापना 1767 में की गई थी। विभाग का विशेष दायित्व है कि देशभर में इलाकों को खोजा जाए और उनका मानचित्रण किया जाए ताकि समन्वित व तेज विकास के लिए मानक मानचित्र उपलब्ध हो सकें तथा सभी संसाधनों का उपयोग देश की वर्तमान और भावी प्रगति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए हो सके।

इस संगठन की मुख्य जिम्मेदारी 1:250 के, 1:50 के तथा 1:25 के स्केल में प्राकृतिक सर्वेक्षण करवाने की है। 1:250 तथा 1:50 के स्केल में पूरे देश में सर्वेक्षण किए जा चुके हैं तथा नवीनतम जानकारी के आधार पर मानचित्रों में परिवर्तन किए जा रहे हैं। 1:25 के स्केल में सर्वेक्षण राष्ट्रीय जरूरतों के आधार पर किए जाते हैं जिनका अंदाजा केंद्र/राज्य सरकारों तथा अन्य प्रयोक्ता एजेंसियों की प्रथामिकताओं से लगता है।

भारत सरकार की कार्यसूची नियम, 1971 में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की श्रेणी में आने के साथ-साथ यह संगठन अन्य कई गतिविधियां भी चलाता है, जैसे भू-भौतिकी अध्ययन, भूकंपशास्त्र संबंधी अध्ययन, हिमखंड विज्ञान अध्ययन, अंटार्कटिक जाने वाले भारतीय वैज्ञानिक अभियानों में हिस्सेदारी, डिजिटल कार्टोग्राफी से संबंधित परियोजनाएँ, डिजिटल फोटोग्रेमेटरी आदि ताकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास के अनुकूल मूल आँकड़े प्राप्त हो सकें।

इस संगठन ने प्राकृतिक नक्शों का डिजीटल कार्टोग्राफिकल डाटा बेस बनाने का काम भी शरू किया है। संगठन बड़े पैमाने पर विभिन्न विकास परियोजनाओं जैसे पनबिजली, सिंचाई, संग्रहण क्षेत्र, नहर क्षेत्र तथा छावनी क्षेत्र परियोजनाओं आदि के लिए सर्वेक्षण का काम करता है।

विभाग पर भारत की बाहरी सीमा तय करने, देश में प्रकाशित होने वाले मानचित्रों में उनको दर्शाने तथा अंतरराज्यीय सीमाओं को तय करने में सलाह देने की भी जिम्मेदारी है। सर्वेक्षण अध्ययन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा अनेक अन्य सर्वेक्षण प्रौद्योगिकी के बारे में भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्विपक्षीय कार्यक्रमों के अंतर्गत अन्य देशों को भी सहयोग देता है जैसे नाइजीरिया, अफगानिस्तान, कीनिया, इराक, नेपाल ,श्रीलंका, जिम्बाब्वे, भूटान, इंडोनेशिया, मॉरीशस आदि।

राष्ट्रीय एटलस एवं विषयक मानचित्रण संगठन
भारतीय सर्वेक्षण विभाग जहाँ मानचित्र कला की राष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, वहीं विभाग के तहत कार्यरत राष्ट्रीय एटलस एवं विषयक मानचित्रण संगठन विशेष उपभोक्ताओं की विशिष्ट विषय संबंधी नक्शों की जरूरत पूरी करता है। नेशनल एटलस एंड थिमैटिक मैपिंग आर्गेनाइजेशन अपना ध्यान स्त्रोत मानचित्रों को संबंधित सामाजिक-आर्थिक आँकड़ों के साथ जोड़ने पर भी देता है और उन्हें स्थानीय रूप से दर्शाता है ताकि विकासात्मक योजनाएँ बनाने में उनका उपयोग हो सके।

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