इंस्‍टि‍ट्यूट्स ऑफ फ्लॉरीकल्चर

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- जयंतीलाल भंडारी

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फूलों का कारोबार दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है इसलिए इसने रोजगार की संभावनाओं के द्वार भी खोल दिए हैं। आज हर जगह और हर अवसर पर फूलों की उपस्थिति आवश्यक हो गई है। शाद ी ह ो या बर्थड े पार्टी, गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड से मिलने जाना हो या किसी को श्रद्धांजलि अर्पित करनी हो, ओकेज न कोई भी हो, सभी प र फूलों का जमकर प्रयोग किया जाता है। यही नहीं, परफ्यूम इंडस्ट्रीज, फार्मास्यूटिकल सेक्टर और कॉस्मेटिक्स के लिए रॉमटेरियल के रूप में फूलों का बहुत प्रयोग हो रहा है।

कुछ विश्वविद्यालय सर्टिफिकेट व डिप्लोमा कोर्स भी कराते हैं। यही नहीं, दिल्ली की कुछ संस्थाएँ इस क्षेत्र में प्रशिक्षण भी देती हैं। आमतौर पर 6-7 माह के प्रशिक्षण के बाद इस कार्य को सीखा जा सकता है। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या बैचलर डिग्री कोर्स के लिए 12वीं और मास्टर डिग्री के लिए एग्रीकल्चर में बैचलर डिग्री का होना आवश्यक है।

फ्लॉरीकल्चर से संबंधित प्रशिक्षण कोर्स के लिए कोई औपचारिक योग्यता या आयु सीमा निर्धारित नहीं है, जो भी व्यक्तिइस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहता है, उसके लिए इस क्षेत्र के दरवाजे पूरी तरह से खुले हुए हैं। रोजगार की दृष्टि से यह क्षेत्र उजली संभावनाओं से भरा हुआ है।

कुछ प्रमुख इंस्‍टि‍ट्यूट्स हैं ये :

1. इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली।

2. इंस्टिट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

3. स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज, नासिक, महाराष्ट्र।

4. पॉलिटेक्निक स्कूल ऑफ हार्टिकल्चर, जूनागढ़ एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, जूनागढ़।

5. डिपार्टमेंट ऑफ बॉटनी, हिस्लोप कॉलेज, नागपुर।

6. जवाहरलाल नेहरू कृषि‍ वि‍श्ववि‍द्यालय, जबलपुर।

7. डॉ. यशवंत राव युनि‍वर्सि‍टी ऑफ हॉर्टीकल्‍चर एंड फोरेस्‍ट्री, सोलन, हि‍माचन प्रदेश।

8. हि‍माचल प्रदेश कृषि‍ वि‍श्ववि‍द्यालय, पालमपुर।

9. पंजाब एग्रीकल्चरल युनि‍वर्सि‍टी, लुधि‍याना।

10. गाँधी वि‍ज्ञान केंद्र, बेंगलुरु।

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