एक महानायक का शिखर

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अमिताभ बच्चन को ऑस्ट्रेलिया में डॉक्टरेट की उपाधि दी गई है। इसके पहले उन्होंने यह उपाधि लेने से इसलिए इंकार कर दिया था कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की थी और इसके विरोध में उपाधि लेने से इंकार कर दिया था। इसमें कोई दो मत नहीं कि विश्व सिनेमा में उनका योगदान अमूल्य है। यदि हॉलीवुड में क्लिंट इस्टवुड हैं, अल पचीनो हैं या जैक निकल्सन हैं, उनका बॉलीवुडीय जवाब है अमिताभ बच्चन।

बुड्‌ढा होगा तेरा बाप तक उनका फिल्मी सफर इस बात का सशक्त प्रमाण है कि उन्होंने समय के अनुसार अपने को बदला, नए से नए चरित्र को निभाने के लिए तत्पर रहे, नए से नए निर्देशक के साथ काम करने के लिए उत्साहित रहे। यही कारण है कि खास ध्यान में रखकर फिल्में बनाई जा रही हैं। वे जिस तरह जंजीर के जमाने में शीर्ष पर पहुंचे थे, आज वे करोड़पति के जमाने में भी शीर्ष पर हैं।
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