कृषि का सहायक लाभदायक व्यवसाय बकरी पालन

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- मणिशंकर उपाध्या य

कृषि को लाभदायक बनाने के लिए कई सहायक व्यवसाय जैसे पशुपालन, (गाय भैंस आदि), बकरी पालन, मधुमक्खी पालन, कुक्कुट पालन आदि अपनाए जा सकते हैं। इनमें से बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे कम लागत, कम पूँजी व अपेक्षाकृत कम जगह में किया जा सकता है। यह किसान को आर्थिक रूप से सुदृढ़ व शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

बकरी एक छोटा जानवर है, जिसे सरलतापूर्वक पाला जा सकता है। इन्हें दूध व मांस के लिए भूमिहीन तथा सीमांत कृषकों द्वारा पाला जाता है। बकरी की मेंगनी व मूत्र जो बिछावन पर एकत्र होते हैं, एक अच्छे खाद की तरह उपयोग में आते हैं। बकरी पालन पर केंद्र व राज्य शासन द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 25 से 33.3 प्रश तक अनुदान दिया जाता है। सही प्रशिक्षण, दिशा-निर्देश द्वारा इसे लाभदायक व्यवसाय बनाया जा सकता है।

इस व्यवसाय को लाभदायक बनाने के लिए सहकारी संस्था के माध्यम से उसके सदस्यों के रूप में या अपनी स्थिति के अनुसार अकेले इसे अपनाया जा सकता है। इसके कुछ मानक मापदंड हो सकते हैं।

* आर्थिक रूप से स्वावलंबी इकाई के लिए 95 बकरी और 5 बकरे होना चाहिए।
* औसत रूप से एक बकरी के लिए एक वर्गमीटर ढके हुए (कवर्ड) क्षेत्र की जरूरत होती है।
* इसी प्रकार प्रति बकरी 1.5 वर्गमीटर खुले क्षेत्र की आवश्यकता होती है।

* इस व्यवसाय में मूल्यह्रास (डिप्रिसिएशन) प्रति पशु 15 प्रश, इमारत (बिल्डिंग) पर 10 प्रश और उपकरणों पर 15 प्रश प्रतिवर्ष के हिसाब से निकाला जाता है।

* कमी के समय (लीन पीरियड) प्रति पशु दो किलोग्राम स्थानीय रूप से उपलब्ध दलहनी भूसा प्रतिदिन खिलाया जाना चाहिए। लगभग दो किलोग्राम दाने वाला चारा प्रति पशु दिया जाना चाहिए।

* पशु शावक (बकरी के बच्चे) को चार व पाँच माह की आयु 200 ग्राम पौष्टिक आहार (कांसंट्रेट्स) प्रति बच्चा और 300 ग्राम प्रति पशु गर्भ के समय से दो माह तक देना चाहिए। इसी प्रकार 500 ग्राम पौष्टिक आहार प्रति बकरा, जनन ऋतु (ब्रीडिंग सीजन) में दिया जाना चाहिए।

* बकरी के बच्चे के लिए माँ के एक थन का दूध छोड़कर शेष तीनों थनों का दूध निकाला लेना चाहिए। शेष तीन थनों का दूध बेचने के लिए निकाल लिया जाता है।

बकरी का मांस कम चिकनाई (फेट) वाला होता है। इससे साफ किया हुआ (ड्रेस्ट मीट) मांस लगभग 44 से 49 प्रश तक मिल जाता है। बकरी का दूध इन दिनों 12 से 15 रुपए प्रति लीटर बिक जाता है। लगभग 100 बकरियों के एक झुंड की देखरेख व साज-संभाल के लिए दो से तीन व्यक्ति पर्याप्त होते हैं। सामान्यतः बकरी के बच्चों की मृत्यु दर (मार्टेलिटी रेट) 10 प्रश होती है।

प्रजनन काल
बकरी एक साल की कम से कम 30 किलोग्राम वजन की हो जाने पर इनका प्रजनन कराया जा सकता है। यह कार्य दो साल में तीन बार कर सकते हैं। एक साल से कम आयु के बकरे को प्रजनन कार्य में नहीं लगाना जाना चाहिए। एक अध्ययन में पाया गया कि इसके लिए 2 से 3 वर्ष की आयु सबसे उपयुक्त होती है।

प्रति प्रजनन मौसम में एक नर बकरे का उपयोग 20-25 प्रजनन के लिए किया जाता है। यद्यपि आदर्श स्थितियों में एक बकरे का उपयोग साल में 50 से 70 बार तक संभव है। प्रजनन के लिए साल में दो मौसम मार्च से मई और सितंबर से नवंबर उपयुक्त बताए गए हैं। बकरियों में सेस्ट्रस सायकल प्रति 15 से 18 दिन का होता है। और 39 से 48 घंटे तक रहता है। बच्चे होने का अंतराल अलग प्रजातियों व किस्मों में आठ से नौ माह रहता है।

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