जेंडर स्टडीज : करियर की एक नई राह

- दीपिका शर्मा

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आधुनिक भारत में आजादी के बाद महिलाओं की शिक्षा को फिर से सही रास्ते पर लाने की विभिन्न प्रकार से कई कोशिशें की गईं। वर्तमान में, भारतीय सरकार ने देश की सभी महिलाओं को शिक्षा मुहैया कराने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। आज देखा जा सकता है कि महिला साक्षरता दर पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा हो चुकी है, क्योंकि भारत में महिला को शिक्षित करना एक अनिवार्य कदम हो चुका है।

इसी की वजह से आज भारत में महिलाएं विभिन्न कार्य क्षेत्रों एवं समाज में शीर्ष स्थानों पर काजिब हैं। वर्तमान में, भारतीय संविधान के तहत लड़के और लड़कियों दोनों के लिए 14 साल तक मुफ्त प्राथमिक शिक्षा का प्रावधान है। भारत में शिक्षा देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ऐसा भी माना जाता है कि महिलाओं को साक्षर करने का मतलब एक पूरे परिवार को शिक्षित करना भी है।

नारी उत्थान और इससे जुड़े सभी मुद्दे आज हर तरफ जोर पकड़ रहे हैं। कोई सामाजिक मसला हो या नारी से जुड़े हुए कानून, समाज में काफी जागरूकता देखी जा रही है। जेंडर स्टडीज एक ऐसा विषय है जो इस मुद्दे में काफी लाभप्रद हैं। यह सरकारी योजनाओं की एक जरूरत सी बन गई है और साथ ही उन छात्रों के लिए भी जो इस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं।

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इसलिए विश्वविद्यालयों में जेंडर स्टडीज के लिए आए दिन अलग-अलग विभाग खुल रहे हैं और उनमें तरह तरह के कोर्स भी कराए जा रहे हैं। इस कोर्स को करने वालों को आज स्वयंसेवी संगठन और सरकारी संस्थान करियर के नए अवसर प्रदान कर रहे हैं कहीं शोध के बहाने तो कहीं फील्ड वर्क के रूप में।

रोजगार और कार्य क्षेत्र
इस कोर्स को करने के बाद आज बड़ा अवसर विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के पास है। महिला सशक्तिकरण और उसकी योजनाओं से जुड़े एनजीओ के पास इस कोर्स के छात्रों की मांग अब खूब आ रही है। दूसरा सरकारी स्तर पर विभिन्न संस्थानों में प्रोजेक्ट के तहत जेंडर स्टडीज के विशेषज्ञों की जरूरत पड़ रही है।

दिल्ली सरकार ने भागीदारी स्कीम शुरू की है। इसमें महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं में जेंडर स्टडीज के विशेषज्ञों को काम करने का मौका मिलता है। इस कोर्स को करने के बाद रिसर्च संस्थाओं में भी काम किया जा सकता है। विभिन्न विश्वविद्यालय इससे जुड़े अलग से विभाग खोल रहे हैं। इनमें अध्यापन और प्रोजेक्ट से जुड़े काम में जेंडर स्टडीज के छात्रों को मौका दिया जा रहा है।

क्या है कोर्स
जेंडर स्टडीज पर आधारित कोर्स मुख्यतः तीन तरह के हैं। पहला सर्टिफिकेट कोर्स है। इसमें आम तौर पर जेंडर और इसके तहत महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास के अध्ययन की रूपरेखा बताई जाती है। समाज का ढांचा क्या है। वह पितृ सत्तात्मक समाज है या मातृ सत्तात्मक। उसमें महिलाओं की स्थिति क्या रही है। इन सब बातों से रू-ब-रू कराया जाता है।

समाज में महिलाओं के लिए क्या-क्या कानून बने हैं। उनके अधिकार क्या क्या है इन सब बातों की जानकारी दी जाती है। दूसरा डिप्लोमा कोर्स है जिसमें इन सब बातों को विस्तार दिया जाता है और डिग्री के स्तर पर इसे और भी गहन बनाया जाता है।

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पोस्ट ग्रेजुएशन में जेंडर स्टडीज के तहत औरतों को मुख्यधारा में कैसे लाया जाए। देश या किसी समुदाय में गरीबी रेखा से नीचे कितनी औरतें रह रही हैं। उनका विकास कैसे हो इन सब बातों पर जोर दिया जाता है। औरतें उद्यमी कैसे बनें। सरकारी नीति के स्तर पर इसे कैसे प्रभावी बनाया जाए इसकी रूपरेखा से अवगत कराया जाता है। इस क्षेत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों में एमफिल और पीएचडी भी अब खूब हो रहे हैं।

कैसे मिलेगा दाखिला
विवि स्तर पर सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स में दाखिला आमतौर पर स्नातक के बाद दिया जाता है। कहीं-कहीं साक्षात्कार की प्रक्रिया से तो कहीं अंकों के आधार पर। दिल्ली विश्वविद्यालय में वूमेंस स्टडीज एंड डेवलपमेंट सेंटर के तहत जेंडर एंड सोसायटी नाम से चलने वाले सर्टिफिकेट कोर्स में स्नातक पास छात्रों को साक्षात्कार के जरिए दाखिला दिया जाता है। एमए स्तर पर दाखिला कहीं सीधे, तो कहीं लिखित परीक्षा के बाद मिलता है।

कोर्स कराने वाले संस्थान
दिल्ली विश्वविद्यालय
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय
महात्मा गांधी हिन्दी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय
भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली

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