दुधारू बकरियों का चयन देखभाल और प्रबंध

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- डॉ. ओ.एन. सोलंक ी

इस आलेख के अंतर्गत दुधारू बकरियों के चयन-देखभाल और प्रबंध के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दे रहे हैं, जो बकरी पालकों के मार्गदर्शन में सहायक होगी।

चयन :
* दिखावट में हष्ट-पुष्ट। बाहरी या भीतरी रोग, चोट, सूजन, रत्राव आदि से मुक्त।
* शरीर लम्बा, तगड़ा और फानाकार।
* गर्दन लम्बी और पतली।
* टांगें सीधी, मजबूत और मोटी हड्डी वाली।
* त्वचा पतली और लचीली।
* थन लम्बा, पेट के साथ जुड़ा हुआ तथा जाँघ के नीचे बीच तक फैला हुआ। रचना नरम व स्पंजदार।
* बकरा (नर) पौरूषेय, जनन क्षमता और हष्ट-पुष्ट। शरीर लम्बा और बड़े आकार का। अण्डकोष जाँघों के बीच में ढीला लटका हुआ।

परिपक्वताः
* मादा- 15 से 18 महीने की आयु में। लगभग 2 वर्ष की आयु में पहली बार ब्याती है।
* नर- 1 वर्ष की आयु के बाद से प्रजनन के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। एक वर्ष में 75-100 मादा बकरियों के साथ समागम के लिए पर्याप्त है।

प्रजनन ऋतु :
* शीतकाल- नवम्बर से फरवरी, ग्रीष्म काल- मार्च से जून, वर्षाकाल जुलाई से अक्टूबर, अधिकांश गर्भाधान ग्रीष्म ऋतु में होता है।

गर्भाधान चक्र :
* ब्यात के 6 से 8 सप्ताह के अन्दर प्रत्येक 18-21 दिन के दौरान।

उत्तेजना कायम रहने की अवधि और लक्षण :
* 24 से 48 घण्टे बेचैन, बार-बार मिमियाना, लगातार तेजी से दुम हिलाना, भूख कम, दूध उत्पादन में गिरावट और कभी-कभी समलैंगिक कामुकता का प्रदर्शन।

गर्भाधान :
* कामोद्रेक के प्रथम लक्षण प्रकट होने के 10-15 घण्टे के बाद समागम अभीष्ट।

गर्भावस्था के लक्षण तथा शिशु जन्म की अवधि : ब्याने के कुछ दिन पहले थन बढ़ने लगता है। कूल्हे की माँसपेशियाँ रीढ़ के दोनों ओर माँसपेशियाँ पर झुकने, योनिद्वार बड़ा और झुर्रीदार होने लगता है। गर्भधारण के 145-152 दिन बाद ब्याने की आशा की जानी चाहिए।

शिशु जन्म और देखभाल :
* बकरी अपनी लेटी हुई स्थिति में मेमना जनती है।
* सामान्यतः मेमना अपना सिर अगले पैरों पर रखे हुए बाहर आता है।
* नव शिशु कोमाता स्वयं चाटकर साफ कर देती है। अन्यथा मेमने को मोटे कपड़े से पोंछकर सूखा दें।
* सुनिश्चित करें कि नव शिशु सामान्य रूप से श्वास ले रहा है।
* स्वस्थ मेमने जन्म के कुछ ही मिनटों में अपने फुर्तीले पैरों पर खड़े हो जाते हैं। दुर्बल मेमनों को सहारा देकर खड़ा करें और स्तनपान कराएँ।
* नए जन्मे मेमने को यथा सम्भव शीघ्री खीस (कोलस्ट्रम-पहला दूध) मिलना चाहिए।
* नर मेमने, जिन्हें प्रजनन के लिए पाला जाना हो, 3 माह की आयु से अलग रखा जाना चाहिए।
* मेमनों को अधिक ठण्ड वाले मौसम में गर्म जगह में रखा जाना चाहिए।

आवास :
* एक या दो बकरियों के लिए कोई विशेष आवास व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है। बकरियों के लिए आवासगृह महँगे होना भी आवश्यक नहीं है। वे स्वच्छ तथा भली प्रकार हवादार होने चाहिए तथा वायु के तेज झोंके और नमीरोधी होने चाहिए। उनमें गन्दे पानी, मल-मूत्रादि के निकासी की अच्छी व समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। 100 से 125 बकरियों के लिए 12 मीटर गुणा 18 मीटर के बाड़े पर्याप्त हैं।

आहार एवं देखभाल :
* स्वच्छता और पर्याप्त आहार का ध्यान रखें।
* दुधारू बकरियों को दिन में दो बार बराबर समय के अन्तर से दुहना चाहिए।
* दूध दुहने से पहले किसी मुलायम ब्रश या मोटे कपड़े से रगड़कर खरहरा करें।
* शरारती अथवा चंचल बकरी पर निगरानी रखें।
* बकरियों के खुर महीने में एक बार खुरकतरनी या तेज चाकू से सावधानी से काटकर एक-समकर देना चाहिए।
* नर बकरे का चेहरा और आगे की टांगें प्रतिदिन धोई जानी चाहिए।
* अन्य पशुओं की तुलना में बकरी को रोग लगने की कम सम्भावना होती है। परजीवी प्रकोप सामान्य रूप से अधिक होता है। अतः उन्हें नियमित रूप से कृमिरहित किया जाना चाहिए।
* संक्रामक रोगों के लिए टीके अनिवार्य रूप से लगाए जाने चाहिए।
बकरियों के दैनिक आहार की अनुसूची
श्रेणी शरीर का लगभग वजन सान्द्र आहार हरा चार ा
1. 2. 3. 4.
बढ़ती हुई बकरियाँ 15-20 300-400 1-2
वयस्क बकरियाँ 25-30 200-300 2-3
ग्याभिन बकरियाँ 25-30 200-300 2-3
गर्भावस्था के चौथे-पाँचवें
महीने में 100-200 ग्राम
अतिरिक्त
दुधारू बकरियाँ 25-30 200-300 2-3
प्रति एक किग्रा दूध उत्पादन
पर 400 ग्राम अतिरिक्त
सभी आयु वर्ग की बकरियों के लिए स्वच्छ पीने का पानी पर्याप्त मात्रा में दिन-रात उपलब्ध होना चाहिए।

मेमनों के दैनिक आहार की अनुसूची

आयु वर्ग शरीर का लगभग स्तनपान से दिए मेमना प्रेरक की हरा चारा
वजन (कि.ग्रा.) जाने वाले दूध दी जाने वाली दान (ग्राम)
की मात्रा (मि.ली.) की मात्रा (ग्राम)
1. 2. 3. 4. 5.
जन्म से 5 दिन तक 1.5-2 खुला स्तनपान - -
6 से 30 दिन तक 2-3 300-500 कुछ कुछ
30 से 60 दिन तक 3-5 400-500 50-100 कुछ
60 से 90 दिन तक 5-7.5 350-500 100-150 250
90 से 120 दिन तक 7.5-10 - 200-250 500
5 से 6 महीने तक 10-15 - 250-300 750

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