स्वाद, स्वास्थ्य एवं आय के लिए लगाएँ फल वृक्ष

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- मणिशंकर उपाध्याय

पिछले कुछ वर्षों से लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आई है। इसके कारण फलों की माँग बढ़ी है। कुछ फल वृक्ष ऐसे हैं, जिन्हें अपेक्षाकृत कम जगह में अपने घरेलू बगीचे या घर के सामने ग्रीन बेल्ट के लिए छोड़ी गई जगह में भी लगाया जा सकता है। ये हैं- अनार, चीकू, अंजीर, सीताफल आदि।

सीताफल : इसके पेड़ बीज से उगाए जाते हैं। पौधे नर्सरी में एक साल के होने पर मुख्य खेत में लगाए जाते हैं। इसके पौधे मिट्टी की किस्म के अनुसार जून-जुलाई या फरवरी-मार्च में कतार से कतार व पौधे से पौधे के बीच 4 या 5 मीटर की समान दूरी रखते हुए लगाए जाते हैं। लाल सीताफल और मेमाय इसकी प्रचलित किस्में हैं। इसमें 4-6 साल में फल लगने लगते हैं।

अनार : अनार के पेड़ों में तीन-चार साल में फल लगना शुरू हो जाते हैं। इसके पौधे नर्सरी में कलम से तैयार करते हैं। इसके लिए एक साल पुरानी शाखा से 30 सेमी लंबी कलम ली जाती है। अनार की उन्नत किस्में कंधारी, बेदाना, ढोलका, गणेश आदि हैं। एक पेड़ से 150 से 200 फल तक मिल जाते हैं।

चीकू : चीकू के पेड़ नम और गर्म वातावरण में अच्छे फलते-फूलते हैं। इनके लिए गहरी चिकनी मिट्टी अच्छी मानी जाती है। चीकू के पौधे भेंट कलम यानी इनार्चिंग या गूटी बाँधकर तैयार किए जाते हैं। भेंट कलम के लिए खिरनी का मूल वृंत तैयार करते हैं। काली पट्टी, छतरी और क्रिकेट बॉल इसकी प्रमुख किस्में हैं।

अंजीर : यह एक अच्छे स्वाद वाला पौष्टिक फल है। इसके ताजे व सूखे दोनों ही तरह के फल उपयोग में लाए जाते हैं। इसकी उन्नत किस्में पूना अंजीर व मार्सलीज हैं। एक पेड़ पर 200 से 300 फल मिलते हैं।

इन सभी में पहले से छठे साल तक 10, 20, 30, 40, 50 व 60 किलोग्रामा गोबर खाद डालें। इसी तरह प्रति पौधा नत्रजन क्रमशः 100, 150, 200, 400, 500 व 600 ग्राम का उपयोग करें। फास्फोरस 50, 100, 150, 200, 250 व 300 ग्राम डालें। पोटाश क्रमशः 100, 150, 200, 400, 500 और 500 ग्राम डालें। सभी का उपयोग फूल आने के बाद व फल आने के पहले करें।

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