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आजादी के 75 साल : आपातकाल और हरित क्रांति

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कमलेश सेन

वर्ष 1967 देश के लोकतंत्र के लिए एक नई लहर का साल था। देश के ख्यात नेता पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल एवं लालबहादुर शास्त्री का निधन हो चुका था और देश में चौथे आम चुनाव का वक्त आ गया था। ऐसे वक्त में कांग्रेस की कमान इंदिरा गांधी के हाथों में थी और चौथा चुनाव कांग्रेस ने उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा था। इस चुनाव में कांग्रेस का जनाधार कम हुआ और कुछ राज्यों में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा।
 
कांग्रेस का विभाजन : 1962 एवं 1965 में युद्ध एवं सूखे से देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इन सभी बातों का इन चुनाव पर असर पड़ा और विपक्षी दलों को चुनाव में कुछ हद तक विजय का स्वाद मिला। स्वतंत्र पार्टी और जनसंघ को चौथे आम चुनाव में सफलता हासिल हुई थी। कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला और इंदिराजी देश की प्रधानमंत्री बनीं। किसी भी देश में खाद्यान्न का उत्पादन और उस देश की स्वयं द्वारा पूर्ति कृषि क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि होती है।
 
भारत परंपरागत कृषि के लिए जाना जाता था। विश्व में हरित क्रांति के नायक नोरमल बोरलॉग थे। भारत में हरित क्रांति की शुरुआत सन् (1966-1967) में हुई थी जिसे प्रोफेसर नॉरमन बोरलॉग द्वारा शुरू किया गया था। भारत में इसकी शुरुआत एस. स्वामीनाथन ने की। इन्हें भारत में 'हरित क्रांति का जनक' कहा जाता है। हरित क्रांति से देश में उर्वरकों का प्रयोग और खेती में नए तरीकों का प्रयोग कर खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाने की ओर ध्यान केंद्रित किया गया और इसमें काफी सफलता हासिल हुई।
 
वर्ष 1968 में भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉक्टर हरगोविन्द खुराना को चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धि के नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई, यह भारत के लिए गर्व की बात थी। किसी भारतीय मूल के व्यक्ति को, जो अब विदेश में अन्य किसी देश का नागरिक था, उसे यह सम्मान हासिल हुआ।
 
1969 में महात्मा गांधी के बेटे रामदास गांधी का निधन हुआ था। देश की सबसे बड़ी और सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के आंतरिक विवाद के चलते पार्टी में विभाजन हो गया और कांग्रेस 2 भागों में विभाजित हो गई। जुलाई माह देश के आर्थिक इतिहास में मिल का पत्थर साबित हुआ और देश की 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। देश के राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के निधन के बाद वी.वी. गिरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया।
 
वर्ष 1970 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण को सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध करार दे दिया। इस अध्यादेश को राष्ट्रपति को भेजा गया जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी। पूर्व नरेशों को दी जाने वाली सुविधाओं को खत्म कर दिया गया था। जब देश में हरित क्रांति हो चुकी थी तो एक और दूसरी क्रांति श्वेत, यह दूध से जुड़ी है, वह भी इसी साल हुई थी। भारत कृषि प्रधान देश है और पशुधन हर किसान और ग्रामीण परिवार में दूध देने वाले पशु थे। 'ऑपरेशन फ्लड' जिसके जन्मदाता वर्गीज कुरियन थे, उन्होंने देश को दूध के मामले में अग्रणी बनाया।
 
1971 में देश में मध्यावधि चुनाव हुए और कांग्रेस को बहुमत मिला। इंदिरा गांधी पुन: प्रधानमंत्री चुनी गईं। इस चुनाव में विपक्ष का नारा था- 'इंदिरा हटाओ' और इंदिराजी का नारा था- 'गरीबी हटाओ'। इस चुनाव में इंदिराजी का स्लोगन वजनदार रहा। यह वर्ष पुन: देश की विदेश नीति के लिए निर्णायक साबित हुआ।
 
बांग्लादेश को लेकर भारत-पाक में पुन: विवाद हुआ, जो युद्ध में तब्दील हो गया। इंदिरा गांधी और भारतीय सेना के निर्णयों के आगे पाकिस्तान को हार स्वीकार करना पड़ी। भारतीय सेना के विमानों ने जबर्दस्त हमले किए। इस युद्ध में बांग्लादेश का जन्म हुआ और लगभग 1 लाख के करीब पाक सैनिक एवं उनके बंगाली सहायकों को युद्धबंदी बना लिया गया। पाकिस्तान सेना ने समर्पण कर दिया था और इस तरह यह भारत की बड़ी विजय थी।
 
1972 में पाकिस्तान युद्ध के बाद भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के मध्य शिमला में एक समझौता हुआ, जो 'शिमला समझौता' के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। स्वतंत्र पार्टी के संस्थापक और भारतरत्न से सम्मानित सीआर राजगोपालाचारी का इसी साल निधन हुआ।
 
1973- मैसूर का भारतीय इतिहास में एक अलग स्थान रहा है। इसका नाता राजे-रजवाड़ों से रहा है। इस राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक कर दिया गया।
 
1974- इसी साल भारत ने राजस्थान के पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण किया था और संपूर्ण विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। फखरुद्दीन अली अहमद देश के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। जून माह में आयोजित एक सभा में जयप्रकाश नारायण ने लाखों युवाओं के जनसमूह को पटना में संबोधित किया। ज्वलंत मुद्दों के साथ गांधी की नीतियों से नाराज जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का उद्घोष किया। इस संपूर्ण क्रांति की तूफानी लहरें दिल्ली के तख़्त तक पहुंचने लगीं और इंदिरा गांधी चिंतित हो गईं। इंदिराजी के विरुद्ध एक तरह से देश में तूफान-सा खड़ा हो गया था।
 
1975- देश वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा था। भारत द्वारा निर्मित मानवरहित उपग्रह आर्यभट्ट इसी वर्ष सोवियत संघ के स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था। अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की यह एक उपलब्धि थी। देश के इतिहास में वर्ष 1975 को हमेशा याद किया जाता है। यह साल भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिया एक काला अध्याय था। जून माह में देश के आंतरिक हालात का हवाला देते हुए इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था। विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी की गई, मीडिया पर सेंसरशिप लागु की गई। देश में कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। एक तरह से तानाशाही के दौर का आगमन हो गया था। 20 सूत्री कार्यक्रम की इंदिराजी ने घोषणा की।
 
1976- आपातकाल देश में लागू था और कानून का कठोर राज था। तानाशाही जारी थी। देश में जबरन नसबंदी के नाम पर सरकारी कर्मचारी के टारगेट के साथ सामान्य जनता भी परेशान थी।

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