तेजी से बढ़ रही है भारत की अर्थव्यवस्था, कैसे बनेगी 5 ट्रिलियन इकोनॉमी

नृपेंद्र गुप्ता
77th Independence Day: तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यस्था और दुनिया में बदल रहे आर्थिक समीकरण के चलते भारत के सामने अब 15 अगस्त आजादी के 77वें महोत्सव पर भारत के सामने अब 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य है। भारत इस चुनौती को कैसे पूरा कर पाएगा और क्या रहेगी भारत की योजना। इन्हीं सब सवालों को लेकर स्पेशल स्टोरी।
 
अगली शताब्दी भारत की होगी और आने वाले 10 साल मैं भारत सुपर पॉवर बनेगा। ऐसा लगता है कि हम 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करेंगे। लेकिन कब, इसका कोई फिक्स्ड पिरियड नहीं हो सकता। 3 साल में होगा या 5 साल में होगा। लेकिन यह निश्चित होगा। यह बात इनकम टैक्स विभाग के पूर्व प्रिंसिपल कमिशनर और IIST, IIP और IIMR जैसी संस्थाओं के डायरेक्टर जनरल अरुण एस भटनागर ने वेबदुनिया से खास बातचीत में कही।
 
वरिष्‍ठ अर्थशास्त्री भटनागर ने कहा कि यह सर्वविदित है कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। अंग्रेजों के साम्राज्य ने और उनकी नीतियों ने भारत के लघु और कुटीर उद्योगों को समाप्त किया। उस समय हमारी प्रति व्यक्ति आय 230 रुपए थी जो आज बढ़कर 1970 रुपए हो गई है। इसके बावजूद की हमारी जनसंख्या काफी बढ़ गई है, हमारे यहां आम आदमी का औसत स्तर पहले से बेहतर हुआ है।
 
-आजादी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था किस तरह आगे बढ़ी?
-वरिष्‍ठ अर्थशास्त्री ने भटनागर ने कहा कि मैं बहुत ही आशावादी हूं। जिस तरह से हम आगे बढ़ रहे हैं, ऐसा लगता है कि अगली शताब्दी हमारी होगी और आने वाले 10 साल में भारत सुपर पॉवर बनेगा।
 
-1947 में भारत की अर्थव्यवस्था कैसी थी और किस तरह से हम आगे बढ़े?
-उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है और कहा भी जाता था कि भारत सोने की चिड़िया है। अंग्रेजों के साम्राज्य ने और उनकी नीतियों ने भारत के लघु और कुटीर उद्योग को समाप्त किया। भारत का डिइंडस्ट्रियलाइजेशन कर दिया। अनुमान है कि पूरे गुलामी के पीरियड में हमारे यहां से करीब 45 ट्रिलियन डॉलर की कैपिटल चली गई। उस समय हमारी प्रति व्यक्ति आय 230 रुपए थी जो आज बढ़कर 1970 रुपए हो गई है। इस दौरान हमारी जनसंख्या काफी बढ़ गई है, हमारे यहां आम आदमी का औसत स्तर पहले से बेहतर हुआ है।
 
-5 ट्रिलियन इकॉनोमी का लक्ष्य भारत कब तक हासिल कर सकता है?
-पूर्व प्रिसिंपल कमिश्नर भटनागर ने कहा कि देखिए इसे अवधि से बांधना ठीक नहीं होगा। हम यह देखें की क्या कर चुके हैं और क्या कर रहे हैं? ऐसा लगता है कि हम इस लक्ष्य को हासिल करेंगे। लेकिन कब, इसका कोई फिक्स्ड पीरियड नहीं हो सकता। 3 साल में होगा या 5 साल में होगा। लेकिन निश्चित होगा।
 
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हम 3 रिवॉल्यूशन कर चुके हैं हरीत क्रांति, श्वेत क्रांति और ब्ल्यू क्रांति। केवल इकनॉमिक मापदंड मत देखिए। यह देखिए कि क्या लोगों के जीवन स्तर में परिवर्तन आया। जब देश आजाद हुआ तब लाइफ एक्सपटेंसी 32 साल थी जो अब 70 साल है। तो क्या यह एक मापदंड नहीं है।
 
जब हम आजाद हुए तब डेंटल कॉलेज 4 थे आज 323 है। 28 मेडिकल कॉलेज थे आज 618 है। 33 इंजिनियरिंग कॉलेज थे आज 6000 है। आज युवा वर्ग इंजिनियरिंग कॉलेज से मेडिकल कॉलेज से निकल रहा है वह हमारी शक्ति है। जब इतनी बढ़ी जनसंख्या आगे बढ़ेगी तो निश्चित तौर पर 5 ट्रिलियन इकनॉमी तो आएगी।
भटनागर जी ने बताया कि इंटरनेशनल इकनॉमिक रिसाइलेंस। उसमें भारत का स्थान नंबर 2 है। हमसे ऊपर केवल जर्मनी है। 2019 में हम उसमें 6 नंबर पर थे। तो सभी इस बात को मान रहे हैं कि भारत को स्वीकार करना ही उनका एकमात्र विकल्प है। चाहे USA हो या Russia। आज जिस प्रकार भारत ने विदेश नीति में अपना स्टैंड लिया और किसी दबाव में नहीं झुका वह इस बात का परिचायक है कि हम एक महाशक्ति बन चुके हैं। जल्द ही हमारी इकनॉमिक पॉवर दूसरों को दिखेगी।
 
हमें उन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है, जहां पर हम अभी भी विदेशों पर आश्रित है। हम ऑइल इम्पोर्ट करते हैं। पेट्रोलियम इम्पोर्ट कर रहे हैं, चिप्स या माइक्रो चिप्स का मामला है। इनमें स्टार्टअप्स शुरू हो, इनोवेशंस हो, सरकार इस दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है। मुझे अपनी युवा पीढ़ी से बड़ी उम्मीदें हैं। जो पढ़ रहे हैं उनमें आगे बढ़ने की लालसा है। हमेशा देश में जो सुधार लाता है वह मीडिल इनकम ग्रुप से जुड़ा व्यक्ति होता है। वह संख्या बहुत है।
 
-रुस यूक्रेन युद्ध समेत अंतरराष्ट्रीय पटल पर जो घटनाएं हो रही है उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
-उन्होंने कहा कि हम लोग हर समय एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे खास बात यह है कि हमारी आयात पर निर्भरता काफी कम है। हमारी देश में फूड इनसिक्योरिटी नाम की कोई चीज नहीं है जो अन्य देश फेस कर रहे हैं। बल्कि हम तो अनाज बाहर भेज रहे थे। सबसे बड़ा स्थायित्व यही है कि सभी को खाने को तो मिल ही रहा है। 
 
रूस यूक्रेन युद्ध से हमारी यहां क्या प्राबल्म आई? हालांकि कुछ वस्तुओं के दाम बढ़े हैं लेकिन इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय कारण है। पेट्रोल ही महंगा हो गया तो इसमें हम क्या करेंगे? जनता इस बात को समझ रही है। हो सकता है अंतरराष्ट्रीय कारणों से हमारी विकास दर थोड़ी कम हो जाए। क्राइसिस में ही अवसर निकलते हैं। हर क्राइसिस कुछ सीख देकर जाता है। हम फिर आत्मनिर्भर बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ाएंगे।
 
-भारतीय टैक्स सिस्टम कैसा है और इसमें सुधार की ओर क्या संभावनाएं हैं?
-भटनागर जी ने कहा कि मैं 1983 बैच का IRS हूं और यह कहते हुए मुझे गर्व हो रहा है ‍कि भारतीय आयकर विभाग ने जो सुधार किए हैं वो आशातीत है। घर बैठे रिटर्न मिल रहे हैं। बिना किसी हस्तक्षेप के रिटर्न आ रहा है। हर चीज ऑटोमैटिक रूप से सुचारू हो चुकी है। ज्यूरिडिक्शन लेस केसेस हो रहे हैं। यह सोचा भी नहीं जा सकता है। लगातार कर देने वालों की संख्या बढ़ रही है। आप देखिए GST कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है।
 
इसका मतलब है कि टैक्सेशन में हम सही दिशा में जा रहे हैं। जनता अपने कर्तव्यों को समझ रही है। टैक्स ना चुकाने की जो कॉस्ट है वह बहुत ज्यादा है। तो टैक्स कंपलायंस ही एकमात्र विकल्प है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो और राष्ट्र के निर्माण में अपनी सहभागिता दें।
 
-बहुत सारे लोगों की यह शिकायत रहती है कि हमसे ही क्यों टैक्स लिया जाता है? कई लोग टैक्स से बचने का भी प्रयास करते हैं?
-पूर्व आयकर अधिकारी ने कहा कि यह बड़ा भ्रम है कि बहुत कम लोग टैक्स दे रहे हैं। आप समझिए कि एक परिवार में 6 लोग है। सभी लोग तो टैक्स नहीं देंगे। इस तरह आप देखेंगे तो बहुत बड़ी पॉपुलेशन टैक्स दे रही है। यह बात भी है कि कुछ लोग टैक्स देने लायक नहीं है। हर वर्ग को अपना कॉन्ट्रिब्यूशन तो करना ही होता है। उनके लिए जिनके पास नहीं है, या जो लोग टैक्स नहीं दे रहे हैं उनकी कॉस्ट बहुत ज्यादा है। इसलिए बेहतर है कि वो टैक्स दें। अन्यथा परिणाम अच्छे नहीं है। आज की युवा पीढ़ी टैक्स देना चाहती है। वो किसी कॉम्प्लिकेशन में पढ़ना नहीं चाहती। बच्चों में अच्छी चेतना आई है।
 
-सोना चांदी शेयर बाजार, रुपया डॉलर क्या देश की प्रगति को परिलक्षित करते हैं?
-उन्होंने कहा कि सोना और चांदी को लोग हेजिंग की रूप में इस्तेमाल करते हैं। उनका मानना है कि अगर कोई समस्या होती है तो दादी मां का सोना तो काम आएगा ही। लेकिन वो अन प्रोडक्टिव है। घर में बंद रहता है, उसका कोई इस्तेमाल नहीं होता। आपने आय का 5-10 प्रतिशत इमरजेंसी के लिए रख लिया वहां तक तो ठीक है।
 
अब जो शेयर बाजार है वह बताता है कि बिजनेस एक्टिविटी बढ़ रही है। कभी भी फॉल्स भी होता है। शेयर बाजार में निवेश करते हैं उन्हें यही सलाह रहती है कि फंडामेंटल्स देखकर करें। यह आपका पैसा है और इसका सही इस्तेमाल आपको करना है। विशेषज्ञों से पूछकर ही बाजार में जाएं। जिन कंपनियों के फंडामेंटस स्ट्रांग है तो उनके शेयर गिर भी जाने हैं तो बढ़ेंगे ही। किसी तात्कालिक कारणों से उनके शेयर गिर जाते हैं तो यह निवेश के लिए गोल्डन अपॉरचुनिटी हो जाती है।

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