84 महादेव : श्री वीरेश्वर महादेव(46)

Webdunia
प्राचीन समय में अमित्रजित नाम का एक राजा था। वह प्रजा पालक था। उसके राज्य में कोई दुखी नहीं था। पूरे राज्य मे एकदशी का व्रत किया जाता था, जो व्रत नहीं करता था उसे दंड दिया जाता था। एक बार नारद मुनि राजा से मिलने आए। उन्होंने राजा से कहा कि माता विद्याधर की कन्या मलयगंधिनी को कंकाल केतु नामक दानव पाताल में चंपावती नगर में ले गया है। नारद ने कहा कि राजन तुम जाओ ओर कन्या को बचाओ। कंकाल केतु का नाश उसके त्रिशुल से होगा। तुम उससे युद्ध करो ओर वध कर कन्या के साथ पूरे विश्व का कल्याण करो। नारद की आज्ञा मानकर राजा चंपावती गया। राजा को कन्या ने देखा ओर उसे शस्त्रागार में छिपने के लिए कहा। इस बीच वहां दैत्य पहुंच गया, कन्या से कहा कि कल तुम्हारा विवाह होगा। यह कहकर वह सो गया।




राजा ने दैत्य को जगाकर उससे युद्ध किया ओर वध कर दिया। राजा और रानी दोनों अंवतिका नगरी में आकर शिव का पूजन करने लगे। रानी ने अभीष्ट तृतीया का व्रत कर पार्वती को प्रसन्न किया ओर शिव के अंश वाले पुत्र का वरदान प्राप्त किया। रानी ने पुत्र को जन्म दिया तो मंत्री ने कहा कि रानी यदि तुम राजा को चाहती हो तो इस पुत्र का त्याग कर दो। पुत्र अभुक्त मूल में पैदा हुआ है जो सर्वत्र नाश करेगा। रानी ने मंत्री के कहने पर पुत्र का त्याग कर दिया ओर पुत्र को विकटा देवी के मंदिर में रख आई। उसी समय वहां से योगिनियां आकाश मार्ग से गमन कर रही थी वे उसे अपने साथ लेकर आ गई। 16 वर्ष की आयु में राजकुमार अंवतिका नगरी में आया और शिव की तपस्या करने लगा। शिव प्रसन्न होकर शिवलिंग से ज्योतिरूप में प्रकट हुए ओर राजकुमार ने शिव से भवरूपी संसार से दूर करने का वरदान मांगा।

वीर बालक के पूजन के कारण शिवलिंग वीरेश्वर के नाम से विख्यात हुआ। इसके पश्चात राजकुमार ने संपूर्ण पृथ्वी पर साम्राज्य किया ओर अंतकाल में परमगति को प्राप्त हुआ। मान्यता है कि जो भी मनुष्य शिवलिंग के दर्शन कर पूजन करेगा उसके होम,दान,जप सब अक्षय होगे ओर अंत काल में परम पद को प्राप्त करेगा।

Show comments

किचन की ये 10 गलतियां आपको कर्ज में डुबो देगी

धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी के 12 पावरफुल नाम

रात में नहीं आती है नींद तो इसके हैं 3 वास्तु और 3 ज्योतिष कारण और उपाय

मोहिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें शुभ मुहूर्त

32 प्रकार के द्वार, हर दरवाजा देता है अलग प्रभाव, जानें आपके घर का द्वार क्या कहता है

Char Dham Yatra : छोटा चार धाम की यात्रा से होती है 1 धाम की यात्रा पूर्ण, जानें बड़ा 4 धाम क्या है?

देवी मातंगी की स्तुति आरती

Matangi Jayanti 2024 : देवी मातंगी जयंती पर जानिए 10 खास बातें और कथा

कबूतर से हैं परेशान तो बालकनी में लगाएं ये 4 पौधे, कोई नहीं फटकेगा घर के आसपास

Panch Kedar Yatra: ये हैं दुनिया के पाँच सबसे ऊँचे शिव मंदिर