शिक्षा जगत और वर्ष 2008

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साल 2008 की शुरुआत में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने घोषणा की थी कि यह साल आधुनिक विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति लाएगा। प्रधानमंत्री ने यह घोषणा जनवरी 2008 में विशाखापट्टनम में हुए 95वें साइंस कांग्रेस में की थी।

प्रधानमंत्री की इस घोषणा के बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर विश्वविद्यालयों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मौजूदा पाठ्यक्रम को बेहतर बनाने के साथ कई नए पाठ्यक्रमों के लिए भी प्रोत्साहित किया और वर्तमान में भी इस क्षेत्र में कार्य जारी है।

वर्ष 2008 शिक्षा के क्षेत्र के लिए अच्छा रहा। पिछले साल शिक्षा में आरक्षण और बढ़ती फीस और घटती सीट जैसे मुद्दे चर्चित रहे थे। इस साल मेडिकल, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के क्षेत्रों में कटऑफ ऊँचा रहने के बावजूद स्टूडेंट्‍स के पास कॉलेज चुनने के अपेक्षाकृत अधिक विकल्प रहे। साल 2008 का कमजोर पहलू रहा कि इस साल विभिन्न पाठ्यक्रमों में फीस में बढ़ोतरी हुई।

बायोटेक्नोलॉजी, एरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग, पॉलीमर साइंस, मैकेनिकल ऑटोमोबाइल, इंस्ट्रूमेंटेशन के क्षेत्रों में नए पाठ्यक्रम की शुरुआत ने स्टूडेंट्स के लिए विकल्पों में इजाफा किया।

एजुकेशन लोन- इस साल की शुरुआत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने एजुकेशन लोन पर रिस्क वेटेज कम किया। ‍आरबीआई ने एजुकेशन लोन पर रिस्क वेटेज 120 प्रतिशत के घटाकर 75 प्रतिशत किया। बाद में कई बैंकों ने एजुकेशन लोन पर ब्याज दर में कटौती भी की।

आरबीआई के इस कदम ने स्टूडेंट्स को मिलने वाले लोन की राशि में इजाफा किया। पहले की अपेक्षा एजुकेशन लोन मिलना आसान हो गया और इसकी राशि बढ़कर 7.5 लाख रुपए हो गई। विदेश में पढ़ने के लिए एजुकेशन लोन की राशि बढ़कर 15 लाख तक हो गई। बाद में बैंकों ने एजुकेशन लोन की राशि बढ़ाकर 25 लाख तक कर दी।

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