वर्ष 2009 में इक्विटी मार्केट के उतार-चढ़ाव

Webdunia
FILE
वर्ष 2009 इतिहास के एक नए दौर में प्रवेश करने के लिए तैयार है, क्योंकि इस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था और इक्विटी बाजार इस सहस्राब्दि के सबसे भयावह आर्थिक संकट के दौर से निकल कर बाहर आ गया है।

पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष इक्विटी बाजार में सुधार होने के बाद भारतीय बाजार में आश्चर्यजनक तरीके से सुधार हुआ है। अमेरिकी की वित्तीय संकट से उत्पन्न तीव्रगामी गिरावट के फलस्वरूप वैश्विक वित्त बाजार अवरुद्ध हो गया था और गंभीर तरलता संकट पैदा हो गया था। इससे निपटने के लिए वैश्विक सरकारों ने काफी शीघ्रता से कदम उठाया और मुद्रा के मोर्चे पर ब्याज दर कम कर के तथा धन की आपूर्ति बढ़ाकर और राजकोषीय मोर्चे पर प्रभावी पैकेजों के माध्यम से अभूतपूर्व और सहयोगात्मक क्रियान्वयन का बिगुल फूँका, इससे वित्तीय बाजार में आत्मविश्वास वापस आना शुरू हुआ और तरलता का प्रवाह सरल होने लगा।

इसके फलस्वरुप अंतरराष्ष्ट्रीय निवेशकों के संकट की आशंका समाप्त होने लगी तथा इक्विटी और संकटग्रस्त परिसम्पत्ति वर्ग ने विशेष रुप से उदीयमान बाजार में एक तीव्र रफ्तार हासिल की। यद्यपि ऐसा अनुमानित था कि उदीयमान बाजार वैश्विक आर्थिक गतिविधियों (महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों में सुधार का संकेत मिला है) के अग्रिम मोर्चे पर पूरी जीजीविषा के साथ खड़ा रहेगा और यह महत्वपूर्ण आगमों का साक्षी रहा, जिसका नतीजा एक प्रभावशाली प्रदर्शन के रुप में हमारे सामने आया है।

इसी परिदृष्य को प्रतिबिंबित करते हुए विश्व की दूसरी सबसे तेजी से विकसित होने वाली अर्थव्यवस्था भारत पिछले वर्ष के निर्गम की अपेक्षा सशक्त आगम की साक्षी रही है। पिछले 9 महीनो में सेंसेक्स और निफ्टी दोनो प्रमाण-चिन्हों ने सशक्त आगम का दर्शन किया और 90 प्रतिशत से अधिक के सुधार के साथ क्षति में महत्वपूर्ण सुधार किया है। यदि वर्ष 2009 में बजट पर दृष्टिपात करें तो भारतीय स्टाक बाजार के प्रदर्शन में एक प्राकृतिक प्रगति दृष्टिगत होती है। हालाँकि हममें से अनेक इस रैली के महत्वपूर्ण भाग से वंचित रहे हैं और यह रैली हममें से प्रत्येक के लिए एक सीख के समान रही है। इस दौरान जो महत्वपूर्ण अध्याय सीखने को मिला है वह यह है कि एक निवेशक को बाजार के समय निर्धारण की गलती नहीं करनी चाहिए, बल्कि निवेश करने के दौरान मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

बाजार के मूल्यांकन के पिछले स्तर पर दृष्टिपात करने पर, जो कि वर्ष 2009 के प्रारंभ में अपने सबसे खराब स्तर पर था, यह पता चलता है कि वित्त वर्ष 2010 की 9.6 गुना अधिक की वृद्धि अनुमानित रही है तथा यह 10 प्रतिशत की आय वृद्धि प्रदान करती है, जो बांड यील्ड से कहीं अधिक उच्च है। इसने इस अवधि में इक्विटी में निवेश के लिए प्रेरक के रुप में कार्य किया है। दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि बाजार की नुकसानदेह परिस्थितियों तथा कार्यकरण को समय से पहले महसूस कर लेना है। इस प्रकार भारतीय आर्थिक गतिविधियों में सुधार के साथ कारपोरेट लाभोन्मुखता उन हासिल की गयीई आयों पर वास्तविक स्थिति से बेहतर छूट की भागीदारी बनी है। इस प्रकार, हालाँकि लघु अवधि में बाजार असाधारण उथल-पुथल के दौर से गुजरा है तथा इस दौरान मूल्यों का आकलन मुश्किल रहा है एवं साथ ही मौलिक मूल्यांकन की प्रक्रिया भी धाराशायी हो गई है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें सुधार का लक्षण दिखाई देना प्रारंभ हो गया तथा बाजार के आन्तरिक मूल्यों में उल्लेखनीय सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। निष्कर्षतया हम अपने समय के सबसे महान निवेशकों में से एक वारेन बूफेट की सलाह पर गौर फरमा सकते हैं- जब अन्य लोग लालच दिखाएँ तो भयभीत हो जाइए और जब अन्य भयभीत हो जाएँ तब आप लालच प्रदर्शित कीजिए। यह इक्विटी बाजार में निवेश का एक बुद्धिमानी भरा सिद्धांत है।

दिनेश ठक्कर, सीएमडी एंजेल ब्रोकिंग

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रसोई की इन 7 चीजों में छुपा है आपका स्किन ब्राइटनिंग सीक्रेट, तुरंत जानें इनके बेहतरीन फायदे

Health Alert : कहीं सेहत के लिए हानिकारक तो नहीं है सहजन की फली?

सॉफ्ट आटा गूंथने के 4 सही तरीके, रोटियां बनेंगी फूली हुई और मुलायम

आपके घर के किचन में छुपा है आयल फ्री त्वचा का राज, जानिए ये होममेड क्लींजर बनाने का तरीका

ऑफिस में बनाना चाहते हैं बढ़िया इमेज तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां

सभी देखें

नवीनतम

एक हफ्ते में कम करना चाहते हैं वजन तो ये डिटॉक्स डाइट अपनाएं, तुरंत दिखेगा असर

बदलते मौसम में एलर्जी की समस्या से हैं परेशान? राहत के लिए अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक उपाय

ठंड के सीजन में फटने लगी है त्वचा? तो अपनाएं सबसे असरदार और नैचुरल उपाय

भारतीय लोगों पेट के आस-पास चर्बी क्यों जमा हो जाती है? जानें कारण और समाधान

सुबह की एलर्जी और बंद नाक से राहत का अचूक प्राकृतिक उपाय है कपाल रंध्र धौती, जानिए कैसे है ये फायदेमंद