अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम – 2009

- वेबदुनिया डेस्क

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वर् ष 2009 यू ँ त ो क ई अच्छ ी- बुर ी घटनाओ ं क ा साक्ष ी बन ा, लेकि न श्रीलंक ा मे ं वर्षो ं स े सक्रि य लिट्‍ट े विद्रोहियो ं क ा इ स वर् ष सफाय ा ह ो गय ा सा थ ह ी उनक े नेत ा प्रभाकर ण क ो भ ी श्रीलंका ई सेन ा न े मौ त क े घा ट उता र दिया । ला ल ची न न े भ ी ओलिंपि क क े माध्य म स े अपन ी ताक त क ा प्रदर्श न किया । अमेरिक ी राष्‍ट्रपत ि बरा क ओबाम ा क ो शांत ि क ा नोबे ल पुरस्का र मिलन ा भ ी चर्च ा क ा विष य रहा । भार त औ र ची न क े बी च भ ी सीम ा विवा द क ो लेक र छिटपु ट तकरा र देखन े क ो मिली ।


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लिट्‍टे का सफाया : श्रीलंका में लिट्‍टे प्रमुख वी प्रभाकरण की मौत के बाद श्रीलंका सरकार ने संगठन के सफाए का दावा किया और कहा कि तमिल ईलम के लिए दशकों से चल रहा हिंसक आंदोलन का अंत इसके मुखिया की मौत के साथ हो गया है। लिट्‍टे के हिंसक आंदोलन में 70 हजार से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी थीं और माना जाता है कि पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या में भी इसी संगठन का हाथ था।

लाल चीन का बढ़ता दबदबा: एक अक्टूबर 2009 को साम्यवादी चीन ने अपनी स्थापना की 60 वीं वर्षगांठ मनाई और इस अवसर पर भव्य आयोजन किया गया। बीजिंग ओलिम्पिक आयोजन के बाद यह चीन का एक और भव्य आयोजन था जिसमें चीन ने अपनी प्रगति और सैनिक सामर्थ्य का नमूना पेश किया।

चीन के शि‍नजियाँग प्रांत साम्प्रदायिक दंगा हुआ जिसमें डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई। मुस्लिम बहुल इस प्रांत में चीन के हान समुदाय के लोगों के साथ संघर्ष होता रहा है लेकिन यह पहला अवसर था जब चीन में हुए इतने बड़े साम्प्रदायिक दंगे की खबर सारी दुनिया में उजागर हुई।

शस्त्रविहीन विश्व का सपना: वर्ष के दौरान अमेरिका और रूस ने अपनी शिखर बैठक में परमाणु शस्त्रों की संख्या में कटौती का नया समझौता किया। दोनों देशों के बीच यह शिखर बैठक आठ वर्ष बाद हुई। बराक ओबामा रूसी राष्ट्रपति मेदवेदेव से मिलने मास्को पहुँचे थे।

एक दुखद घटना में दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति रोह मू हाइन ने आत्महत्या कर ली। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे। मई में उत्तरी कोरिया ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया।

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तानाशाह पर नकेल: पाकिस्तान में पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ न्यायाधीशों को अवैध रूप से कैद में रखने का मामला दर्ज किया गया लेकिन इस मामले या अन्य किसी मामले में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हो पाती वे पाकिस्तान से बाहर चले गए। फिलहाल वे विदेशों में ही रह रहे हैं। जबकि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने विमान अपहरण मामले में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आरोप मुक्त भी कर दिया।

फ्लू का फैलता दायरा: सारी दुनिया में इस वर्ष स्वाइन फ्लू का व्यापक असर ‍देखा गया और समूची दुनिया के देशों में हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई। इस बीमारी के चेतावनी लेवल को बढ़ा दिया गया है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन को आशंका है कि अगर इस महामारी पर काबू नहीं पाया जा सका तो सारी दुनिया में लाखों की संख्या में लोगों की मौत हो सकती है। भारत में भी सौ से ज्यादा संख्या में लोगों की मौत हो चुकी है।

फिलीस्तीन के गठन के लिए इसराइल ने जो शर्तें रखीं उन्हें फिलिस्तीनियों ने नामंजूर कर दिया। फिलिस्तीनियों का कहना है कि शर्तें व्यवहारिक नहीं हैं और इन्हें पूरा नहीं किया जा सकता है।

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जलवायु परिवर्तन पर खींचा ध्यान: विश्व में मालदीव ने जहाँ समुद्र के भीतर अपनी कैबिनेट की बैठक की थी वहीं जलवायु परिवर्तन पर दुनिया का ध्यान खींचने के लिए नेपाल ने माउंट एवरेस्ट पर अपने मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की। जलवायु परिवर्तन पर होने वाले कोपेनहेगन सम्मेलन से पहले चीन और भारत ने विकसित देशों के दबावों का सामना करने के लिए समझौता किया और एक संयुक्त कार्य दल का गठन किया। इनके साथ जी 77 देश भी हैं जोकि किसी भी बाध्यकारी समझौते का विरोध कर रहे हैं।

कैद में आजादी की किरण: म्यांमार की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सूकी को चौदह वर्ष से नजरबंद रखा गया है लेकिन इस वर्ष उन्हें नजरबंदी तोड़ने के लिए 18 माह की सजा और सुना दी गई है। हालाँकि अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देश उनकी रिहाई के लिए सक्रिय हैं लेकिन सैनिक शासन पर उनके दबाव का कोई असर नहीं है।

सीमा की समस्या: सीमा विवाद हल करने के लिए इस वर्ष भी भारत-चीन वार्ता का तेरहवाँ दौर चला लेकिन इस बीच यह खबरें भी आती रहीं कि चीनी सैनिक विभिन्न स्थानों पर सीमा का उल्लंघन कर भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ करते रहे हैं। हालाँकि काश्मीर घाटी में इस वर्ष आतंकी घटनाएँ कम हुई पर घुसपैठ और मुठभेड़ो में वृद्धि हुई।

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आतंक के चेहरे: जुलाई 2009 में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सीरियल विस्फोट हुए जिनमें कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई। आतंकी हमला भारी सुरक्षा वाले अमेरिका में भी प्रवेश कर ‍गया जब 3 अप्रैल, 2009 को अमेरिका के बिंघमटन में एक आतंकवादी ने अंधाधुंध गोलियाँ चलाकर तेरह लोगों की हत्या कर दी।

दुनिया में बढ़ रहे कट्‍टरपन का एक और नमूना पाकिस्तान में देखने को मिला जब मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि यहाँ रह रहे सिखों से जजिया कर वसूला जा रहा है। हालाँकि एक ओर अमेरिकी ड्रोन हमले में तहरीक ए तालिबान के प्रमुख बैतुल्ला महसूद को मार गिराया गया लेकिन पाकिस्तान में वर्ष भर फिदायीन हमलों का जोर रहा है।

सुलगता पश्चिम एशिया: निरंतर संघर्ष का क्षेत्र बने रहे पश्चिम एशिया में दिसम्बर 2008 से शुरू हुआ 22 दिनी युद्ध जनवरी 2009 के दूसरे सप्ताह तक चलता रहा। इस युद्ध के दौरान तेरह सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। बाद में संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी दबाव में युद्ध पर रोक लगी।

बांग्लादेश में बगावत : वर्ष के शुरुआत में बांग्लादेश राइफल्स में विद्रोह हुआ। 25 फरवरी को वेतन, भत्तों की माँगों की अनदेखी से नाराज जवानों ने अपने 77 बड़े अधिकारियों की हत्या कर दी। इस विद्रोह को दबाने के लिए सेना को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी थी लेकिन बीडीआर विद्रोह के देश के अन्य हिस्सों में फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री को विद्रोहियों को आम माफी की घोषणा करनी पड़ी थी।

जैसी करनी वैसी भरनी: आतंक फैलाने की नीति पर चलने वाले पाकिस्तान को अपने ही देश में आतंकी हमलों का असर देखना पड़ा। यहाँ साल भर विभिन्न शहरों और स्‍थानों पर आतंकवादी हमले होते रहे हैं जिनमें सैकड़ों लोगों की जान गँवानी पड़ी। लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर आतंकी हमला हुआ तो फरवरी में संयुक्त राष्ट्र के राजनयिक का अपहरण कर लिया गया।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जमात उद दावा पर प्रतिबंध लगाया तो पाकिस्तान के विवादित परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को रिहा कर दिया गया। बुश पर जूता फैंकने वाले पत्रकार मुंतजर अल जैदी को भी सितम्बर में जेल से रिहा कर दिया गया।

सूझबूझ से बचाई जिन्दगियाँ: अमेरिका में इस वर्ष एक भयानक लेकिन सुखांत घटना हुई जब पायलट ने अपनी सूझबूझ से तेज बहाव वाली नदी में विमान को उतार कर इसे दुर्घटनाग्रस्त होने से बचा लिया। इस घटना में सभी विमान यात्रियों को बचा लिया गया।

राजनैतिक बदलाव: अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में वर्ष 2009 के दौरान और भी बड़े परिवर्तन हुए। जापान के संसदीय चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी को भारी बहुमत मिला और यूकियो हतोयामा नए प्रधानमंत्री बने।

हालाँकि जर्मनी में सितम्बर में हुए संसदीय चुनावों में चांसलर एंजेला मर्केल ने सत्ता पर कब्जा बरकरार रखते हुए अगले चार वर्षों के लिए चांसलर पद पर कब्जा सुनिश्चित कर लिया। पुर्तगाल के संसदीय चुनावों में समाजवादियों का सत्ता पर कब्जा बरकरार रहा। प्रधानमंत्री जोसे सोक्रटीस की सो‍शलिस्ट पार्टी को सबसे बड़े दल के रूप में जीत हासिल हुई।

नेपाल में प्रचंड सरकार के पतन के बाद माधव कुमार नेपाल देश के नए प्रधानमंत्री बनाए गए। दक्षिण अफ्रीका में हुए संसदीय चुनावों में जैकब जुमा की अफ्रीकी नेशनल पार्टी को बहुमत मिला और वे राष्ट्रपति चुन लिए गए। यूनान के चुनावों में समाजवादी जीते और कोस्तास करामनलिस को अपदस्थ कर जॉर्ज पपांड्रियु नए प्रधानमंत्री बने।

सऊदी अरब में पहली बार किसी महिला को मंत्री बनाया गया। इसी तरह कुवैत के लिए हुए चुनावों में पहली बार चार महिलाओं का निर्वाचन संभव हुआ। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस वर्ष सितम्बर में अमेरिका के उस प्रस्ताव को सर्व सम्मति से स्वीकार किया जिसमें एनपीटी और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करने को कहा गया। प्रस्ताव में परोक्ष रूप से भारत और पाकिस्तान से कहा गया कि वे इन संधियों पर हस्ताक्षर कर दें।

यूरोपीय संसद के पंचवर्षीय चुनाव हुए। जून 2009 के पहले सप्ताह में सम्पन्न हुए इन चुनावों में सभी 27 देशों ने भाग लिया। संसद के इन चुनावों में समाजवादी पार्टियों को काफी बड़ा झटका लगा जबकि मध्य दक्षिणपंथी यूरोपीय पीपुल्स पार्टी ने सर्वाधिक 264 सीटों पर जीत हासिल की। समाजवादी दूसरे, लिबरल डेमोक्रे‍ट्‍स तीसरे और ग्रीन पार्टी चौथे स्थान पर रही।

ब्रिटेन में भी सुप्रीम कोर्ट का गठन कर लिया गया है। 5 अक्टूबर 2009 से इसकी औपचारिक शुरूआत कर दी गई। इससे पहले हाउस ऑफ लार्ड्‍स द्वारा इससे संबंधित कामों को देखा जाता था।

फिजी को राष्ट्रमंडल से फिर से निल‍ंबित कर दिया गया। इसके बावजूद फिजी की सरकार ने अक्टूबर 2010 तक देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।

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नाइजीरिया, ब्राजील, बोस्निया, लेबनान व गैबोन को सुरक्षा परिषद के नए अस्थायी सदस्य चुना गया। सितम्बर 24, 25 को अमेरिका के पिट्‍सबर्ग में जी 20 देशों का तीसरा बड़ा शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। इसका उद्‍देश्य विश्व अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और इससे जुड़े मुद्‍दों पर चर्चा करने के लिए औद्योगिक तथा विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को एकमंच पर लाना था। इसके साथ ही इन देशों के वित्त मंत्रियों,केन्द्रीय बैंकों के गवर्नरों का भी सम्मेलन आयोजित किया गया था।

मंदी से मुकाबला: विश्वव्यापी मंदी से उबरने के दौरान इस सम्मेलन का महत्व इस कारण से है कि विकसित देशों के पास अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पाँच फीसदी कोटे को विकासशील देशों के पक्ष में हस्तांतरित करने पर सहमति बनी। चीन, भारत जैसे देशों का महत्व बढ़ा और मुद्रा कोष के कोटे को विकासशील देशों के पक्ष में ये देश सात फीसदी तक बढ़वाना चाहते थे।

इस संबंध में उल्लेखनीय है कि पिट्‍सबर्ग से पहले जी 20 देशों का लंदन में भी एक शिखर सम्मेलन हुआ। विश्व के प्रमुख नेताओं की मौजूदगी में स्टेबिलिटी, ग्रोथ और जाब्स पर विचार किया गया तथा महा मंदी से निपटने के उपायों पर विचार करने की दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले भी किए।

महामंदी से प्रभावित दुनिया के विकसित और विकासशील देशों ने इस वर्ष अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों से बचने के लिए कई बड़ी बैठकें कीं। अक्टूबर में आसियान शिखर सम्मेलन हुआ तो इससे पहले जून में रूस के येकार्टिनबर्ग में ब्रिक देशों का सम्मेलन हुआ। एक दिन पहले यहाँ शंघाई सहयोग संगठन का नौवाँ शिखर सम्मेलन भी हुआ जिसमें भारत ने एक पर्यवेक्षक के तौर पर भाग लिया।

इसी वर्ष शर्म अल शेख में गुट निरपेक्ष देशों का शिखर सम्मेलन हुआ। अमेरिकी देशों के संगठन (ओएएस) शिखर सम्मेलन में क्यूबा पर प्रतिबंध हटाने की माँग की गई। नाटो देशों का शिखर सम्मेलन स्ट्रासबर्ग में 4 अप्रैल, 2009 को आयो‍जित हुआ। 1949 में बना 12 देशों का यह संगठन अब 28 देशों का हो गया है। संगठन के नए महासचिव के रूप में डेन्मार्क के प्रधानमंत्री एंडर्स फॉग रासमुसेन को चुन लिया गया।

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