वर्ष 2009 : पर्यटन के लिए शुभ या अशुभ

भारत का पर्यटन : 2009 के संदर्भ में

गायत्री शर्मा
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पर्यटन उद्योग भारत का एक बड़ा उद्योग है, जिससे सरकार को एक अच्छी आय होती है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था में 17.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी पर्यटन उद्योग की है। एक रिर्पोट के मुताबिक भारत को सालाना लगभग 21,828 करोड़ रुपए (विदेशी मुद्रा के रूप में) पर्यटन से मिलते हैं।

यह राशि करीब 2.6 मिलियन सैलानियों की आवाजाही से आती है। इसी के साथ ही पूरे विश्व में 7 प्रतिशत नौकरियाँ पर्यटन क्षेत्र से संबंधित हैं। भारत का पर्यटन उद्योग विश्व में 153वाँ स्थान रखता है। विश्वभर में पर्यटन उद्योग से होने वाली कमाई की बात करें तो इसमें भारत की हिस्सेदारी 0.9 प्रतिशत की है।

यदि पर्यटन के संदर्भ में वर्ष 2009 का आकलन करें तो यह साल भारत के पर्यटन के लिए एक मिला-जुला वर्ष रहा। जहाँ इस वर्ष देश आतंकवाद और आर्थिक मंदी के कहर से उबरने की कवायदों में लगा रहा, वहीं इन सभी घटनाओं से भारत का पर्यटन भी खासा प्रभावित हुआ।

पर्यटन और आतंकवाद :
पिछले वर्ष नवबंर में हुए आतंकी हमलों ने भारत के पर्यटन को पूरी तरह से झकझोर दिया था। इस हमले के खौफ के कारण विदेशी पर्यटकों ने भारत के पर्यटन स्थलों से लंबे समय तक किनारा कर लिया था। क्रिसमस व नए साल के जश्न के लिए पर्यटकों को लुभाने वाले गोआ व मुंबई के पर्यटनस्थल भी पिछले वर्ष दिसंबर के अंत तक पर्यटकों की बाट जोहते नजर आ रहे थें।

वर्ष 2008 के अंत तक जिस आतंकवाद का खौफ पर्यटकों के भारत आने में अवरोध बन खड़ा था, वहीं आतंकवाद वर्ष 2009 के अंत तक भारत के पर्यटन के लिए आशा की किरण बनकर उभरा। यह मुंबई के आतंकी हमले का ही परिणाम है कि मुंबई के दर्शनीय स्थलों के साथ ही आज आतंकी हमलों के स्थल भी पर्यटकों के लिए दर्शनीयस्थल बन गए है। आज इन स्थलों पर हर दिन हजारों पर्यटकों का जमावड़ा देखने को मिलता है।

देशी और विदेशी पर्यटक उन स्थलों को देखने में विशेष रूचि ले रहे हैं, जहाँ 26/11 के आतंकी हमले हुए थे फिर चाहे वह होटल ताज हो या लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाऊस हो या छत्रपति शिवाजी टर्मिनल। पर्यटकों को इन स्थलों पर खींच लाने के लिए ही मुंबई हमलों के कई स्थलों पर गोलीबारी व धमाकों के निशानों को अब तक संजोकर रखा गया है। यदि आप भी 26/11 की भयावह यादों से रूबरू होना चाहते हैं तो कुछ निर्धारित शुल्क के एवज में आतंक के विध्वंस के इन प्रमाणों को करीब से देख सकते हैं।

स्वाइन फ्लू और पर्यटन :
वर्ष 2009 में 'स्वाइन फ्लू' के संक्रमण से भारत का पर्यटन उद्योग भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इस जानलेवा बीमारी ने जितने पर्यटकों को अपनी चपेट में नहीं लिया होगा, उससे कई गुना अधिक इस बीमारी के खौफ ने पर्यटकों को अपनी चपेट में लिया।

स्वाइन फ्लू के खौफ के कारण विदेशी तो सही परंतु घरेलू पर्यटकों ने भी‍ स्वयं को घर की चारदिवारी में कैद कर लिया। विदेशों में तेजी से फैल रहे स्वाइन फ्लू के कारण विदेशी पर्यटकों का भारत में आगमन भी प्रभावित हुआ, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव भारत के पर्यटन पर पड़ा। स्वाइन फ्लू के कारण भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में लगभग 10 फीसदी की कमी आई।

इस साल जनवरी से लेकर अक्टूबर तक भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की कुल संख्या 40 लाख 23 हजार 88 रही जबकि पिछले साल इस अवधि में आने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या 43 लाख 23 हजार 729 थी। भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी का एक कारण स्वाइन फ्लू का खौफ भी बताया जा रहा है।

यदि हम रंगीले राजस्थान की बात करें तो राजस्थान की शान मानी जाने वाली 'पैलेस ऑन व्हील्स' भी आज विदेशी पर्यटकों की बाट जोहती नजर आ रही है। वर्ष 2010 तक हाउस फुल होने का दावा करने वाली करीब चालीस करोड़ की इस शाही ट्रेन में सवारी करने वाले पर्यटक आज केवल तीस से चालीस फीसदी ही है।

भारत को मिली विश्व मंच पर सराहना :
वर्ष 2009 में भारत को पर्यटन के क्षेत्र में किए गए व्यापक प्रचार अभियानों के कारण विश्व मंच पर सराहना मिली। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भारत ‍द्वारा वर्ष 2002 में प्रारंभ किए गए 'अतुल्य भारत' अभियान को वर्ष 2009 में ब्रिटेन के सर्वाधिक 'सृजनात्मक मीडिया अभियान' के रूप में सम्मानित किया गया। इस विज्ञापन की उपलब्धि यह रही कि इस विज्ञापन ने विदेशी पर्यटकों को भारत के सौंदर्य व यहाँ के आदर-सत्कार से परीचित कराया।

' अतुल्य भारत' अभियान के लिए ब्रिटेन और आयरलैंड में भारतीय पर्यटन कार्यालय के निदेशक जगदीश चंद्र को चेरी ब्लेयर ने 15 सितंबर को 'जीजी 2 कैम्पेन आफ दी ईयर' पुरस्कार प्रदान किया। इसी के साथ ही 'द व्हाइट टाइगर प्रचार अभियान' को वर्ष 2009 का एशियन मल्टीमीडिया पब्लिशिंग पुरस्कार मिला।

निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि आतंकवाद व आर्थिक मंदी से लड़खड़ाया भारत आज फिर से उसी जिंदादिली के साथ पर्यटकों के स्वागत को तैयार खड़ा है। पर्यटक भी अब बीते दिनों की कड़वी यादों को भूलकर पुन: भारत की ओर रूख करने लगे है। लगभग एक साल के सन्नाटे के बाद गोआ के सुहाने समुद्र तटों का सौंदर्य और मुंबई की मस्त लाइफ की मस्ती अपने शबाब पर है। साथ ही पर्यटक भी तैयार है नए साल के जश्न के लिए।

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