वर्ष 2011 : सुप्रीम कोर्ट में छाए रहे घोटाले

Webdunia
बुधवार, 28 दिसंबर 2011 (23:33 IST)
वर्ष 2011 में कॉर्पोरेट जगत से जुड़े विभिन्न मामले उच्चतम न्यायालय में खासे चर्चा में रहे। दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ा 2जी घोटाला हो या फिर अवैध खनन का मामला नेता और कई कंपनियां और उनके शीर्ष अधिकारी इन मामलों में लपेटे में आए।

अंबानी, टाटा और रुईया जैसे कारोबारी जगत के उद्यमियों को कानूनी संघर्ष का सामना करना पड़ा जिसके कारण उनकी कंपनियों की कीमत शेयर बाजार में चढ़ती-उतरती रहीं। 2जी घोटाले में जांच पर लगातार उच्चतम न्यायालय की निगरानी के कारण नेता और कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई।

दूरसंचार घोटाला और इससे जुड़े मामलों में गृहमंत्री पी. चिदंबरम और दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के लिए भी कई बार उन्हें व्याकुल कर देने वाले क्षण सामने आए। उन्हें अपने खिलाफ लगाए जा रहे आरोपों से बचाव के लिए उपलब्ध हर कानूनी उपाय अथवा संसाधन का उपयोग करना पड़ा।

सिब्बल ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली ऑरकाम के साथ पक्षपात करते हुए दंड कम करने के आरोप से खुद को अलग किया, लेकिन 2जी घोटाला मामले में चिदंबरम की भूमिका की जांच पर उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा। उल्लेखनीय है कि सीबीआई और सरकार ने न्यायालय में उनका जोरदार बचाव किया।

हालांकि, जनता पार्टी के प्रमुख सुब्रमणियम स्वामी ने जब 2जी मामले में दूरसंचार कपंनियों और गृहमंत्री के खिलाफ कानूनी जंग छेड़ी। वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के हस्ताक्षर वाला वित्त मंत्रालय से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया नोट भी चिदंबरम के लिए शर्मिंदगी की वजह बना।

वित्त मंत्रालय के इस नोट में कहा गया कि सिर्फ राजा को ही 2जी आवंटन में सरकारी खजाने को हुए नुकसान के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि चिदंबरम जो 2008 में वित्तमंत्री थे, वे भी नीलामी के जरिए स्पेक्ट्रम बेचने की सलाह दे सकते थे।

2 जी और खनन मामलों की कड़ी निगरानी के कारण कर्नाटक के रेड्डी बंधु, पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, उनकी द्रमुख सहयोगी कनिमोझी, रिलायंस एडीएजी, स्वान टेलीकॉम और यूनिटेक लिमिटेड के कई बड़े अधिकारी उच्चतम न्यायालय में चल रही कानूनी कारवाई के दौरान चर्चा में आए।

टूजी घोटाले में सरकारी खजाने को हुए वास्तविक नुकसान की जांच के लिए सिब्बल द्वारा गठित एक समांतर समिति से भी कोई मदद नहीं मिली क्योंकि उच्च न्यायालय ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को बिना किसी के प्रभाव में आए करने की पूरी आजादी दे दी। यही वजह रही कि जांच कार्य आगे बढ़ते हुए 14 प्रभावशाली लोगों को गिरफ्तार किया जा सका।

गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्तियों में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, उनके निजी सचिव आरके चंदोलिया और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा शामिल हैं। इसके बाद राज्यसभा सांसद कनिमोझी और यूनिटेक लिमिटेड के संजय चंद्रा, स्वान टेलिकॉम और डीबी रियल्टी के शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयंका शामिल थे।

रिलायंस एडीएजी के शीर्ष प्रबंधक- गौतम दोषी, सुरेन्द्र पिपारा और हरि नायर ने भी डीएमके समर्थित कलैंगनर टीवी के निदेशक शरद कुमार, फिल्म निर्माता करीम मोरानी और दो अन्य कारोबार कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्राईवेट लिमिटेड के आसिफ बलावा और राजीव अग्रवाल ने जेल की हवा खाई।

मामले में टाटा का नाम भी एक से अधिक बार आया, 29 सितंबर को उन्हें उस समय राहत मिली जब सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर टाटा और वीडियोकान को क्लीनचिट दे दी। दूरसंचार घोटाले के अलावा विशेष तौर पर कर्नाटक में गैरकानूनी खनन का मामला छाया रहा। (भाषा)

Show comments

जरूर पढ़ें

Chhattisgarh : निकाय चुनाव में BJP की बड़ी जीत, कांग्रेस को दी करारी शिकस्त, महापौर के सभी पदों पर जमाया कब्जा

MP : मातम में बदलीं शादी की खुशियां, श्योपुर में शादी के दौरान घोड़े पर सवार दूल्हे की मौत

Elon Musk के 4 साल के बेटे ने Donald Trump की कर दी बेइज्जती, वीडियो वायरल

शक्ल भी कुछ-कुछ मिलती है और आंखें भी, मोनालिसा से भी खूबसूरत है उसकी बहन

केजरीवाल को अब MCD में लगा बड़ा झटका, 3 और पार्षदों ने छोड़ा साथ, AAP पर मंडराया खतरा

सभी देखें

नवीनतम

Maharashtra Politics : अघाड़ी में पड़ी दरार, फडणवीस से मिले उद्धव, शिंदे की शरद पवार ने की तारीफ, महाराष्ट्र में नए सियासी समीकरण

NDLS Stampede : फालतू है कुंभ, लालू यादव ने बताया किसकी गलती से मची नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़

उत्तराखंड में संस्कृत के छात्रों को मिल रही छात्रवृत्ति, CM पुष्कर धामी ने मेधावियों को किया सम्मानित

CM मोहन यादव का ऐलान, क्षिप्रा का पानी शीघ्र होगा शुद्ध, दोनों किनारो पर बनेंगे घाट और चलेंगी नाव,

NDLS Stampede: क्या यात्री का फिसलना या दो ट्रेनों के एक जैसे नाम, आखिर दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कैसे मची भगदड़