साहित्य 2011 : लेखकों की पसंद

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बीते वर्ष 2011 में साहित्य के क्षेत्र में बहुत कुछ नया हुआ। साथ ही अरविंद अडीगा, तबिश खर और मनु जोसेफ जैसे लेखकों ने भी काफी कुछ पढ़ा। आइए जानते हैं उनकी पसंद :

अरविंद अडीगा(2008 में बुकर पुरस्कार) - 'हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित रवींद्र नाथ ठाकुर के निबंधों, कविताओं और नाटकों का संकलन ‘द एसेंशियल टैगोर’ मुझे पसंद आया। मुझे गिरीश कर्नाड की आत्मकथा भी बहुत पसंद आई। उम्मीद है कि कन्नड़ में छपी इस किताब का अंग्रेजी में अनुवाद भी जल्द ही आएगा।

उपन्यासकार तबिश खर- इस साल अमिताव घोष, अनुराधा रॉय, पैट्रिक डे विट, राहुल भट्टाचार्य और अनीता देसाई जैसे लेखकों की बेहतरीन कृतियां आई हैं, इसलिए इनमें से किन्हीं तीन को चुनना बहुत मुश्किल है। सर्वश्रेष्ठ तीन की सूची में जूलियन बर्न की ‘द सेंस ऑफ एन ऐंडिंग' टेरी ईगलटन की 'व्हाई मार्क्‍स वाज़ राईट' और चार्ल्स टेलर की 'डिलेमाज एंड कनेक्शन’’ को रखा जा सकता है।

पत्रकार और लेखक मनु जोसेफ- तीन सबसे पसंदीदा पुस्तकें जूलियन बर्न की 'द सेंस ऑफ एन ऐंडिंग' मीनल बघेल की 'डेथ इन मुंबई' और हरि कुंजरु की 'गॉड्स विदआउट मैन' मानता हूं।

कथाकार अश्विन सांघी- स्टीव जॉब्स और पत्रकार विनोद मेहता की जीवनी पसंद आई।

लेखक किश्वर देसाई- जमील अहमद की ‘द वांडरिंग फाल्कन’, मेघनाद देसाई की ‘द रिडिस्कवरी ऑफ इंडिया’ प्रमुख और मुझे पसंदीदा पुस्तकें रहीं।

दिल्ली के पुस्तक विक्रेता बाहरी संस के मुताबिक अमिताव घोष की 'रिवर ऑफ स्मोक' और रामचंद्र गुहा की 'मेकर्स ऑफ मॉडर्न इंडिया’ की बिक्री सबसे अधिक रही।

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