2017 में यहां हुआ सबसे ज्यादा निवेश

नृपेंद्र गुप्ता
घर और सोने को परंपरागत निवेश मानने वाले लोगों का इन दोनों से मोहभंग हो गया और उन्होंने तमाम भ्रांतियों को दरकिनार कर निवेश के लिए नया रास्ता चुना है। एक ऐसा रास्ता जिसमें शेयर बाजार जितना जोखिम भी नहीं है और एफडी से ज्यादा रिटर्न भी है।

इस साल से पहले तक आम आदमी की पहली पसंद सोना और घर हुआ करता था लेकिन 2017 में सरकार द्वारा कालेधन पर शिकंजा कसने और खरीदी संबंधी नियम सख्त करने से लोगों ने इनसे दूरी बनाना ही बेहतर समझा। लोगों ने म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार, एफडी, बांड, गोल्ड ईटीएफ में जमकर पैसा लगाया और उन्हें बेहतर परिणाम भी मिला।

एम्फी ने इस अवसर का फायदा उठाया और प्रचार माध्यमों के जरिए लोगों तक यह बात पहुंचाने में सफल रही कि यह शेयर बाजार की तुलना में निवेश का बेहतर माध्यम है। इसमें लांग टर्म के साथ ही शॉर्ट टर्म में भी निवेश किया जा सकता है। इक्विटी के साथ ही डेब्ट फंड में भी निवेश का विकल्प है।

इस वर्ष एसआईपी में निवेश 45 प्रतिशत तक बढ़ गया। इसमें भी लार्ज कैप फंड में 25 से 28 प्रतिशत तक निवेश हुआ। एम्फी के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में म्यूचुअल फंड में कुल निवेश बढ़कर 3.8 लाख करोड़ रुपए हो गया है। रिटर्न की बात की जाए तो लार्ज कैप फंड में 27.9, स्माल कैप में 33, डायवर्सिफाइड इक्विटी में 25.9 और बैंक और वित्त क्षेत्र ने 33.6 प्रतिशत तक रिटर्न दिया।

पिछले कई सालों से सेबी की सख्ती भी म्यूचुअल फंड में लोगों के विश्वास की एक वजह बनी। म्यूचुअल फंड कंपनियों का बेहतर प्रदर्शन और आंकड़ों ने भी निवेशकों को रिझाने में बड़ी भूमिका निभाई। लोगों को यह भी समझ में आया कि उनका पूरा पैसा शेयर बाजार में नहीं लग रहा है अर्थात निवेश की जीरो होने की संभावना नगण्य है।

म्यूचुअल फंड की तरह शेयर बाजार भी इस वर्ष गुलजार रहा। 2016 की तरह ही 2017 में भी इसने जबरदस्त सफलता हासिल की। निफ्टी भी इस वर्ष न केवल पांच अंकों तक पहुंचने में सफल रहा बल्कि साल के अंत तक 10 हजार से ऊपर ही बना रहा। इसमें निवेशकों को बाजार से औसतन 24 प्रतिशत रिर्टन मिला और यह विदेशी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहा।

दूसरी तरफ सर्राफा बाजार और रिअल इस्टेट व्यवसाय की नोटबंदी और जीएसटी ने मानो कमर ही तोड़ दी। सोने पर लगातार कसते सरकारी शिकंजे ने लोगों को इस चमकीली धातू से दूर कर दिया। रिअल इस्टेट व्यवसाय पर रेरा की दहशत भी दिखाई दी। सरकार ने भले ही हर व्यक्ति को घर का सपना दिखाया हो पर इसके बावजूद भी यह सेक्टर ग्राहकों के अभाव में संकटग्रस्त नजर आया। कई सरकारी स्कीम्स के बावजूद भी इस वर्ष लोगों ने घर खरीदने में रूची कम ही दिखाई।

बहरहाल यह साल म्यूचुअल फंड्स के नाम ही रहा। शेयर बाजार में तेजी का फायदा भी इसने भरपूर उठाया। लोगों को बेहतर रिटर्न मिले और इसे निवेश मिलता चला गया। बहरहाल यहां तो चारों अंगुलियां भी घी में थी और सिर कड़ाही में।

यह सेक्टर उम्मीद करेगा कि 2018 भी इस वर्ष की तरह हो और म्यूचुअल फंड्स एक नए पायदान पर पहुंचे। यह सेक्टर तो अभी भी लोगों के लिए टेस्टिंग ग्राउंड ही बना हुआ है अगर लोगों को बेहतर रिटर्न मिला तो आने वाले वर्षों में इसमें निवेश का तेजी से बढ़ना तय है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

India-Pakistan Conflict : सिंधु जलसंधि रद्द होने पर प्यासे पाकिस्तान के लिए आगे आया चीन, क्या है Mohmand Dam परियोजना

Naxal Encounter: कौन था बेहद खौफनाक नक्‍सली बसवराजू जिस पर था डेढ़ करोड़ का इनाम?

ज्‍योति मल्‍होत्रा ने व्‍हाट्सऐप चैट में हसन अली से कही दिल की बात- कहा, पाकिस्‍तान में मेरी शादी करा दो प्‍लीज

भारत के 2 दुश्मन हुए एक, अब China ऐसे कर रहा है Pakistan की मदद

गुजरात में शेरों की संख्या बढ़ी, खुश हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

सभी देखें

नवीनतम

एक गांव की गाथा, आजादी के बाद पहली बार किसी विद्यार्थी ने पास की हाईस्कूल परीक्षा

पाकिस्तानी PM शहबाज शरीफ ने बताया आसिम मुनीर को पदोन्नत करने का फैसला किसका था...

इंदौर के कारोबारी संगठन का बड़ा फैसला, चीन और बांग्लादेश में बने कपड़े बेचे तो 1.11 लाख रुपए जुर्माना

Delhi NCR Weather : दिल्ली- NCR में आंधी का कहर, बारिश के साथ गिरे ओले, टूटे पेड़, 2 की मौत

Operation Sindoor : सांबा सेक्टर में घुसपैठ की फिराक में थे 45-50 आतंकी, BSF ने भारी गोलाबारी कर दिया था मुंहतोड़ जवाब

अगला लेख