थोड़ी देर के बाद एक दरबारी बोला, - 'जहांपनाह! जिसने ऐसा दुस्साहस किया है, उसका सिर धड़ से उड़ा दिया जाए।
दूसरे दरबारी ने कहा, 'मेरी राय है जहांपनाह कि ऐसी गुस्ताखी करने वाले को हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया जाए।'
किसी ने कहा - उस पर कोड़े बरसाएं जाएं,
- किसी ने कहा कि - उसे जिंदा दीवार में चिनवा दिया जाए। जितने दरबारी, उतनी तरह की बातें। तरह-तरह की सजाएं सुझाई गईं।
दरबारियों की बातों से ऊबे बादशाह ने बीरबल से क्या सवाल किया..
उनकी बातें सुन कर बादशाह ऊब गए। अंत में उन्होंने बीरबल से कहा, 'बीरबल, तुम क्या कहते हो? हमारी दाढ़ी खींचने वाले को हमें क्या सजा देनी चाहिए?
बीरबल मंद-मंद मुस्कुराए और बोले- 'जहांपनाह! आप उसे प्यार से मिठाई खिलाइए। इस अपराध की यही सजा है।'
बीरबल का उत्तर सुनकर सारे दरबारी चौंके और उस अंदाज में बीरबल का चेहरा देखने लगे, मानो वे पगला गए हों।
बादशाह अकबर बीरबल की बात से क्यों खुश हुए....
जबकि बीरबल के उत्तर से खुश होकर बादशाह ने कहा, 'वाह-वाह! बीरबल, तुम्हारी बात बिल्कुल सही है।
लेकिन यह तो बताओ कि मेरी दाढ़ी किसने खींची होगी?'
बीरबल ने कहा,- 'जहांपनाह! छोटे शाहजादे के अलावा ऐसी हिम्मत कौन कर सकता है? उसने तो प्यार से ही ऐसा किया होगा! इसलिए उसे सजा में मिठाई खिलानी चाहिए।
बीरबल ने दिया था एकदम सही जवाब...
बीरबल की बात सही थी। आज सुबह शाहजादा बादशाह की गोद में बैठा था। खेलते-खेलते उसने बादशाह की दाढ़ी खींची थी। चतुर बीरबल के जवाब से बादशाह खुश हुए।
अन्य सभी दरबारियों, जो इतना भी नहीं सोच पाए कि बाहर का कोई शख्स भला बादशाह की दाढ़ी कैसे खींच सकता है, के सिर शर्म से झुक गए।
( समाप्त)