दरबार में बहेलिए ने तोते से पूछा- बताओ, यह किसका दरबार है?
तोता बोला- 'यह जहांपनाह बादशाह अकबर का दरबार है।' सुनकर बादशाह अकबर बडे़ ही खुश हुए।
बादशाह अकबर ने बहेलिए से क्या कहा...
वह बहेलिए से बोले, 'हमें यह तोता चाहिए, बोलो इसकी क्या कीमत मांगते हो।'
बहेलिया बोला- जहांपनाह, सबकुछ आपका है आप जो दें वही मुझे मंजूर है।
बादशाह अकबर ने तोते का क्या किया....
बादशाह अकबर को जवाब पसंद आया और उन्होंने बहेलिए को अच्छी कीमत देकर उससे तोते को खरीद लिया।
महाराजा बादशाह अकबर ने तोते के रहने के लिए बहुत खास इंतजाम किए। उन्होंने उस तोते को बहुत ही खास सुरक्षा के बीच रखा और रखवालों को हिदायत दी कि इस तोते को कुछ नहीं होना चाहिए।
यदि किसी ने भी मुझे इसकी मौत की खबर दी तो उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा।
महाराज ने क्या घोषणा की...
अब उस तोते का बडा़ ही ख्याल रखा जाने लगा। मगर विडंबना देखिए कि वह तोता कुछ ही दिनों बाद मर गया। अब उसकी सूचना महाराज को कौन दें?
रखवाले बडे़ परेशान थे। तभी उनमें से एक बोला कि बीरबल हमारी मदद कर सकता है और यह कहकर उसने बीरबल को सारा वृतांत सुनाया तथा उससे मदद मांगी।
बीरबल ने एक क्षण कुछ सोचा और फिर रखवाले से बोला- ठीक है! तुम घर जाओ, महाराज को सूचना मैं दूंगा।
रखवाले की बात सुनकर बीरबल ने क्या किया...
बीरबल अगले दिन दरबार में पहुंचे और बादशाह अकबर से कहा, 'हुजूर आपका तोता…'
बादशाह अकबर ने पूछा- 'हां-हां क्या हुआ मेरे तोते को?'
बीरबल ने फिर डरते-डरते कहा- 'आपका तोता जहांपनाह…'
हां-हां बोलो बीरबल क्या हुआ तोते को?
' महाराज आपका तोता…।' बीरबल बोला।
' अरे खुदा के लिए कुछ तो कहो बीरबल मेरे तोते को क्या हुआ', बादशाह अकबर ने खीजते हुए कहा।
बादशाह को कैसे समझाया बीरबल ने....
' जहांपनाह, आपका तोता ना तो कुछ खाता है ना कुछ पीता है, ना कुछ बोलता है ना अपने पंख फडफडाता है, ना आंखें खोलता है और ना ही…' राजा ने गुस्से में कहा- 'अरे सीधा-सीधा क्यों नहीं बोलते की वो मर गया है।'
बीरबल तपाक से बोला- 'हुजूर, मैंने मौत की खबर नहीं दी बल्कि ऐसा आपने कहा है, मेरी जान बख्शी जाए।'
... और महाराज निरूत्तर हो गए।
( समाप्त)