एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा- बीरबल जरा बताओ तो उस दुनिया में किसकी संख्या अधिक है, जो देख सकते हैं या जो अंधे हैं?
बीरबल बोले, इस समय तुरंत तो आपके इस सवाल का जबाब देना मेरे लिए संभव नहीं है लेकिन मेरा विश्वास है की अंधों की संख्या अधिक होगी बजाए देख सकने वालों की।
आगे पढ़ें बादशाह ने क्या कहा बीरबल से....
बादशाह ने कहा- तुम्हें अपनी बात सिद्ध करके दिखानी होगी, बीरबल ने भी खुशी-खुशी बादशाह की चुनौती स्वीकार कर ली।
अगले दिन बीरबल बीच बाजार में एक बिना बुनी हुई चारपाई लेकर बैठ गए और उसे बुनना शुरू कर दिया, उसके अगल-बगल दो आदमी कागज-कलम लेकर बैठे हुए थे।
बीरबल को चारपाई बुनते देख लोगों ने क्या पूछा प्रश्न...
थोडी ही देर मे वहां भीड़ इकट्ठी हो गई, यह देखने के लिए कि यहां हो क्या रहा है।
वहां मौजूद हर व्यक्ति ने बीरबल से एक ही सवाल पूछा- बीरबल तुम क्या कर रहे हो?
बीरबल के अगल-बगल बैठे दोनों आदमी ऐसा सवाल करने वालों का नाम पूछ-पूछ कर लिखते जा रहे थे, जब बादशाह के कानों तक यह बात पहुंची कि बीच बाजार बीरबल चारपाई बुन रहे हैं, तो वो भी वहां जा पहुंचे और वही सवाल किया- यह तुम क्या कर रहे हो?
बादशाह ने क्या पूछा बीरबल से...
कोई जबाब दिए बिना बीरबल ने अपने बगल में बैठे एक आदमी से बादशाह अकबर का भी नाम लिख लेने को कहा, तभी बादशाह ने आदमी के हाथ में थमा कागज का पुलिंदा ले लिया उस पर लिखा था- 'अंधे लोगों की सूची'
बादशाह ने बीरबल से पूछा इसमें मेरा नाम क्यों लिखा है?
बीरबल ने कहा 'जहांपनाह, आपने देखा भी कि मैं चारपाई बुन रहा हूं, फिर भी आपने सवाल पूछा कि- मैं क्या कर रहा हूं।
बीरबल की चतुराई पर बादशाह क्यों हुए खुश...
बादशाह ने देखा उन लोगों की सूची में एक भी नाम नहीं था जो देख सकते थे, लेकिन अंधे लोगों की सूची का पुलिंदा बेहद भारी था...।
बीरबल ने कहा- हुजूर, अब तो आप मेरी बात से सहमत हो गए होंगे की दुनिया में अंधों की तादाद ज्यादा है।
बीरबल की इस चतुराई पर बादशाह मंद-मंद मुस्करा दिए।
( समाप्त)