Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

WD Feature Desk
शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024 (12:39 IST)
When is Akshaya Tritiya 2024: हर वर्ष वैशाख मास में शुक्लपक्ष की तृतीया पर अक्षय तृतीया रहती। इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है। यानी इस दिन मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं पूरे दिन ही मुहूर्त रहता है। इस दिन विवाह करना शुभ माना जात है। इस बार अक्षय तृतीया 10 मई 2024 शुक्रवार के दिन रहेगी। आओ जानते हैं इस दिन की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व।
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अक्षय तृतीया 10 मई 2024 पर शुभ मुहूर्त:
अमृत काल : सुबह 07:44 से सुबह 09:15 तक। 
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त: प्रात: 05:33 से दोपहर 12:17 तक।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:51 से दोपहर 12:45 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:32 से दोपहर 03:26 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:01 से  07:22 तक।
संध्या पूजा मुहूर्त : शाम 07:02 से रात्रि 08:05 तक।
रवियोग : सुबह 10:47 से पूरे दिन और रात
 
अक्षय तृतीया का महत्व- importance of Akshaya Tritiya : अक्षय तृतीया (अखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है। जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। बताया जाता है कि वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है। जिसमें प्रथम व विशेष स्थान अक्षय तृतीया का है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के पूछने पर यह बताया था कि आज के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक कार्य करोगे, उसका पुण्य मिलेगा। इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है।
Akshaya Tritiya
1. परशुराम का जन्म : इस दिन भगवान नर-नारायण सहित परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था। 
 
2. अक्षय कुमार का जन्म : इसी दिन ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी हुआ था। 
 
3. कुबेर जी को मिला खजाना : इस दिन यक्षराज कुबेर को खजाना मिला था।
 
4. गंगा अवतरण : एक मान्यता के अनुसार इसी दिन मां गंगा का अवतरण भी हुआ था।
 
5. सुदामा कृष्ण मिलन : इसी दिन सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने पहुंचे थे। 
 
6. ऋषभदेव के उपवास का पारण : प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।
 
7. युग का प्रारंभ : इसी दिन सतयुग और त्रैतायुग का प्रारंभ हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ।
 
8. महाभारत की रचना : अक्षय तृतीया के दिन से ही वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ लिखना शुरू किया था। 
 
9. कनकधारा स्त्रोत : आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी।
 
10. युद्ध समाप्त : इसी दिन महाभारत की लड़ाई खत्म हुई थी।
 

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