धर्म, दान और समृद्धि का पर्व: अक्षय तृतीया की कथा

WD Feature Desk
मंगलवार, 29 अप्रैल 2025 (10:11 IST)
Akshay Tritiya Story 2025: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अबूझ मुहूर्त का अर्थ होता है कि इन तिथियों के दिन पूरे दिन ही शुभ मुहूर्त रहता है इसलिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। प्रतिवर्ष पहला चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरा विजया दशमी और तीसरा अक्षय तृतीया, इस तरह पूरे वर्ष में साढ़े तीन अबूझ मुहूर्त होते हैं। और आधा मुहूर्त कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को रहता है। हालांकि विभिन्न मतांतर से देवप्रबोधिनी एकादशी को भी अबूझ और पवित्र मुहूर्त में शामिल किया जाता है।ALSO READ: अक्षय तृतीया के दिन करें 10 शुभ काम, 14 महादान, पूरे वर्ष बरसेगा धन
 
अत: उपर्युक्त तिथियों को स्वयं सिद्ध मुहूर्त की मान्यता प्राप्त है। इन तिथियों में बिना मुहूर्त का विचार किए नवीन कार्य प्रारंभ किए जा सकते हैं। इसीलिए अक्षय तृतीया पर अधिकतर लोग विवाह करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारंभ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता।
 
अक्षय तृतीया की कथा : भविष्य पुराण में वर्णित इस दिन की कथा अनुसार प्राचीन काल में सदाचारी तथा देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला धर्मदास नामक एक वैश्य था। उसका परिवार बहुत बड़ा था। इसलिए वह सदैव व्याकुल रहता था। उसने किसी से इस व्रत के माहात्म्य को सुना।ALSO READ: अक्षय तृतीया का क्या है महत्व?
 
कालांतर में जब अक्षय तृतीया का पर्व आया तो उसने गंगा स्नान किया, विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की। गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूं, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना तथा वस्त्र आदि दिव्य वस्तुएं ब्राह्मणों को दान की। स्त्री के बार-बार मना करने, कुटुंबजनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म-कर्म और दान-पुण्य से विमुख न हुआ। 
 
यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई। अक्षय तृतीया के दिन इस कथा के पढ़ने या सुनने मात्र से मनुष्य को अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। 
 
अक्षय तृतीया को क्या कहते हैं आखातीज : आखा का अर्थ संपूर्ण, छानना छलनी, खुरजी, एक विशेष प्रकार का बर्तन, लेकिन यहां इसका अर्थ कभी न नष्ट होने वाले से है। अविनाशी या अबूझ मुहूर्त। ALSO READ: अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी नहीं इन 7 शुभ चीजों को खरीदने का है महत्व

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