सभी व्रतों में सर्वोत्तम है अक्षय तृतीया, जानिए कारण

Webdunia
अक्षय तृतीया का पर्व मुख्य रूप से सौभाग्य देने के लिए जाना जाता है। इस दिन का महत्व सुंदर और सफलतम वैवाहिक जीवन के लिए सब से अदिक माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद और कन्या दान करने का महत्व है। इस दिन जितना भी दान करते हैं उसका चार गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन किए गए कार्य का पुण्य कभी क्षय नहीं होता। यही वजह है कि इस दिन पुण्य प्राप्त करने का महत्व है।
 
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं हो। माना जाता है कि इस दिन जो भी पुण्य अर्जित किए जाते हैं उनका कभी क्षय नहीं होता है। इस दिन आरंभ किए गए कार्य भी शुभ फल प्रदान करते हैं।
 
यही वजह है कि ज्यादातर शुभ कार्यों का आरंभ इसी दिन होता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन हर तरह के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं और उनका शुभदायक फल होता है। वैसे तो हर माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया शुभ होती है लेकिन वैशाख माह की तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त मानी गई है। इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं।
 
विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीदारी जैसे शुभकार्य किए जाते हैं। इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान अथवा अपने सामर्थ्य के अनुरूप किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है।
 
इस दिन लोग श्रद्धा से गंगा स्नान भी करते हैं और भगवद् पूजन करते हैं ताकि जीवन के कष्टों से मुक्ति पा सकें। कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से अपने अपराधों की क्षमा मांगने पर भगवान क्षमा करते हैं और अपनी कृपा से निहाल करते हैं। अत: इस दिन अपने भीतर के दुर्गुणों को भगवान के चरणों में अर्पित करके अपने सद्गुणों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
 
अक्षय तृतीया के दिन आभूषणों की खरीद का योग भी माना गया है। इस दिन खरीदा गया सोना अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किसी भी काम में लगाई गई पूंजी दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ती है और कारोबार फलता-फूलता है। यह माना जाता है कि इस दिन खरीदा गया सोना कभी समाप्त नहीं होता है और स्वयं श्री हरि और मां लक्ष्मी उसमें निवास करती हैं। इस पर्व पर अगर पति-पत्नी दोनों व्रत कर के पूजन करें तो सालों साल उनका सौभाग्य बना रहता है। यदि व्रत ना कर सकें तो कोशिश करें कि पर्व से संबंधित वस्तुएं साथ में दान करें। इस दिन विवाहित ब्राह्मण जोड़े को भोजन करा कर विशेष दान देने का भी महत्व है।  
 
दान की अत्यधिक महत्ता
 
अक्षय तृतीया के दिन दान को श्रेष्ठ माना गया है। चूंकि वैशाख मास में सूर्य की तेज धूप और गर्मी चारों ओर रहती है और यह आकुलता को बढ़ाती है तो इस तिथि पर शीतल जल, कलश, चावल, चना, दूध, दही आदि खाद्य पदार्थों सहित वस्त्राभूषणों का दान अक्षय व अमिट पुण्यकारी होता है।
 
माना जाता है कि जो लोग इस दिन अपने सौभाग्य को दूसरों के साथ बांटते हैं वे ईश्वर की असीम अनुकंपा पाते हैं। इस दिन दिए गए दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। सुख समृद्धि और सौभाग्य की कामना से इस दिन शिव-पार्वती और नर नारायण की पूजा का विधान है। चूंकि तृतीया मां गौरी की तिथि है कि इस दिन गृहस्थ जीवन में सुख-शांति की कामना से की गई प्रार्थना तुरंत स्वीकार होती है। गृहस्थ जीवन को निष्कंटक रखने के लिए इस दिन उनकी पूजा की जाना चाहिए।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख