इस बाजार को समझना होगा

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हाल ही में मशहूर फिल्म निर्देशक गोविंद निहलानी इंदौर आए थे। मौका था उनके द्वारा तमस फिल्म का प्रदर्शन। इसमें कोई दो मत नहीं कि भीष्म साहनी के इस बेहतरीन उपन्यास पर यह फिल्म अद्‌भुत अनुभव का एहसास देती है, लेकिन इस प्रदर्शन के मौके पर गोविंद निहलानी ने एक बात कही कि अच्छी फिल्में दर्शकों तक नहीं पहुँचतीं। समय-समय पर यह विलाप अच्छे फिल्मकार करते रहे हैं, लेकिन यह कहा ही जाना चाहिए कि आखिर खराब फिल्में दर्शकों तक कैसे पहुँच जाती हैं।

इसका एक बड़ा कारण तो यही लगता है कि अच्छे निर्देशक और अच्छी फिल्मों के निर्माता अपना उत्तरदायित्व यहीं तक सीमित रखते हैं कि अच्छी फिल्म बना ली जाए, लेकिन अब बाजार की बढ़ती ताकत, अपने प्रॉडक्ट को बेचने की रणनीति और प्रचार-प्रसार पर अच्छे निर्देशकों और निर्माताओं को ध्यान देना होगा तभी उनकी अच्छी फिल्में दर्शकों तक पहुँच सकेंगी।
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