अधिकांश युवा अच्छी नौकरी मिलने के बाद एक बढ़िया-सी कार खरीदने का सपना संजोते हैं। आज के इस भौतिकतावादी युग में कार खरीदना युवाओं के लिए उनका शौक कम, पारिवारिक जरूरत तथा स्टेटस सिंबल अधिक बन गया है। युवाओं की आँखों में कार खरीदने के सपने पर गाज गिरी है, क्योंकि एक्साइज ड्यूटी के रूप में सभी कारों की कीमतें बढ़ गई हैं।
औंधे मुँह गिरा ऑटोमोबाइल सेक्टर यदि ऑटोमोबाइल सेक्टर पर बजट के असर की बात की जाए तो यह कहना मुनासिब होगा कि रफ्तार से संबंध रखने वाला यह सेक्टर, बजट 2012-13 के बाद औंधे मुँह गिरा है। जो युवा बजट से पूर्व डीजल कारों की कीमतों में वृद्धि व पेट्रोल कारों की कीमतों में कमी की अटकलें लगा रहे थे, उन्हें अब अपने देरी से कार लेने के फैसले पर कुछ पछतावा जरूर होगा।
आँकड़ों का गणित बजट में छोटी कारों व एंट्री लेवल की सेडान कारों पर एक्साइज ड्यूटी 10% से बढ़ाकर 12% करने पर अब आपको कार खरीदने के लिए 4,000 से 20,000 तक अतिरिक्त कीमत चुकाना होगी। बड़ी कारों पर सरकार ने एक्साइज ड्यूटी 22% से बढ़ाकर 24% और उसके साथ ही एड वैलोरम टैक्स (एडीशनल स्पेशल ड्यूटी) को 3% कर उन पर कुल एक्साइज ड्यूटी 27% कर दी है। यदि हम बड़ी व महँगी कारों की बात करें तो 20 लाख से अधिक कीमत की महँगी विदेशी कारों पर सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को सीधे 15% बढ़ाते हुए उसे 60% से बढ़ाकर 75% कर दिया गया है। इससे बीएमडब्ल्यू, बैंटले, पोश व वॉल्वोज जैसी कीमती कारें अब बेशकीमती बन गई हैं।
जब खरीदें नई कार
बजट की घोषणा के बाद यदि आप कार खरीदने जा रहे हैं तो अब आपको कार खरीदने के लिए अधिक रुपए खर्चने होंगे। ऐसे में आपके लिए बेहतर होगा कि आप ऐसी कार का चयन करें, जो माइलेज व सेफ्टी फीचर्स में बेहतर हो-
एंटीलॉक ब्रेक सिस्टम (एबीएस) : रफ्तार में गाड़ी रोकने के लिए फुल ब्रेक दबाने पर गाड़ी के सभी ह्विल लॉक हो जाते हैं और ड्राइवर का स्टियरिंग कंट्रोल नहीं रहता है। एबीएस से रफ्तार में ब्रेक लगाने पर ड्राइवर का गाड़ी पर फुल कंट्रोल होता है।
हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म इंजन : गाड़ियों में अब हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म वाले इंजन दिए जा रहे हैं, जो दुर्घटना के समय स्वतः ही नीचे चले जाते हैं। इससे दुर्घटना में गाड़ी का इंजन डेमेज नहीं होता है।
क्रंपल जोन : कुछ गाड़ियों में इंजन के साइड में क्रंपल जोन दिए रहते हैं, जिससे गाड़ी की सामने से टक्वर होने पर फोर्स इन क्रंपल्स में डिवाइड होते हुए ड्राइवर तक आते-आते बहुत कम हो जाता है।
स्टियरिंग लॉक : टक्कर के समय बहुत-सी कारों के स्टियरिंग बाहर निकल जाते हैं। इससे ड्राइवर को चोट लगने का खतरा सर्वाधिक होता है, लेकिन अब नए मॉडल की गाड़ियों में दुर्घटना के समय स्टियरिंग स्वतः लॉक हो जाते हैं, जिससे चोट लगने का खतरा कम रहता है।
ऑटोमैटिक डोर अनलॉक ः अक्सर दुर्घटना के समय गाड़ी के डोर ऑटोमैटिकली लॉक हो जाते हैं, लेकिन अब नए फीचर्स वाली गाड़ियों में दुर्घटना के समय ऑटो अनलॉक का फीचर दिया जा रहा है, जिससे गाड़ी के डोर दुर्घटना के समय ऑटोमैटिकली अनलॉक हो जाते हैं।
* कार का माइलेज उसका यूएसपी होता है। डीजल कारें इस लिहाज से बेहतरीन होती हैं।
* दुर्घटना से सुरक्षा के लिए एयरबैग एक महत्वपूर्ण सेफ्टी फीचर है।
* कार की टेक्नीकल समस्याओं से अवगत कराने वाला अलार्म इंडिगेटर भी नए मॉडल की कारों में एक अच्छा सेफ्टी फीचर है।
लेटेस्ट फीचर्स से लैस कारें 4-7 लाख के बजट में गाड़ियाँ: मारुति सुजूकी स्विफ्ट, ह्यूंडई, ईऑन, i10, फिएट पुन्टो, फोर्ड फीगो, टाटा 2012 न्यू वीस्टा डीजल, टाटा इंडिका eV2, मारुति ऑल्टो K10, मारुति स्विफ्ट, मारुति रिट्ज, निसॉन माइक्रा, फोक्सवैगन पोलो, स्कोडा फाबिया।
7-10 लाख के बजट में गाड़ियाँ : ह्यूंडई i20 ( पेट्रोल व डीजल मॉडल), ह्यूंडई वर्ना, फोर्ड फीएस्टा, टाटा इंडिगो e_CS, मारुति स्विफ्ट डिजायर, मारुति SX4, फोक्सवैगन वेन्तो, निसॉन सनी।
स्पेशल सेफ्टी फीचर्स लॉकिंग, अनलॉकिंग टाइमर : नए सेफ्टी फीचर्स के रूप में गाड़ी का लॉकिंग व अनलॉकिंग टाइमर एक अच्छा सेफ्टी फीचर है, जिसमें आप अपने अनुसार टाइमर में टाइम सेट कर सकते हैं। ऐसे में यदि आपने ड्राइविंग के समय टाइमर सेट करके गाड़ी लॉक कर दी है तो बाहर का कोई भी व्यक्ति चाहकर भी उस टाइमर के कंपलीट होने के पूर्व आपकी गाड़ी के दरवाजे नहीं खोल पाएगा।
स्पेशल की : नए मॉडल की गाड़ियों में कार निर्माता कंपनियाँ ऐसी चाबियाँ दे रही हैं, जिनकी डुप्लीकेट चाबी केवल कंपनी ही बना सकती है। ऐसे में यदि कोई डुप्लीकेट चाबी बनाकर गाड़ी को चोरी करने की कोशिश करता है तो ओरिजनल चाबी के बगैर वह गाड़ी महज 100 मीटर चलकर ही रुक जाएगी।
एक्स्पर्ट व्यू अधिकांश लोग कार अपने लिए नहीं, बल्कि फैमिली के लिए लेता है। इसलिए कार में फैमिली की सुरक्षा के लिहाज से जरूरी सेफ्टी फीचर्स का होना बेहद आवश्यक है। सेफ्टी फीचर्स के बाद आपको गाड़ी के मैंटेनेंस पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यदि गाड़ी का मेंटेनेंस खर्चीला होने के साथ उसका टाइम पीरियड भी कम है तो यह आपके लिए महँगा सौदा हो सकता है। रही बात माइलेज की तो यदि कंपनी के अलावा कोई थर्ड पार्टी गाड़ी के माइलेज की टेस्टिंग कर उसके बेहतर होने का दावा करती है तो उस तीसरी कंपनी के दावे पर भरोसा किया जा सकता है। - अभिजीत रंजन, विनायक फोर्ड